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समय से पूरा होता नहीं दिखता वंदे भारत एक्सप्रेस का निर्माण, विदेशी लॉबी है वजह 

कुंदन सिंह | Special Correspondent
Updated Jan 10, 2022 | 23:23 IST

देश की सबसे पहली सेमी हाई स्पीड ट्रेन वंदे भारत एक्सप्रेस के निर्माण कार्य में देरी हो रही है। इसके पीछे विदेशी कम्पनियों की लॉबी हैं।

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वंदे भारत एक्सप्रेस

देश की सबसे पहली सेमी हाई स्पीड ट्रेन वंदे भारत को लेकर लाल किले से पीएम ने जो वादा किया था, ओ पूरा होने के आसार नहीं दिख रहे हैं। देश में चल रहे अमृत महोत्सव को ध्यान में रखते हुए आने वाले 75 सप्ताह में 75 नई ट्रेनों चलाने का वादा किया था। पर निर्माण के स्तर पर हो रही देरी से ये वादा पूरा होता नहीं दिख रहा है। वंदे भारत निर्माण कार्य में लगी रेलवे का कोच कारखाना आईसीएफ चेन्नई प्लग डोर का टेंडर बीते कुछ दिनों में 10वीं बार एक्सटेंड किया है। यानी ट्रेन निर्माण के लिए जरूरी सामान जुटाने को लेकर किया जा रहा टेंडर लगातार एक्सडेंड करना पड़ रहा हैं। ऐसे में अभी तक जब पायलट ट्रेन ही निर्मित नहीं हो पाएगी तो बाकी पूरे प्रोजेक्ट का क्या होगा। 

पहली बार आईसीएफ यानी इंटीग्रल कोच फैक्टरी ने 13 अक्टूबर को पब्लिश किया था जो 19 नवबंर 2021 तक तारीख थी। जिसके बाद उसकी तारीख 10 बार बढाई गई। जिसे अब 17 जनवरी किया गया हैं। जानकरों की माने तो इसके पीछे  OEMs यानी ओरिजनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरिंग में लगी विदेशी कम्पनियों की लॉबी हैं। अगर हालात ऐसे ही रहे तो पहले से ही देरी से चल रहा ट्रेनसेट वंदे भारत ट्रेन का टारगेट  समय से पूरा नहीं हो पायेगा। मौजूदा समय में फर्स्ट फेज में 44 के करीब ट्रेन सेट का ठेका मेधा इंजीनियरिंग को मिला हुआ है। 

इन ट्रेनों के निर्माण के टारगेट की बात करें तो इस साल मार्च तक पहली पायलट सेट बन कर ट्रायल के लिए आना था। जिसके फाइनल CRS से मंजूरी के बाद रेलवे के तीनों कोच कारखानों में इसके उत्पादन का काम शुरू होता। देश में पहली वंदे भारत ट्रेन का निर्माण साल 2018 में इंटिग्रल कोच फैक्ट्री चेन्नई में हुआ था। 2019 मार्च में इसका पहला सफल संचालन दिल्ली से वाराणसी के बीच पीएम ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था। 

पहले चरण में बनी दूसरी ट्रेन दिल्ली और कटरा के बीच चलती है इनकी सबसे बड़ी विशेषता 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार है। एक वंदे भारत ट्रेन में 16 कोच होंगे। नए सेट में पहले से ज्यादा फीचर होंगे। सभी डब्बे आपस में जुड़े होंगे। इनके बीच में कोई जगह खुली नहीं होती है । इसके कारण ये डिब्बे धूल से सुरक्षित होंगे और बाहरी शोर को कम करेंगे। 

डिब्बों को जोड़ने वाले कपलर की डिजाइन ऐसी है कि ट्रेन के चलने पर यात्रियों को झटके न लगें। वातानुकूलित इस रेलगाड़ी में इकोनामी और एग्जीक्यूटिव श्रेणी के कोच होंगे। एग्जीक्यूटिव श्रेणी में रिवाल्विंग चेयर दी गई है, जो 180 डिग्री तक घूम जाएगी। डिब्बों के दरवाजे तभी खुलेंगे जब ट्रेन पूरी तरह रुक जाए। ट्रेन भी तब ही चलेगी तब सारे दरवाजे बंद हों। एलईडी लाइट, भारतीय एवं पश्चिमी शैली के जैव वैक्यूम शौचालय, सामान रखने के लिए प्रत्येक कोच में माड्यूलर रैक, मोबाइल फोन चार्ज करने के लिए हर सीट पर साकेट, रीडिंग लाइट समेत अन्य विशेषताएं इसमें होंगी।

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