- IMF के अनुसार दुनिया में साल 2022-23 में भारत की सबसे ज्यादा ग्रोथ रेट 7.4 फीसदी रहेगी।
- जुलाई महीने में जीएसटी 28 फीसदी बढ़कर 1.49 लाख करोड़ पर पहुंच गया है। हालांकि इसमें महंगाई की भी हिस्सेदारी है।
- CMIE के आंकड़ों के अनुसार जुलाई में पिछले छह महीने की सबसे कम बेरोजगारी दर दर्ज हुई है।
State of Indian Economy:सोमवार को जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण महंगाई और भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति पर बयान दे रही थीं। तो उसी समय उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले की रहने वाली छह साल की बच्ची कृति दुबे का लेटर वायरल हो चुका था। कक्षा एक में पढ़ने वाली कृति ने महंगाई पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेटर लिखा था। जिसमें उन्होंने मैगी और पेसिंल की बढ़ी कीमतों से हो रही परेशानी को बयान किया था। जाहिर है बढ़ती महंगाई और कम ग्रोथ, मंदी और स्टैगफ्लेशन जैसी चिंताएं बढ़ा रही है।
लेकिन वित्त मंत्री ने देश की जनता को लोक सभा में दिए गए बयान से यह भरोसा दिलाया है कि सरकार महंगाई को कम करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है और उसी का नतीजा है कि दूसरे देशों की तुलना में भारत में महंगाई कम है। उन्होंने यह भी कहा है कि जहां तक भारत मे मंदी की आशंका की बात है तो उसका जीरो चांस है। वित्त मंत्री के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था के फंडामेंटल बेहद मजबूत हैं। ऐसे में घबराने की जरूरत नहीं है। असल में वित्त मंत्री के भरोसे की कई वजहें, जिसके कारण वह इस बात का पूरे आत्मविश्वास के साथ दावा कर रही है कि न तो अर्थव्यवस्था को लेकर कोई जोखिम है और न ही भारत की तुलना श्रीलंका, पाकिस्तान जैसे देशों से की जा सकती है।
दुनिया में सबसे तेज रहेगी अर्थव्यवस्था
अपने जवाब में वित्त मंत्री ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF)की रिपोर्ट का हवाला दिया है। जो दुनिया में मंदी की चुनौती के बीच भारत की अर्थव्यवस्था को सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था के रूप में प्रोजेक्ट कर रहा है। IMF के अनुसार दुनिया में साल 2022-23 में भारत की सबसे ज्यादा ग्रोथ रेट 7.4 फीसदी रहेगी। उसके बाद स्पेन की 4.0 फीसदी और चीन की 3.3 फीसदी ग्रोथ रहेगी। वहीं उसने अमेरिका की ग्रोथ रेट भी 2.3 फीसदी का अनुमान जताया है। हालांकि उसने पिछले अनुमान के मुकाबले रेट को घटाया भी है। इसके अलावा ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट बड़ी राहत देती है। उसके अनुसार एशिया में भारत अकेला ऐसा देश है जहां पर मंदी की जीरो फीसदी संभावना है। उसकी एक बड़ी वजह भारत का खुद का बाजार। है जिसकी वजह से घरेलू मांग बड़े स्तर पर राहत देगी।
महंगाई चिंता की बात
भले ही वित्त मंत्री महंगाई को लेकर यह कहें कि सरकार लगातार कदम उठा रही है और यही वजह है कि रिटेल महंगाई दर इस समय 7 फीसदी से नीचे रखने की बात कही है। लेकिन चिंता की बात यह है कि आरबीआई के सामान्य स्तर 6 फीसदी से अभी भी यह ज्यादा है। और पिछले तीन महीने से यह 7 फीसदी से ज्यादा पर बनी हुई हैं। और इसी महंगाई का असर है कि आरबीआई एक बार फिर 5 अगस्त को आने वाली मौद्रिक नीति में रेपो रेट में 0.30-0.35 फीसदी की बढ़ोतरी कर सकता है। जबकि पिछले दो बार में वह पहले ही 0.80 फीसदी की बढ़ोतरी कर चुका है। नई बढ़ोतरी के बाद एक बार फिर कर्ज महंगे हो जाएंगे। जिसका सीधा असर मांग पर पड़ेगा। जो भले ही महंगाई में थोड़ी कमी लाए लेकिन उसका सीधा असर ग्रोथ रेट पर दिखेगा।
मैन्युफैक्चरिंग में तेजी
वित्त मंत्री के भरोसे की एक और बड़ी वजह मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों में तेजी आना है। मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI)जुलाई के महीने में पिछले 8 महीने के उच्चतम स्तर पर है। जुलाई में PMI जून के मुकाबले बढ़कर 56.4 पर पहुंच गया। इससे पहले यह जून में मई के मुकाबले कम होकर 53.9 पर पहुंच गया था। इसका सीधा मतलब है कि कंपनियां मांग को देखते हुए इनपुट बढ़ा रही है। इसकी एक बानगी जुलाई में कारों की रिकॉर्ड बिक्री में दिखा है। जुलाई में 3.4 लाख पैसेंजर वाहनों की डिलिवरी हुई है।
बेरोजगारी दर में कमी
अर्थव्यवस्था की तस्वीर को पेश करने वाला एक और अहम आंकड़ा वित्त मंत्री के भरोसे को बढ़ाता है। CMIE के आंकड़ों के अनुसार जुलाई में पिछले छह महीने की सबसे कम बेरोजगारी दर दर्ज हुई है। फरवरी में यह 8.11 फीसदी के स्तर पर थी। जो जुलाई में गिरकर 6.80 फीसदी पर आ गई है। हालांकि शहरी इलाकों में बेरोजगारी दर 8 फीसदी से ज्यादा होने चिंता की बात है और इस पर वित्त मंत्री को कुछ फौरी कदम उठाने होंगे।
Rupee vs Dollar: ऐतिहासिक स्तर पर फिसला रुपया, क्यों आ रही है गिरावट और क्या होगा इसका असर?
विदेशी मुद्रा भंडार और जीएसटी
वित्त मंत्री ने अपने जवाब में उन सवालों पर निशाना साधा है जिसमें भारतीय अर्थव्यवस्था की तुलना श्रीलंका और पाकिस्तान जैसे देशों से विपक्ष के नेताओं ने की थी। उनका कहना था कि भारत का डेट जीडीपी रेशियो अमेरिका सहित कई देशों से बेहतर स्थिति में है। भारत का डेट जीडीपी रेशियो 56.29 फीसदी है। जबकि कई देशों का तीन अंकों में है। इसी तरह बैंकों का एनपीए 2021-22 में छह साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। जो कि इस दौरान 5.9 फीसदी रहा है।
इसी तरह भारत का विदेशी मुद्रा भंडार भी काफी बेहतर स्थिति में है। ऐसे में वह बेहद आसानी से आयात और बढ़ती महंगाई की चुनौती का सामना कर सकता है। इस समय भारत का विदेशी मुद्रा भंडार करीब 572 अरब डॉलर है। हालांकि यह अक्टूबर 2021 के अपने उच्चतम स्तर (642.45 अरब डॉलर) से नीचे आ गया है। लेकिन फिर भी यह चिंता की बात नहीं है।
एक और अहम बात वित्त मंत्री के भरोसे को बढ़ाती है वह जीएसटी कलेक्शन है। जुलाई महीने में जीएसटी 28 फीसदी बढ़कर 1.49 लाख करोड़ पर पहुंच गया है। हालांकि इसमें महंगाई की भी हिस्सेदारी है। यानी जब कीमतें बढ़ेंगी तो टैक्स भी बढ़ेगा और इस बात को जीएसटी के दावे में नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।