- एलआईसी देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी है
- इसके सारे अधिकार सरकार के पास होते हैं इसलिए यह पूरी तरह से सुरक्षित है
- अगर आप एसआईसी पॉलिसी से खुश नहीं हैं तो आप इसे मैच्योर होने के पहले सरेंडर कर सकते हैं
कई लोग एलआईसी के फायदे और इसका फीचर को जाने बिना ही इसका बीमा खरीद लेते हैं। लेकिन काफी बाद में पता चलता है कि एलआईसी पॉलिसी उनके किसी काम की नहीं है और फिर वे बीच में एलआईसी को खत्म करना चाहते हैं। इसका एक ही हल होता है ऐसी एलआईसी पॉलिसी को सरेंडर कर देना। आज हम यहां आपको बता रहे हैं 3 साल की मैच्योरिटी के बाद या उसके पहले एलआईसी पॉलिसी कैसे सरेंडर करें।
जब खाता धारक 3 साल की मैच्योरिटी के पहले ही एलआईसी पॉलिसी को सरेंडर कर देता है तो उसे उतने समय का सरेंडर वैल्यू दे दिया जाता है। अगर उसने 3 सालों तक लगातार प्रीमियम का भुगतान किया है तो तो ही उसे पलिसी सरेंडर करने की अनुमति होती है। इसका साफ अर्थ है कि अगर आप पॉलिसी सरेंडर करना चाहते हैं तो आपके इसके लिए 3 सालों तक प्रीमियम का भुगतान करना होगा उसके बाद ही आप सरेंडर कर सकते हैं।
यहां आपको ये जान लेना जरूरी है कि सरेंडर कर देने पर आपको एलआईसी पॉलिसी का पूरा लाभ नहीं मिलता है, आपको इसके कुल बोनस का कुल भाग ही और जितना आपरेन प्रीमियम भुगतान किया है उतना ही आपको फायदे के तौर पर मिलता है।
एलआईसी पॉलिसी सरेंडर करने पर क्या होता है
एक बार एलआईसी पॉलिसी सरेंडर कर देने पर आपकी जीवन बीमा सुरक्षा खत्म हो जाती है। क्योंकि एलआईसी पॉलिसी सरेंडर करने के बारे में आपके और बीमा कंपनी के बीच करार हुआ होता है। आईटी एक्ट के सेक्शन 80 सी के तहत आपको मिलने वाले टैक्स से जुड़े फायदे मिलने बंद हो जाते हैं।
क्या है एलआईसी
बता दें कि एलआईसी (लाइफ इन्श्योरेंस कॉर्पोरेशन) जीवन बीमा निगम देश की सबसे बड़ी सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनी है। इसके साथ ही यह भारतीय बाजार में निवेश करने वाली सबसे बड़ी कंपनी भी है। इसके सारे अधिकार सरकार के पास हैं इसलिए इसमे निवेश करने वाले ग्राहक पूरी तरह से सुरक्षित और निश्चिंत रहते हैं। इसकी स्थापना 1965 में हुई थी जिसका आज हेडक्वार्टर मुंबई में है। पूरे देश में इसके व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए इसके 15 से 20 लाख एजेंट मौजूद हैं।