- मुकेश अंबानी ने कहा कि 1991 के आर्थिक सुधारों के बाद से भारत मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन दे रहा है
- एक समय ऐसा भी था लाइसेंस क्षमता से ज्यादा उत्पादन करने के लिए रिलायंस पर जुर्माना लगाया गया था
- अब भारत लघु और मध्यम उद्योगों को समर्थन देने के लिए पूरी तरह तैयार है
नई दिल्ली : दुनिया चौथे सबसे अमीर आदमी और देश की सबसे मूल्यवान कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने कोरोना वायरस से प्रभावित अर्थव्यवस्था को गति देने और भारत को आत्मनिर्भर कैसे बनाया जाए, इस पर विस्तार से अपनी बात रखी। मुकेश अंबानी ने सोमवार को एनके सिंह की किताब पोट्रेट्स ऑफ पावर के विमोचन पर बोलते हुए कहा कि देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मैन्युफैक्चरिंग पर जोर देना होगा।
उदारवाद से पहले के दौर का जिक्र
मुकेश अंबानी ने उदारवाद से पहले के दौर का जिक्र करते हुए कहा कि एक समय ऐसा भी था जब देश की सरकार ने रिलायंस पर उसकी लाइसेंस क्षमता से ज्यादा उत्पादन करने के लिए जुर्माना लगाया था। लेकिन 1991 के आर्थिक सुधारों के बाद से भारत मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन दे रहा है। उन्होंने कहा कि आज हम जो कुछ भी करते हैं वह सब अधिक से अधिक उत्पादन करने से जुडा है। यह दिखाता है कि हमारी सोच में कितना अंतर आया है।
एमएसएमई में असली स्टार्टअप की जरूरत
अंबानी ने कहा कि जिस तरह से हमारे पास टैक्नोलॉजी सेक्टर में स्टार्टअप हैं। मेरा मानना है कि अब भारत लघु और मध्यम उद्योगों को समर्थन देने के लिए पूरी तरह तैयार है। अब हमें इस क्षेत्र में असली स्टार्टअप की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अभी तक हमने जितना ज्यादा क्लिक (टैक्नोलॉजी या ऑनलाइन स्टार्टअप) के बारे में सोचा है अब उतना ही हमें ब्रिक (विनिर्माण कारखाना स्टार्टअप) के बारे में दिमाग लगाने की जरूरत है।
पोस्टकार्ड से भी कम कीमत पर जियो कराती है बात
उन्होंने कहा कि उनके पिता धीरूभाई अंबानी ने बहुत पहले एक सवाल पूछा था कि क्या कभी भारतीय एक-दूसरे से पोस्टकार्ड से भी कम कीमत पर बात कर पाएंगे? जियो उनके इसी प्रश्न का उत्तर है।
मेरे पिता 1,000 रुपए के साथ भारतीय स्वप्न लेकर मुंबई आए थे
अंबानी ने कहा कि मेरे पिता एक विद्यालय के मास्टर के बेटे थे जो 1960 में 1,000 रुपए के साथ भारतीय स्वप्न लेकर मुंबई आए। साथ लाए एक भरोसा कि यदि आप भविष्य के किसी कारोबार और प्रतिभा में निवेश करते हैं तो हम खुद का भारतीय स्वप्न बना सकते हैं। इसी भरोसे के साथ हमने दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में एक को बनाया है।
धीरूभाई की स्थापित रिलायंस आज देश की सबसे मूल्यवान कंपनी
रिलायंस इंडस्ट्रीज ऊर्जा, कपड़ा, दूरसंचार और खुदरा उद्योग में काम करती है। धीरूभाई की स्थापित रिलायंस इंडस्ट्रीज कंपनी आज देश की सबसे मूल्यवान कंपनी है।
90 के दशक पॉलिएस्टर उत्पादन में संघर्ष करना पड़ता था
मुकेश अंबानी ने कहा कि 90 के दशक के सुधार होने तक हमें हर 10,000-20,000 या 30,000 टन पॉलिएस्टर उत्पादन क्षमता के लिए संघर्ष करना पड़ता था। और अब हम दुनिया के दो सबसे बड़े पॉलिएस्टर विनिर्माता में से एक हैं।
बहुत कम समय में हम पीपीई किट बनाने में सक्षम हुए
उन्होंने कहा कि कोविड-19 संकट के दौरान भी हम बिल्कुल संक्षिप्त उपलब्ध समय में निजी सुरक्षा किट (पीपीई) बनाने में सक्षम रहे।