नई दिल्ली : विश्वबैंक के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत की थोक कीमत आधारित मुद्रस्फीति 30 साल के उच्चतम स्तर पर है, जिससे देश के लिये चिंताजनक स्थिति पैदा हो गयी है। हालांकि बसु ने कहा कि उन्हें तीव्र गति से बढ़ने वाली मुद्रास्फीति और स्थिति अनियंत्रित होने का जोखिम नजर नहीं आता। लेकिन उन्होंने आगाह किया कि अगर खुदरा महंगाई दर भी, थोक मुद्रास्फीति की राह पकड़ती है तो मुद्रास्फीति संकट पैदा हो सकता है।
30 साल के उच्चतम स्तर पर थोक मुद्रास्फीति
एशिया सोसाइटी, इंडिया के ऑनलाइन’ कार्यक्रम में भाग लेते हुए उन्होंने कहा कि भारत में मुद्रास्फीति की स्थिति ‘काफी जोखिमपूर्ण मोड़’ पर है।
बसु ने कहा, ‘मुद्रास्फीति बड़ा जोखिम है। और वास्तव में एक विशेष प्रकार की मुद्रास्फीति ऊंची बनी हुई है। यदि आप भारत में थोक मुद्रास्फीति को देखें, अभी यह 30 साल के उच्चतम स्तर पर है।’ उन्होंने कहा कि सामान्य तौर पर थोक मुद्रास्फीति का असर खुदरा मुद्रास्फीति पर होता है। अत: यह भारत के लिये चिंताजनक स्थिति है, क्योंकि कीमतें तेजी से बढ़ रही हैं।
इसके लिए अधिक उपाय करने की जरूरत
वर्ष 2009 से 2012 तक भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार रहे बसु ने कहा, ‘मुद्रास्फीति की स्थिति बहुत जोखिम भरे मोड़ पर है। इससे निपटने के लिये आपको मौद्रिक नीति और राजकोषीय नीति को साथ लेकर कदम उठाने की आवश्यकता है।’ उन्होंने कहा कि भारत को मुद्रास्फीति से निपटने के लिये वित्त मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक को मिल कर और अधिक उपाय करने की जरूरत है। बसु ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि मुद्रास्फीति के लिये वित्त मंत्रालय और केंद्रीय बैंक के बीच इस मामले में पर्याप्त प्रयास किए जा रहे हैं।’