- लॉकडाउन के कारण नौकरी चली गई है
- EMI का भुगतान करना मुश्किल हो गया है
- अपने लोन को MCLR से RLLR लोन सिस्टम में ट्रांसफर करना लाभदायक रहेगा
कोविड-19 लॉकडाउन के कारण कई लोगों की नौकरी चली गई है, बिना वेतन छुट्टी पर जाना पड़ा है या वेतन में भारी कटौती का सामना करना पड़ा है। इससे वे मुश्किल में पड़ गए हैं क्योंकि EMI जैसे कुछ जरूरी पेमेंट्स करना मुश्किल हो गया है। लेकिन, आप अपनी EMI के बोझ कम करने के लिए कुछ उपाय इस्तेमाल कर सकते हैं, जैसे अपने पुराने होम लोन को रेपो-लिंक्ड लोन में ट्रांसफर करना, जो कि इस समय काफी फायदेमंद साबित हो सकता है।
हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा कई बार रेपो रेट में कटौती किए जाने के कारण होम लोन की EMI कम हो गई है। RLLR रेट्स, RBI के रेपो रेट से जुड़े होते हैं। इसलिए, रेपो रेट में बदलाव होने पर RLLR से जुड़े लोन के लेंडिंग रेट्स भी बदल जाते हैं। RLLR का कैलकुलेशन, वर्तमान रेपो रेट और बैंक के मार्कअप को जोड़कर किया जाता है। उसके बाद बैंक, बेंचमार्क के आधार पर उधारकर्ता की रिस्क रेटिंग को जोड़कर लोन का फाइनल इंटरेस्ट रेट निकालता है।
यह RLLR, पिछले साल अक्टूबर में सेंट्रल बैंक द्वारा बैंकों को एक्सटर्नल बेंचमार्क-लिंक्ड लोन सिस्टम शुरू करने का आदेश देने के बाद प्रभाव में आया। रेपो रेट में कटौती होने के कारण, अपने लोन को MCLR से RLLR लोन सिस्टम में ट्रांसफर करना फायदेमंद होता है। MCLR लोन EMI में कटौती देखी गई है, लेकिन RLLR लोन EMI जितनी जल्दी नहीं। इसके अलावा, MCLR से RLLR लोन सिस्टम में जाते समय कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है:-
लोन ट्रांसफर का खर्च: अपने लोन को RLLR सिस्टम में ट्रांसफर करने पर लोन प्रोसेसिंग फीस लग सकती है। हो सके तो इस खर्च को माफ़ या कम कराने की कोशिश करें।
जरूरत पड़ने पर अन्य बैंकिंग ऑप्शंस ढूंढें: लोन मार्केट काफी बड़ा, और तरह-तरह के ऑप्शंस से भरपूर है। बेस्ट रेट्स पाने के लिए अपने बैंक के भरोसे रहने की जरूरत नहीं है। ऑनलाइन जाकर मार्केट में मौजूद विभिन्न ऑप्शंस की तुलना करें।
RLLR लोन फिलहाल सिर्फ बैंकों द्वारा दिया जा रहा है: हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों को RLLR होम लोन देने की इजाजत नहीं है।
ज्यादा-से-ज्यादा प्रीपेमेंट करें जब रेपो रेट कम हो: चूंकि RLLR, रेपो रेट से जुड़ा होता है, इसलिए भविष्य में RBI द्वारा अपने पॉलिसी रेट में बढ़ोत्तरी करने पर आपकी EMI भी बढ़ जाएगी। इसलिए, जब रेपो रेट कम हो (फिलहाल यह 4% है) तब ज्यादा-से-ज्यादा प्रीपेमेंट करने की कोशिश करें ताकि आगे चलकर आपके लोन का बोझ कम हो जाय और आप जल्दी से कर्ज-मुक्त हो जाएं।
बीच-बीच में अपना क्रेडिट स्कोर देखते रहें: चूंकि RLLR में उधारकर्ता की क्रेडिट प्रोफाइल को भी ध्यान में रखा जाता है, इसलिए आपको अपने क्रेडिट स्कोर में किसी गिरावट का पता लगाने के लिए बीच-बीच में उसे देखते रहना चाहिए। लोन पीरियड के दौरान क्रेडिट स्कोर कम होने पर EMI बढ़ जाएगी जब तक वह फिर से ठीक नहीं हो जाता। इसलिए, एक भी रीपेमेंट मिस न करें, चाहे वह आपका क्रेडिट कार्ड ड्यू हो या कार लोन या पर्सनल लोन EMI, इत्यादि ताकि RLLR सिस्टम में कम होम लोन EMI का लाभ मिलता रहे।
(इस लेख के लेखक, BankBazaar.com के CEO आदिल शेट्टी हैं)
(डिस्क्लेमर: यह जानकारी एक्सपर्ट की रिपोर्ट के आधार पर दी जा रही है। बाजार जोखिमों के अधीन होते हैं, इसलिए निवेश के पहले अपने स्तर पर सलाह लें।) ( ये लेख सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसको निवेश से जुड़ी, वित्तीय या दूसरी सलाह न माना जाए)