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Loan Moratorium : ब्याज पर ब्याज मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट ने फिर टाली, ये है वजह

Updated Nov 03, 2020 | 15:40 IST

लोन मोरेटोरियम के दौरान लोन पर लगने वाले ब्याज पर ब्याज की माफी वाली याचिकाओं सुनवाई फिर टल गई है। 

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सुप्रीम कोर्ट
मुख्य बातें
  • एक मार्च से 31 अगस्त तक लोन की किस्त के भुगतान पर मोरेटोरियम की सुविधा दी गई थी
  • ईएमआई के ब्याज पर ब्याज वसूलने के खिलाफ कई याचिकाएं दायर की गई हैं
  • दो करोड़ रुपए तक के लोन पर ग्राहकों को चक्रवृद्धि और साधारण ब्याज के बीच अंतर के बराबर रुपए लौटाने को कहा है

नई दिल्ली : लोन मोरेटोरियम के दौरान लोन पर लगने वाले ब्याज पर ब्याज की वसूली पर रोक की आग्रह करने वाली विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई मंगलवार (03 नवंबर) फिर टल गई। सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख 5 नवंबर दी है। आरबीआई द्वारा कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर लोन की किस्तों के भुगतान पर रोक की सुविधा (मोरेटोरियम) उपलब्ध कराई गई थी। बैंकों ने इस सुविधा का लाभ लेने वाले ग्राहकों से लोन की मासिक किस्तों (ईएमआई) के ब्याज पर ब्याज वसूला है, जिसे शीर्ष अदालत में चुनौती दी गई है।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मंगलवार को जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस एम आर शाह की बैंच ने आग्रह किया कि वह केंद्र की ओर से सेंट्रल विस्टा परियोजना से संबंधित मामले की सुनवाई में व्यस्त हैं, ऐसे में इस मामले की सुनवाई टाली जाए। केंद्र की ओर से अधिवक्ता अनिल कटियार ने भी संबंधित पक्षों और बैंच को सुनवाई टालने का आग्रह करने वाला पत्र दिया। बैंच ने उनके आग्रह को स्वीकार करते हुए विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई 5 नवंबर तक टाल दी। इनमें गजेंद्र शर्मा की याचिका भी शामिल है।

भारतीय रिजर्व बैंक और वित्त मंत्रालय पहले ही सुप्रीम कोर्ट में अलग-अलग हलफनामा देकर कह चुके हैं कि बैंक, वित्तीय संस्थान और गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थान (एनबीएफसी) 5 नवंबर तक पात्र कर्जदारों के अकाउंट में चक्रवृद्धि और साधारण ब्याज के अंतर के बराबर राशि डालेंगे। बैंकों ने कहा है कि वे रोक की अवधि के दौरान दो करोड़ रुपए तक के लोन के ब्याज पर लगाए गए ब्याज को वापस करेंगे।

कोविड-19 महामारी के मद्देनजर आरबीआई ने एक मार्च से 31 अगस्त तक लोन की किस्त के भुगतान पर रोक की सुविधा दी थी। इस सुविधा का लाभ लेने वाले ग्राहकों से बैंकों द्वारा ईएमआई के ब्याज पर ब्याज वसूलने को लेकर कई याचिकाएं दायर की गई हैं।

इससे पहले रिजर्व बैंक ने सुप्रीम कोर्ट में अपने हलफनामे में कहा था कि उसने सभी बैंकों, वित्तीय संस्थानों और गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों को निर्देश दिया है कि वे दो करोड़ रुपए तक के लोन पर ग्राहकों को चक्रवृद्धि और साधारण ब्याज के बीच अंतर के बराबर राशि लौटाएं। 

इसके साथ ही केंद्र ने भी सूचित किया था कि बैंकों से चक्रवृद्धि और साधारण ब्याज के बीच के अंतर के बराबर राशि ग्राहकों के खातों में 5 नवंबर तक डालने को कहा गया है।

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