- लॉकडाउन की वजह से लाखों मजदूर बेरोजगार हो गए
- श्रम और रोजगार मंत्रालय ने कहा कि रजिस्टर्ड मजदूरों को आर्थिक मदद दी गई
- भवन और अन्य कंस्ट्रक्शन काम में लगे दो करोड़ मजदूरों को नकद सहायता दी गई
नई दिल्ली : लॉकडाउन की वजह से उद्योग धंधे ठप हो गए। अर्थव्यवस्था पटरी से उतर गई। रिपोर्ट के मुताबिक करोड़ों लोग बेरोजगार हो गए। लोग शहर छोड़कर गांवों की ओर पलायन करने लगे। बेरोजगार हुए लोगों खासकर मजदूरों की मदद करने के लिए सरकार तुरंत सामने आई। उन्हें आर्थिक सहायता प्रदान की गई और रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए गए। श्रम और रोजगार मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि कोरोना वायरस लॉकडाउन के दौरान दो करोड़ भवन और अन्य कंस्ट्रक्शन काम में लगे मजदूरों को 4,957 करोड़ रुपए की नकदी सहायता मुहैया कराई गई।
दो करोड़ रजिस्टर्ड 4957 करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता
श्रम मंत्रालय ने कहा कि एक उल्लेखनीय कदम के रूप में, राज्य सरकारों ने मंत्रालय के 24 मार्च 2020 को जारी एक परामर्श के आधार पर लॉकडाउन के दौरान देश भर के करीब दो करोड़ रजिस्टर्ड भवन और अन्य कंस्ट्रक्शन मजदूरों को आज की तारीख तक 4957 करोड़ रुपए की नकदी सहायता मुहैया कराई।
सीधे मजदूरों के बैंक खातों में जमा किए गए रुपए
बयान के मुताबिक इस प्रक्रिया में करीब 1.75 करोड़ रुपए डायरेक्ट बेनिफिट्स ट्रांसफर (डीबीटी) के जरिए सीधे मजदूरों के बैंक खातों में जमा किए गए। लॉकडाउन के दौरान प्रति मजदूर 100 से 6000 रुपए की नकद मदद के अलावा कुछ राज्यों ने अपने यहां मजदूरों को भोजन और राशन भी उपलब्ध कराया।
नकद सहायता पहुंचाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी
श्रम मंत्रालय कंस्ट्रक्शन मजदूरों के कल्याण के लिए सभी राज्य सरकारों और राज्य कल्याण बोर्ड के बीच समन्वय करने वाला नोडल केंद्रीय मंत्रालय है। मंत्रालय ने कहा कि मजदूरों को सबसे अधिक जरूरत के वक्त समय से नकद सहायता पहुंचाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी गई।
सबसे अधिक कमजोर वर्ग है मजदूर
देश के असंगठित क्षेत्र के मजदूरों में भवन और अन्य कंस्ट्रक्शन मजदूर सबसे अधिक कमजोर वर्ग है। इनमें से एक बड़ी संख्या अपने गृह राज्यों से दूर अलग-अलग राज्यों में काम करने वाले प्रवासी मजदूर हैं। वे राष्ट्र कंस्ट्रक्शन में उल्लेखनीय भूमिका अदा करते हैं, फिर भी वे खुद को समाज के हाशिये पर पाते हैं।