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सुप्रीम कोर्ट का आदेश- 15 दिन में घर पहुंचाए जाएं मजदूर, रोजगार के लिए तैयार हो योजना

Updated Jun 09, 2020 | 11:46 IST

सुप्रीम कोर्ट ने प्रवासी मजदूरों को लेकर आदेश दिया है कि उन्हें 15 दिनों के भीतर उनके गृह राज्यों तक पहुंचाया जाए। इसके अलावा राज्य सरकारों से उन मजदूरों के लिए रोजगार प्रदान करने को कहा है।

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मजदूरों के हालात पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
मुख्य बातें
  • लॉकडाउन का उल्लंघन करने वाले कामगारों के खिलाफ शिकायतें वापस लेने पर प्राधिकारी विचार करें: SC
  • श्रमिकों के लिए अतिरिक्त गाड़ियों की मांग करने वाले राज्यों को 24 घंटे के भीतर केंद्र यह सुविधा उपलब्ध कराए: SC
  • कामगारों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए राज्य और केंद्र शासित प्रदेश योजनायें तैयार करें: SC

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को 15 दिनों के भीतर प्रवासी मजदूरों को उनके गृह राज्यों में भेजने का निर्देश दिया। इसके अलावा राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को श्रमिकों को रोजगार प्रदान करने के लिए एक योजना तैयार करने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों से योजनाओं, रोजगार सृजन आदि पर विस्तृत हलफनामा प्रस्तुत करने के लिए कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी मजदूरों का रजिस्ट्रेशन किया जाए। काउंसलिंग सेंटर की स्थापना की जाए, उनका डेटा इकट्ठा किया जाए। इसके साथ ही उनकी स्किल की मैपिंग की जाए।

इसके अलावा शीर्ष अदालत ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वो उन प्रवासियों के खिलाफ मामलों को वापस लेने पर विचार करें, जिन्होंने लॉकडाउन के मानदंडों का कथित उल्लंघन किया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि श्रमिक ट्रेनों की मांग की स्थिति में, रेलवे 24 घंटे के भीतर ट्रेनें प्रदान करेगा। मामले की अगली सुनवाई 8 जुलाई को तय की है। 

सुप्रीम कोर्ट ने लिया था संज्ञान

कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए देशभर में लगाए गए लॉकडाउन के दौरान मजदूरों पर मुसीबतों का पहाड़ा टूट पड़ा। लाखों मजदूर पैदल ही अपने-अपने गृह राज्यों की ओर निकल पड़े। कई मजदूरों की रास्तें में ही मौत हो गई। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने समाचार-पत्रों व मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर इस मामले में स्वत: संज्ञान लिया। सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा था कि मजदूरों का पैदल या साइकिल से ही सैकड़ों किलोमीटर के सफर पर निकलना उनकी 'दुर्भाग्‍यपूर्ण व दयनीय' दशा को दर्शाता है। अब भी बड़ी संख्‍या में प्रवासी मजदूर सड़कों, राजमार्गों, रेलवे स्‍टेशनों, राज्‍यों की सीमाओं पर फंसे हैं। उन्‍हें सुरक्षित यात्रा, आश्रय व भोजन मुहैया कराए जाने की जरूरत है, वह भी बिना शुल्‍क। 

सुप्रीम कोर्ट ने जताई थी चिंता

बाद में कोर्ट ने कहा कि प्रवासी मजदूरों से ट्रेन या बसों का किराया ना लिया जाए और इसका भार राज्य की सरकारें उठाएं। ट्रेन या बसों में चढ़ने से लेकर घर पहुंचने तक सभी फंसे हुए प्रवासी मजदूरों को खाना राज्य, केन्द्र शासित प्रदेश मुहैया कराएं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अपने मूल स्थानों की तरफ जाने की कोशिश कर रहे प्रवासियों की कठिनाइयों को देखकर वह चिंतित हैं।  कोर्ट ने कहा कि हमने पंजीकरण, परिवहन और भोजन तथा पानी देने की प्रक्रिया में  कई खामियां हैं देखी हैं। इस दौरान कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकारे मजदूरों की वापसी को लेकर अपने प्रयासों को तेज करें। अपने आदेश में कोर्ट ने कहा कि जहां से भी मजदूर ट्रेन या बस में सवार होंगे वहां स्टेशन पर उनके भोजन, पानी का इंजताम किया जाएगा। 

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