महंगाई का हवाला देते हुए, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी (MPC) ने आज (04 दिसंबर) लगातार तीसरी बार महत्वपूर्ण दरों में कोई परिवर्तन नहीं करने फैसला किया है। इसके परिणामस्वरूप, रेपो रेट 4% पर और रिवर्स रेपो रेट 3.35% पर ही बनी रहेगी। MPC ने जरुरत रहने तक अपने उदार रुख को बनाए रखने का भी फैसला किया है। केंद्रीय बैंक ने जीडीपी अनुमान को भी अपग्रेड किया जिससे शेयर बाजार ने उछाल ली। RBI की घोषणाओं के बाद सेंसेक्स 45000 की इंट्रा-डे ऊंचाई को छू गया।
केंद्रीय बैंक ने तनावग्रस्त क्षेत्रों में ऑन-टैप TLTRO के विस्तार की भी घोषणा की जिससे बैंकों को कम लागत पर उधार लेने और विशिष्ट क्षेत्रों में कॉरपोरेट्स को उधार देने की अनुमति मिली ताकि लिक्विडिटी, उत्पादकता और आर्थिक वृद्धि में तेजी आ सके। रेपो रेट में कोई संशोधन न होने के कारण, बैंकिंग सिस्टम्स के पास उधार देने के लिए पर्याप्त कम-लागत वाले फंड्स होंगे। इनके अलावा, RBI ने अपनी MPC कमेंटरी में ऐसे कई स्टेप्स की घोषणा की है जिनका प्रभाव आपके पर्सनल फाइनेंस पर पड़ सकता है। आइए एक नजर डालें।
उधार देने में तेजी, इंटरेस्ट रेट्स में बदलाव नहीं
RBI ने महत्वपूर्ण दरों को अपरिवर्तित रखने का फैसला किया है। यानी लोन रेट्स में कोई परिवर्तन नहीं होगा जो पहले से ही खासे निचले स्तर पर चल रहे हैं। कई प्रमुख ऋणदाता 7% से कम दर पर होम लोन दे रहे हैं। RBI ने रेपो रेट को 2019 के आरम्भ में 6.50% से घटाकर 4% कर दिया है जिसमें साल 2020 में ही115 बेसिस पॉइंट्स कम हुए हैं। लोन रेट्स, अपरिवर्तित रहने के कारण, होम, ऑटो और पर्सनल लोन तब तक स्थिर रहेंगे जब तक RBI महत्वपूर्ण दरों में कोई परिवर्तन नहीं करता है। यह संभावित घर खरीदारों के लिए कम रेट्स पर होम लोन लेने और मौजूदा उधारकर्ताओं के लिए अपने लोन को रिफाइनेंस करने या एक बड़ा प्री-पेमेंट करने का सही समय है। यदि आपका लोन, मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स-बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) लोन या बेस लेंडिंग रेट (BLR) लोन से जुड़ा है तो आप अपनी EMI का बोझ कम करने के लिए अपने लोन को रेपो-लिंक्ड लोन में बदल सकते हैं। पिछले साल RBI ने सभी कमर्शियल बैंकों को अपने इंटरेस्ट रेट्स को रेपो रेट जैसे किसी बाहरी बेंचमार्क से जोड़ने का आदेश दिया था।
उधार देने में ज्यादा तेजी लाने के लिए RBI ने फैसला किया है कि निर्धारित कमर्शियल बैंक और कोऑपरेटिव बैंक, उधार देने के लिए पूंजी बचाकर रखने और अपने बैलेंस शीट्स को मजबूत करने में बैंकों की मदद करने के लिए वित्तीय वर्ष 2019-20 के लाभ से कोई डिविडेंड पे-आउट नहीं करेंगे।
डिपोजिट रेट्स
महत्वपूर्ण दरों के पहले जैसा बने रहने के कारण डिपोजिट्स और स्मॉल सेविंग्स स्कीम्स के इंटरेस्ट रेट्स फिलहाल कम रहेंगी जिससे इनमें पैसे रखना फायदेमंद नहीं भी लग सकता है। लेकिन, वर्तमान समय में, पैसे को बढ़ाने की जगह उसे सुरक्षित रखना ज्यादा जरूरी है। इसलिए कम-रिस्की प्रोडक्ट्स की तलाश करने वाले इन्वेस्टर्स के लिए ये अच्छे ऑप्शंस हो सकते हैं। आप अपना FD रिटर्न बढ़ाने के लिए FD लैडरिंग तकनीक का इस्तेमाल कर सकते हैं यानी अपने पैसे को अलग-अलग समयावधि के लिए एक-से-अधिक डिपोजिट्स में थोड़ा-थोड़ा करके डाल सकते हैं। इससे भविष्य में इंटरेस्ट रेट्स बढ़ने पर फायदा होगा और एकाएक उत्पन्न हुई किसी आर्थिक इमरजेंसी से निपटने के लिए आसानी से पैसे भी उपलब्ध रहेंगे। छोटे फाइनेंस बैंक्स, प्राइवेट या सरकारी बैंकों से बेहतर इंटरेस्ट देते हैं। लेकिन, किसी भी बैंक में इन्वेस्ट करने से पहले, उससे जुड़े जोखिम का मूल्यांकन करना न भूलें।
डिजिटल पेमेंट्स और कैशलेस लेनदेन
RBI ने यह भी कहा कि RTGS बहुत जल्द 24x7 उपलब्ध हो जाएगा जैसा IMPS और NEFT के मामले में हुआ था। डिजिटल पेमेंट्स के उपयोग को बढ़ाने के लिए, कॉन्टैक्टलेस कार्ड लेनदेन, आवर्ती कार्ड पेमेंट्स और UPI लेनदेन की सीमा 2000 रुपए से बढ़ाकर 5000 रुपए की जा रही है। इसके अलावा, RBI ने डिजिटल पेमेंट सिस्टम्स को बेहतर बनाने के लिए रेगुलेटेड संस्थानों के लिए डिजिटल पेमेंट सिक्योरिटी कंट्रोल्स जारी करने का प्रस्ताव रखा है। इससे इंटरनेट और मोबाइल बैंकिंग जैसे माध्यमों के लिए कॉमन सिक्योरिटी कंट्रोल्स से संबंधित कुछ न्यूनतम मानकों की निगरानी, मजबूत सुशासन और कार्यान्वयन में मदद मिलेगी।
इस लेख के लेखक, BankBazaar.com के CEO आदिल शेट्टी हैं)
(डिस्क्लेमर: यह जानकारी एक्सपर्ट की रिपोर्ट के आधार पर दी जा रही है। बाजार जोखिमों के अधीन होते हैं, इसलिए निवेश के पहले अपने स्तर पर सलाह लें।) ( ये लेख सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसको निवेश से जुड़ी, वित्तीय या दूसरी सलाह न माना जाए)