नई दिल्ली : चीन से दुनिया भर में फैला कोरोना वायरस महामारी की चपेट भारत भी आया और यह तेजी से फैलने लगा। इसको रोकने के लिए सरकार ने 25 मार्च को 21 दिनों के लिए देशव्यापी लॉकडाउन लागू किया। लेकिन संक्रमितों की संख्या बढ़ने से इस अवधि बढ़ाकर 17 मई तक कर दी गई। इस लॉकडाउन से देशभर में करोड़ों मजदूरों और कामगारों के लिए संकट में फंस गए। उसके पास न तो काम रहा नहीं जीवन जीने के लिए पैसे बचे। हालांकि सरकार एक लाख 70 हजार करोड़ के पैकेज का ऐलान किया। लेकिन विभिन्न इलाकों में फंसे मजदूर अपने घर जाना चाहते थे। इसलिए एक मई से स्पेशल ट्रेन चलाकर मजदूरों उनके घर पहुंचाया जा रहा है।
अबतक चलाई गईं 115 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें
रेलवे ने बुधवार को बताया कि उसने एक मई से अबतक 115 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई हैं, जिनमें लॉकडाउन की वजह से देश के अलग-अलग हिस्सों में फंसे एक लाख से ज्यादा प्रवासी मजदूरों को मंजिल तक पहुंचाया गया। रेलवे ने कहा कि बुधवार को 42 ट्रेनों में से 22 ट्रेन दिन में रवाना हुईं जबकि 20 ट्रेन रात को चलेंगी। कोरोना वायरस महामारी के चलते लागू किए गए लॉकडाउन के कारण कार्यस्थलों पर फंस गए प्रवासी कामगारों के लिए रेलवे ने मंगलवार रात तक 88 ट्रेनें चलाई। प्रत्येक स्पेशल ट्रेन में 24 डिब्बे हैं और हर डिब्बे में 72 सीट हैं। सोशल डिस्टेंसिंग के नियम का पालन हो, इसके लिए रेलवे द्वारा एक डिब्बे में 54 यात्रियों को ही बैठाया जा रहा है।
कई राज्यों से यूपी बिहार के लिए ट्रेन रवाना, कई पहुंचीं
मंगलवार की सुबह तक, गुजरात से करीब 35 ट्रेन रवाना हुईं, जबकि केरल से 13 रेलगाड़ियां रवाना हुईं। आंकड़ों के मुताबिक, 13 ट्रेनें बिहार पहुंच गईं हैं और 11 ट्रेनें रास्ते में हैं, जबकि छह और चलाए जाने की योजना है। 10 ट्रेने उत्तर प्रदेश पहुंच चुकी हैं और पांच ट्रेने रास्ते हैं व 12 और चलायी जानी हैं। पश्चिम बंगाल सरकार ने केवल दो ट्रेनों को मंजूरी दी है जिनमें से एक राजस्थान और दूसरी केरल से है। ये ट्रेनें रास्ते में हैं। झाऱखंड चार ट्रेने पहुंच चुकी हैं जबकि पांच रास्ते में हैं। ओडिशा में सात ट्रेने पहुंच चुकी हैं और पांच रास्ते में हैं।
प्रत्येक ट्रेन पर 80 लाख रुपए खर्च
रेलवे ने अभी तक आधिकारिक तौर पर यह खुलासा नहीं किया है कि इन सेवाओं पर कितना पैसा खर्च हुआ है, हालांकि सरकार ने कहा है कि 85 और 15 के अनुपात में राज्यों के साथ खर्च वहन किया गया। अधिकारियों ने संकेत दिए हैं रेलवे ने प्रत्येक ट्रेन पर 80 लाख रुपए खर्च किए।