नई दिल्ली। खाद्य वस्तुओं और मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की कीमत में नरमी से जुलाई 2022 में थोक मूल्य आधारित मुद्रास्फीति (Wholesale Price- Based Inflation) में कमी आई है। यह कम होकर 13.93 फीसदी पर आ गई। इससे पिछले महीने यानी जून 2022 में थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 15.18 फीसदी पर थी। मई 2022 में यह 15.88 फीसदी के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर थी। पिछले साल की समान अवधि यानी जुलाई 2021 में यह आंकड़ा 11.57 फीसदी पर था।
खाद्य वस्तुओं की कीमत में कमी
जुलाई में खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति कम होकर 10.77 फीसदी हो गई। पिछले महीने, जून 2022 में यह 14.39 फीसदी पर थी। जुलाई में सब्जियों के दाम कम हुए। ये 18.25 फीसदी रह गए, जो पिछले महीने 56.75 फीसदी थी।
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फ्यूल और पावर बास्केट में इतनी रही महंगाई दर
फ्यूल और पावर बास्केट में महंगाई दर जुलाई में 43.75 फीसदी रही, जो पिछले महीने 40.38 फीसदी थी। मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स और तिलहन में मुद्रास्फीति क्रमशः 8.16 फीसदी और (-) 4.06 फीसदी थी। उल्लेखनीय है कि मौद्रिक नीति तैयार करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति को देखता है।
महंगाई पर काबू पाने के लिए क्या करेगी RBI?
खुदरा मुद्रास्फीति (Retail Inflation) लगातार 7वें महीने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के संतोषजनक स्तर से ऊपर रही। यह जुलाई में 6.71 फीसदी पर रही। महंगाई पर काबू पाने के लिए आरबीआई ने इस साल प्रमुख ब्याज दर को तीन बार बढ़ाया है। केंद्रीय बैंक ने 2022-23 में खुदरा मुद्रास्फीति का औसत 6.7 फीसदी पर रहने का अनुमान लगाया था।
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