- विराट कोहली ने साल 2014 में इंग्लैंड दौरे पर रहा था निराशाजनक प्रदर्शन
- 5 टेस्ट की 10 पारी में बनाए थे महज 134 रन
- इस खराब प्रदर्शन को विराट कोहली ने अपने करियर में बेहद अहम मोड़ बताया है
नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली का नाम आज दुनिया के सबसे सफल क्रिकेट खिलाड़ियों में लिया जाता है। वो क्रिकेट के सर्वकालिक महान खिलाड़ियों में अपना नाम दर्ज कराने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। सफलता के चरम पर पहुंचने के बाद भी विराट कोहली साल 2014 में इंग्लैंड दौरे की असफलता को नहीं भूले हैं।
विराट कोहली साल 2012 में टेस्ट डेब्यू करने के बाद इंग्लैंड दौरे पर पहुंच थे। जहां उनसे टीम को और क्रिकेट पंडितों को विराट से शानदार प्रदर्शन की आशा थी लेकिन वो लोगों की कसौटी पर खरे नहीं उतरे और टेस्ट सीरीज उनके लिए बुरा सपना साबित हुई। विराट पांच टेस्ट की 10 पारी में महज 134 रन बना सके। वो लगातार ऑफ स्टंप से बाहर जाती गेंद का शिकार होते रहे। ऐसे में टीम इंडिया ने 1-3 के अंतर से सीरीज में हार का मुंह देखना पड़ा।
टीम इंडिया के ओपनर मयंक अग्रवाल से बीसीसीआई टीवी पर ओपन नेट्स विद मयंक’ शो चर्चा करते हुए विराट ने कहा, इंग्लैंड दौरे पर एक महीने में बतौर टेस्ट खिलाड़ी उन्होंने विश्वसनीयता खो दी थी। लेकिन इस असफलता ने उन्हें विपरीत परिस्थितियों में अपने खेल में सुधार करने और बेखौफ खेलने के लिए प्रेरित किया।
इनस्विंग के इंतजार में हो रहे थे आउटस्विंग का शिकार
विराट ने बताया कि इंग्लैंड में 5-टेस्ट सीरीज के दौरान वो इनस्विंग गेंदों के बारे में इतने चिंतित थे कि इस वजह से वो आउट स्विंग पर आउट हो रहे थे। उन्होंने अपनी इस स्थिति को 'कन्फ्यूज्ड स्टेट' करार दिया। विराट ने कहा, 2014 का इंग्लैंड दौरा मेरे करियर में मील का पत्थर है। बहुत से लोग अपने सफल दौरों को मील का पत्थर मानते हैं। लेकिन 2014 का इंग्लैंड दौरा मेरे लिए हमेशा मील का पत्थर रहेगा। वहां से मैंने सोचना शुरू किया कि स्थितियां मेरे लिए जल्दी ही खराब हो सकती हैं क्योंकि हमें अगले बड़े दौरे पर ऑस्ट्रेलिया जाना था। ऐसे में मुझे बैठकर खेल के बारे में अपने नजरिए और सोच में बदलाव करना पड़ा।'
इस दौरे के बाद किया बल्लेबाजी में बदलाव
विराट ने आगे कहा, मैं इसके बाद ज्यादा निडर होकर खेलने लगा। उन परिस्थियों में नहीं जहां स्थितियां आसान होती हैं जैसे कि सीमित ओवरों की क्रिकेट में आपको स्थिति का अंदाजा होता है। आप इसके लिए खुद को तैयार करते हो और आसानी से प्रेरित हो जाते हो। बल्कि टेस्ट क्रिकेट में जहां ध्यान और संयम बनाए रखना किसी भी क्रिकेट खिलाड़ी के लिए मुश्किल होता है। ये एक पहलू था जहां मुझे सुधार करना था।' उन्होंने आगे कहा, अगर वो दौरा नहीं होता तो मैं उसी तरह आज भी खेल रहा होता। मैं सुधार नहीं करता। उस दौरे ने मुझे ये सोचने को मजबूर किया कि मैं अपने करियर को आगे कैसे लेकर जाउं?
कुल मिलाकर कहूं तो मैं अंदर आने वाली गेंदों को लेकर परेशान था इसी वजह से मैं बहुत जल्दी बाहर आ रहा था और वो गेंद हर बार मेरे से दूर चली जाती थी। में इस असमंजस की स्थिति से बाहर नहीं निकल पा रहा था।
एक महीने में खत्म हो गई थी विश्वसनीयता
विराट ने कहा, मैंने कभी नहीं सोचता हूं कि लोग मेरे बारे में क्या सोचते हैं लेकिन 2014 के दौरे ने मुझे थोड़ा परेशान कर दिया था।' उन्होंने कहा, एक महीने में बतौर खिलाड़ी मेरी विश्वसनीयता खत्म हो गई थी।' आपको जब ये जानते हैं कि आप अच्छे खिलाड़ी हैं और ऐसे में लोगों की बातों पर जरूरत से ज्यादा ध्यान देते हैं तो निराशा हो सकती है। लेकिन मैंने इस दौरे के बाद लोग क्या कह रहे हैं इसपर ध्यान देना ही बंद कर दिया'