नई दिल्ली: टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली की गिनती भले ही आज दुनिया के सर्वश्रेष्ठ क्रिकेट खिलाड़ियों में होती है। लेकिन साल 2014 में इंग्लैंड दौरे की असफलता ने उनके करियर पर सवाल खड़े कर दिए थे। इस दौरे पर खेले पांच टेस्ट की 10 पारियों में वो केवल 134 रन बना सके थे। जेम्स एंडरसन के नेतृत्व वाले गेंदबाजों ने उन्हें पूरे दौरे पर स्विंग बॉलिंग से परेशान किया था। पहली बार विराट की बैटिंग की कमियां दुनिया के सामने उजागर हुई थीं। ऐसे में विराट ने इस दौरे को अपने करियर में बड़े बदलाव लाने वाला मील का पत्थर करार दिया है।
इस दौरे के खत्म होते ही विराट कोहली बल्लेबाजी में सुधार के लिए सीधे मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर की शरण में पहुंचे थे। सचिन ने उस दौरान विराट को सलाह दी थी वो उनके करियर को नई दिशा देने वाली साबित हुई। इसके बाद टीम इंडिया के कोच कोच रवि शास्त्री और डंकन फ्लेचर ने भी बल्लेबाजी में सुधार के लिए विराट को सलाह दी थी जिसका फायदा उन्हें हुआ। इसके बाद से वो लगातार अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में धमाल करके रिकॉर्ड्स की झड़ी लगाते जा रहे हैं।
इंग्लैंड में क्या गलत हुआ और उसका ऐसा हुआ अहसास
विराट ने इंग्लैंड दौरे से भारत लौटकर सचिन तेंदुलकर से मिली सलाह के बारे में मयंक अग्रवाल से चर्चा करते हुए कहा, 'इंग्लैंड दौरे के दौरान मेरी 'हिप पॉजिशन' मुद्दा थी। यह परिस्थितियों के अनुरूप सांमजस्य नहीं बिठा पाना था और जो करना चाह रहा था, वो नहीं कर पा रहा था। इसलिये सख्त होने से आप कहीं नहीं पहुंचते। यह महसूस करना काफी लंबा और दर्दनाक था लेकिन मैंने इसे महसूस किया।'
उन्हें यह महसूस हुआ कि 'हिप पॉजिशन' की वजह से उनकी शॉट लगाने की काबिलियत सीमित हो रही थी। इसे संतुलित रखना चाहिए ताकि आप ऑफ साइड और लेग साइड दोनों ही ओर बराबर नियंत्रण बनाकर खेल सकें जो काफी महत्वपूर्ण है।' इंग्लैंड दौरे पर जेम्स एंडरसन उन्हें बाहर जाती गेंदबाजों पर ही आउट कर रहे थे। इस पर कोहली ने कहा, 'मैं गेंद के अंदर आने को लेकर सोचकर कुछ ज्यादा ही चिंतित हो रहा था। मैं इस संदेह की स्थिति से नहीं निकल सका।'
विराट ने आगे कहा, मैं इंग्लैंड से लौटा और मैंने सचिन (तेंदुलकर) पाजी से बात की और मुंबई में उनके साथ कुछ सत्र लिये। मैंने उन्हें बताया कि मैं अपने कूल्हे की पॉजिशन पर काम कर रहा हूं। उन्होंने मुझे बड़े कदमों और तेज गेंदबाजों के खिलाफ 'फॉरवर्ड प्रेस' की अहमियत महसूस करायी।' मैंने अपनी पॉजिशन के साथ जैसे ही ऐसा करना शुरू किया, चीजें अच्छी तरह होनी शुरू हो गयीं और फिर ऑस्ट्रेलिया दौरा हुआ।'
रवि शास्त्री की सलाह से बदला स्टांस
विराट ने बताया कि बल्लेबाजी की तकनीक में छोटे से बदलाव से उनके 'स्टांस' में भी बदलाव आया जो रवि शास्त्री (204-15 में टीम निदेशक) के सुझाव से हुआ और यह 2014-15 ऑस्ट्रेलिया दौरे के शुरू होने से पहले ही हुआ था और फिर सबकुछ बदल गया जो इतिहास ही है। कोहली ने कहा, 'रवि शास्त्री ने मुझे एक चीज बतायी, वो थी क्रीज के बाहर खड़े होने की। उन्होंने इसके पीछे के मानसिकता को भी बताया। आप जिस जगह खेल रहे हो, आपका उस पर नियंत्रण होना चाहिए और गेंदबाज को आपको आउट करने का मौका नहीं देना चाहिए। इसलिये मैंने उसी साल से इसका अभ्यास करना शुरू किया और इसके नतीजे अविश्वसनीय थे।'
शास्त्री की सलाह पर फ्लेचर से चर्चा के बाद किया अमल
उन्होंने पूर्व भारतीय कोच डंकन फ्लेचर को भी श्रेय दिया जिन्हें बल्लेबाजी की अपार जानकारी है। कोहली ने कहा, 'मैंने डंकन फ्लेचर के बातचीत के बाद ही अपने 'स्टांस' को बड़ा किया, जिन्हें खेल की बेहतरीन समझ है। उन्होंने मुझसे एक ही सवाल पूछा, 'क्या मैं 'फारवर्ड प्रेस' और चौड़े 'स्टांस' से शॉर्ट बॉल को खेल पाऊंगा। तो मैंने कहा, मैं कर सकता हूं।'