- प्रथम श्रेणी क्रिकेट का हैरतअंगेज रिकॉर्ड
- आज हुआ था इंग्लैंड के धाकड़ बल्लेबाज फिल मीड का जन्म
- एक टीम की तरफ से सर्वाधिक प्रथम श्रेणी क्रिकेट रन बनाने का रिकॉर्ड
क्रिकेट के शीर्ष स्तर उन खिलाड़ियों को बहुत सम्मान मिलता है जिन्होंने प्रथम श्रेणी क्रिकेट (First Class Cricket) में धमाल मचाया होता है। इसमें टेस्ट क्रिकेट के आंकड़े भी जुड़े होते हैं इसलिए प्रथण श्रेणी क्रिकेट और भी अहम हो जाता है। ज्यादातर खिलाड़ियों के लिए राष्ट्रीय टीम में खेलने का रास्ता भी यहीं से होकर जाता है। आज हम ऐसे ही एक खिलाड़ी के बारे में आपको बताने जा रहे हैं जिन्होंने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में ऐसी धूम मचाई कि आज भी दशकों बाद उनका रिकॉर्ड कोई तोड़ नहीं सका है। नाम है- फिल मीड (Phil Mead) और आज उनका जन्मदिन है।
आज ही के दिन 1887 में लंदन में जन्मे फिल मीड बाएं हाथ के बल्लेबाज थे और कलाई से स्पिन गेंदबाजी करने में भी माहिर थे। उन्होंने 1905 से 1936 के बीच 31 साल तक प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेला जिस दौरान 1911 से 1928 के बीच उन्होंने इंग्लैंड के लिए टेस्ट क्रिकेट खेला। उन्होंने इंग्लैंड के लिए 17 टेस्ट मैच खेले जिसमें 49.37 की औसत से 1185 रन बनाए। इसमें चार टेस्ट शतक शामिल रहे। लेकिन उनके असल नंबर तो प्रथम श्रेणी क्रिकेट के पूरे आंकड़ों में निखर कर सामने आए।
प्रथम श्रेणी क्रिकेट के हैरान करने वाले आंकड़े
फिल मीड ने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में 814 मैच खेले, जिस दौरान उनके बल्ले से 55,061 रन निकले। इसमें 153 शतक और 258 अर्धशतक शामिल थे। वो प्रथम श्रेणी क्रिकेट इतिहास में सर्वाधिक रन बनाने वालों की लिस्ट में चौथे स्थान पर बने हुए हैं। इस मामले में उनसे ज्यादा रन सिर्फ तीन खिलाड़ियों ने बनाए- जैक हॉब्स (61760 रन), एफई वूली (58959 रन) और ईएच हेंड्रन (57611 रन)।
वो रिकॉर्ड जिसको आज तक कोई नहीं तोड़ पाया
बेशक वो सर्वाधिक प्रथम श्रेणी क्रिकेट में सर्वाधिक रन बनाने के मामले में चौथे नंबर पर हैं। लेकिन एक मामले में वो नंबर.1 भी हैं। फिल मीड किसी एक टीम की तरफ से क्रिकेट इतिहास में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी हैं। उन्होंने हैंपशायर की ओर खेलते हुए 48,892 रन बनाए थे। ये रिकॉर्ड आज तक कोई नहीं तोड़ सका है।
पिच पर टोटके और आंखों की रोशनी जाना
फिल मीड उन खिलाड़ियों में शामिल थे जो मैदान पर खेलते समय कुछ टोटकों में विश्वास रखते थे। बल्लेबाजी करने से पहले वो अपनी कैप को चार बार छूते थे, फिर वो अपने बल्ले को पिच पर चार बार मारते थे, उसके बाद चार कदम लेकर बैटिंग वाले स्थान पर खड़े होते थे। अगर ये सब पूरा होने से पहले कोई गेंदबाज गेंद फेंकने आ जाता था तो वो किनारे हटकर खड़े हो जाते थे और गेंदबाज को फिर से गेंद फेंकने की तैयारी करनी पड़ती थी।
उनका करियर शानदार रहा लेकिन जीवन का अंत बहुत दुखद रहा था। उन्होंने अपना आखिरी टेस्ट मैच 41 की उम्र में खेला था। कई रिकॉर्ड्स अपने नाम कर चुके फिल मीड का करियर खत्म होने के बाद उनकी आंखों की रोशनी चली गई थी। उनका देहांत 71 साल की उम्र में 1958 में हुआ।