- चेतेश्वर पुजारा आज अपना 33वां जन्मदिन मना रहे हैं
- चेतेश्वर पुजारा ने 81 टेस्ट में 47.74 की औसत से 6111 रन बनाए हैं
- ऑस्ट्रेलिया दौरे पर भारत की ऐतिहासिक सीरीज जीत में पुजारा की भूमिका अहम रही
नई दिल्ली: टीम इंडिया के भरोसेमंद बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा आज अपना 33वां जन्मदिन मना रहे हैं। 25 जनवरी 1988 को रोजकोट में जन्में पुजारा भारतीय टेस्ट टीम के प्रमुख बल्लेबाज बन चुके हैं। उन्हें एक दशक से ज्यादा समय इंटरनेशनल क्रिकेट खेलते हो चुका है। पुजारा ने क्रिकेटर बनने के लिए कड़ी तपस्या की और उन्हें इसके लिए परिवार का भरपूर समर्थन मिला। बता दें कि राहुल द्रविड़ के बाद पुजारा ने भारतीय टेस्ट टीम की तरफ से तीसरे नंबर पर खेलते हुए 5,000 से ज्यादा रन बनाए हैं। उन्होंने 81 टेस्ट में 18 शतक और 28 अर्धशतकों की मदद से 6111 रन बनाए हैं।
पुज्जी के नाम से लोकप्रिय चेतेश्वर पुजारा ने हाल ही में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर भारत की ऐतिहासिक सीरीज जीत में अहम योगदान दिया। पुजारा ने इस सीरीज में 928 गेंदों का सामना किया और ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों को थका दिया। इस दौरान उन्होंने तीन अर्धशतक जमाए और गाबा में 56 रन की महत्वपूर्ण पारी खेली। पुजारा के टेस्ट क्रिकेटर बनने की कहानी संघर्ष से भरी रही। इसमें उन्हें अपनी मां का बहुत समर्थन मिला। चेतेश्वर पुजारा के जन्मदिन के विशेष मौके पर आपको बताते हैं कि उनकी मां ने अपने बेटे को क्रिकेटर बनाने के लिए क्या-क्या विशेष किया।
पुजारा के लिए बेहद खास वो बल्ला और पैड की जोड़ी
चेतेश्वर पुजारा की मां रीना ने सपना देखा था कि उनका बेटा एक दिन देश के लिए खेलेगा। पुजारा के पिता अरविंद ने अपने बेटे की प्रतिभा को पहचान रखा था और उस हिसाब से उनको प्रैक्टिस करा रहे थे। अरविंद पुजारा खुद भी रणजी ट्रॉफी तक खेल चुके थे। बहरहाल, चेतेश्वर पुजारा को पहला बल्ला मां ने उपहार के रूप में भेंट किया था। मां रीना ने 1500 रुपए का बल्ला पुजारा को दिया था। पुजारा की मां ने किश्तों में इसके पैसे चुकाए थे। जब दांए हाथ के बल्लेबाज केवल 8 साल के थे तो उन्हें अन्य बैटिंग पैड्स फिट नहीं हो रहे थे क्योंकि उनकी हाईट कम थी। फिर मां ने ही पुजारा के लिए अपने हाथों से पैड्स की जोड़ी तैयार की।
पुजारा ने अपनी मां के उपहार का सम्मान किया और जमकर मेहनत करके फर्स्ट क्लास क्रिकेट में जगह पक्की की। पुजारा का भारत के लिए खेलने का सपना भी साकार हुआ। मगर भारतीय क्रिकेटर को इस बात का मलाल जरूर होगा कि जिस मां ने उन्हें यह दिन देखने के लिए कड़ी मेहनत की थी, वो अपने बेटे को भारत के लिए डेब्यू करते हुए नहीं देख सकीं। चेतेश्वर पुजारा के डेब्यू से पहले ही उनकी मां का कैंसर से निधन हो गया था।
चेतेश्वर पुजारा पर से मां का साया हमेशा के लिए उठ गया, लेकिन तब तक इस क्रिकेटर में अनुशासन आ चुका था। उन्होंने अपनी मां के सपने को पूरा करने में कोई कमी नहीं छोड़ी। पुजारा ने 9 अक्टूबर 2010 को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपना टेस्ट डेब्यू किया। यहां से उनका सफर शुरू हुआ, जो लगातार सफलता के झंडे गाड़ रहा है। पुजारा के बारे में कहा जाता है कि वो 300 रन बनाने के बाद भी अगर आउट होते थे, तो बिलकुल खुश नहीं रहते थे। इस दृढ़ता का फायदा टीम इंडिया को हाल ही में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर भी देखने को मिला, जहां पुजारा ने क्रीज पर समय बिताने के लिए शरीर पर काफी चोटें भी सही। टीम इंडिया के इस नगीने को जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएं।