नई दिल्ली: टीम इंडिया के पूर्व दिग्गज ऑलराउंडर युवराज सिंह ने कोच बनने की ख्वाहिश का इजहार किया है। उन्होंने कहा कि वह खिलाड़ियों की मानसिकता पर काम कर सकते हैं। युवराज ने इंग्लैंड के पूर्व धाकड़ क्रिकेटर केविन पीटरसन के साथ इंस्टाग्राम पर बातचीत में कहा कि वह कमेंट्री की जगह कोचिंग और मेंटरिंग को तरजीह देना चाहेंगे। युवराज ने कहा, 'मैं शायद उसकी (कोचिंग) शुरुआत करूंगा। मैं कॉमेंट्री करने से ज्यादा कोचिंग के लिए उत्सुक हूं।' 38 वर्षीय युवराज ने कहा, 'मैं सीमित ओवरों के क्रिकेटर बारे में ज्यादा जानता हूं और इसिलए मैं खिलाड़ियों से अपना अनुभव बांट सकता हूं कि वह नंबर 4, 5, 6 पर किस माइंडसेट के साथ जा सकते हैं।'
'मैं परिवार के साथ समय बिता रहा हूं'
दरअसल, रिटायरमेंट के बाद कमेंट्री से जुड़ने वाले पीटरसन ने युवराज से कहा कि वह कमेंट्र में आ जाएं। इसपर भारत को टी20 विश्व कप (2007) और वनडे विश्व कप (2011) में चैंपियन बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले युवराज ने मुस्कुराते हुए कहा, 'मैंने सोचा एक साल का ब्रेक लूंगा। कुछ टूर्नमेंट्स खेलूंगा जो अच्छे होंगे। मैं आप लोगों के साथ आऊंगा और कॉमेंट्री सीखूंगा। मैं नहीं जानता कि मैं एक कॉमेंटेटर के तौर पर कैसा करूंगा।' उन्होंने कहा कि वह फिलहाल परिवार के साथ बेहतरीन समय बिता रहे हैं और उम्मीद है कि जल्द ही पिता बनेंगे। युवराज ने कहा, 'मैं परिवार के साथ समय बिता रहा हूं। मैंने पार्क में बहुत समय बिताया। उम्मीद है कि जल्दी पिता बनूं और फिर कोचिंग या कमेंट्री में आऊं।'
'शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकते'
पीटरसन ने उस वक्त के बारे में भी पूछा जब युवराज को कैंसर का पता चला था। युवराज ने कहा, 'यह कुछ ऐसा है जिसे आप हमेशा शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकते। दुर्भाग्य से वह क्षण तब आया जब मैं अपने करियर के चरम पर था। हमने तभी विश्व कप (2011) जीता था।' उन्होंने कहा, 'सौरव (गांगुली) कुछ वक्त पहले रिटायर हुए थे और मैं टेस्ट मैच खेलना चाह रहा था। मैं युवा था इसलिए डटकर कैंसर से जूझा। मेरा परिवार कठिन समय से गुजरा। मेरी मां बहुत सपोर्टिव थीं। वापस आने पर मेरा शरीर पहले जैसा नहीं था। लेकिन आखिरकार मैं वापस आया और अपना सर्वोच्च वनडे स्कोर (150) बनाया।'