- मंसूर अली खान पटौदी को सिर्फ एक आंख से दिखता था
- पटौदी ने सिर्फ 21 साल की उम्र में भारतीय टीम की कप्तानी की थी
- पटौदी के नेतृत्व में भारत ने पहली विदेशी टेस्ट जीत दर्ज की थी
नई दिल्ली: 5 जनवरी 1941 को भारतीय क्रिकेट के एक जाबांज खिलाड़ी का जन्म हुआ, जिसने खिलाड़ी में निडरता होने का महत्व समझाया। मंसूर अली खान पटौदी 5 जनवरी 1941 को भोपाल में जन्में थे। उनकी मृत्यु 22 सितंबर 2011 को हुई। 'टाइगर' निकनेम वाले पटौदी एक भारतीय क्रिकेटर और भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान थे। नवाब पटौदी जूनियर के नाम से मशहूर मंसूर अली खान पटौदी ने भारत के लिए 46 टेस्ट खेले, जिसमें 40 में नेतृत्व किया। इस दौरान उन्होंने 2793 रन बनाए और 6 शतक ठोके। मंसूर अली खान पटौदी का करियर तब शुरू हुआ, जब कार दुर्घटना में उनके एक आंख की दृष्टि चली गई थी।
पटौदी जूनियर को इस रणनीति का श्रेय जाता है कि 1970 के समय में उन्होंने स्पिनरों के आक्रमण को अपना प्रमुख हथियार बनाया। मंसूर अली खान पटौदी के नेतृत्व में भारत ने अपनी पहली विदेशी टेस्ट जीत दर्ज की। पटौदी के नेतृत्व में 1968 में भारत ने न्यूजीलैंड के खिलाफ पहली जीत हासिल की। पटौदी को भारत के सबसे शानदार कप्तानों में से एक माना गया है, जिन्होंने 21 साल की उम्र में 1962 में टीम की कमान संभाली थी। तब वो सबसे युवा टेस्ट कप्तान बने थे। मंसूर अली खान का यह रिकॉर्ड था, जो 40 सालों तक बरकरार रहा।
मंसूर अली खान ने 1975 में क्रिकेट से संन्यास लिया। 1993 से 1996 के बीच उन्होंने मैच रेफरी की भूमिका निभाई। 2011 में फेफडों में इंफेक्शन के कारण उनका देहांत हुआ।
परिवार और शिक्षा
मंसूर अली खान के पिता इफ्तिखार अली खान एक जाने-माने क्रिकेटर थे। मंसूर अली खान की शिक्षा अलीगढ़ के मिंटो सर्कल में हुई। उनकी आगे की शिक्षा देहरादून (उत्तराखंड) के वेल्हैम बॉयज स्कूल में हुई। उन्होंने हर्टफोर्डशायर के लॉकर्स पार्क प्रेप स्कूल और विंचेस्टर स्कूल में भी अध्ययन किया। मंसूर अली खान ने अरेबिक और फ्रेंच ऑक्सफोर्ड के बैलिओल कॉलेज में पढ़ी।
मंसूर अली खान के पिता की दिल्ली में पोलो खेलते समय मृत्यु हो गई। वे खान के 11वें जन्मदिन पर चल बसे थे। 1952 में मंसूर उनके स्टेट के नौवें नवाब बने। खान का स्टेट भारत सरकार में 1947 में ही मिल चुका था, परंतु उनका 'नवाब' टाइटल 1971 में खत्म किया गया।
क्रिकेट करियर
मंसूर अली खान ने विंचेस्टर में स्कूल में अपने बल्लेबाजी के जौहर दिखाना शुरू कर दिए थे। वे स्कूल की क्रिकेट टीम के कप्तान थे। उन्होंने पब्लिक्स स्कूल रैकेट्स चैंपियनशिप भी जीती। 16 साल की उम्र में खान ने फर्स्ट क्लास क्रिकेट में ससेक्स के लिए डेब्यू किया। ऑक्सफोर्ड के लिए खेलने वाले मंसूर अली खान पटौदी पहले भारतीय क्रिकेटर थे।
1 जुलाई 1961 को होव में एक कार एक्सीडेंट में एक कांच का टुकड़ा उनकी आंख में लग गया और उनकी दाईं आंख हमेशा के लिए खराब हो गई। इस एक्सीडेंट के बाद उनके क्रिकेट करियर पर हमेशा के लिए खत्म होने का खतरा मंडरा रहा था, क्योंकि उन्हें दो छवि दिखाई देने लगी थीं, परंतु पटौदी जल्दी ही नेट प्रैक्टिस पर लौटे और एक आंख के साथ ही बेहतरीन खेलने लगे।
टेस्ट करियर की शुरूआत
आंख में खराबी आने के 6 महीने से भी कम समय में पटौदी ने अपने टेस्ट करियर की शुरुआत की। वे दिल्ली में इंग्लैंड के खिलाफ खेले। वे अपनी दाईं आंख कैप के नीचे छुपाकर खेलते थे। मद्रास (चेन्नई) में अपने तीसरे ही टेस्ट में पटौदी ने 103 रन बनाए। उनके इन रनों की बदौलत भारत इंग्लैंड के खिलाफ अपनी पहली सीरीज जीतने में सफल हुआ।
1962 में पटौदी को वाइस कैप्टन वेस्टइंडीज टूर के लिए बनाया गया। मार्च 1962 में मंसूर अली खान पटौदी भारतीय टीम के कप्तान नियुक्त किए गए। 21 साल और 77 दिन की उम्र में वे कप्तान बनाए गए। कई वर्षों तक दुनिया के सबसे कम उम्र के कप्तान का रिकॉर्ड उनके नाम रहा जिसे बाद में जिम्बाब्वे के तातेंद्रा टैबु ने मई 2004 में तोड़ा। 2015 के नंवबर तक वे भारत के सबसे कम उम्र के कप्तान और दुनिया के दूसरे सबसे कम उम्र के कप्तान रहे।
1962 में नवाब पटौदी 'इंडियन क्रिकेटर ऑफ द ईयर' रहे। 1968 में वे 'विस्डन क्रिकेटर ऑफ द ईयर' बने। नवाब पटौदी ने 1969 में अपनी आटोबॉयोग्राफी 'टाइगर्स टेल' प्रकाशित की।
पर्सनल लाइफ
नवाब पटौदी ने लोकप्रिय बॉलीवुड एक्ट्रेस शर्मिला टैगोर से शादी की थी। उनके 3 बच्चे हैं, जिनमें बॉलीवुड एक्टर सैफ अली खान और एक्ट्रेस सोहा अली खान के अलावा ज्वेलरी डिजाइनर सबा अली खान शामिल हैं।