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Harbhajan Singh's Retirement: हरभजन सिंह को रह गया एक बात का मलाल, पढ़ें उनका पूरा विदाई संदेश 

Updated Dec 24, 2021 | 18:18 IST

Harbhajan Singh's Retirement: हरभजन सिंह का 23 साल लंबे क्रिकेट करियर पर शुक्रवार को उनके संन्यास का ऐलान करते ही विराम लग गया। जानिए उन्होंने अपने विदाई संदेश में क्या क्या कहा और किस किस का अदा किया शुक्रिया। करियर में भज्जी को रहा किस एक बार का मलाल?

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हरभजन सिंह
मुख्य बातें
  • हरभजन साल 2016 में आए थे टीम इंडिया के लिए आखिरी बार खेलते हुए नजर
  • 1998 में शुरू हुआ था भज्जी का अंतरराष्ट्रीय करियर
  • पहले ही बना चुके थे संन्यास का मन, लेकिन नहीं कर पा रहे थे ऐलान

नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट के महान स्पिनर्स में से एक हरभजन सिंह ने लंबे इंतजार के बाद शुक्रवार को क्रिकेट के सभी फॉर्मेट से संन्यास का ऐलान कर दिया। अब भज्जी मैदान पर बतौर खिलाड़ी दोबारा नजर नहीं आएंगे। भज्जी 5 साल पहले साल 2016 में आखिरी बार टीम इंडिया की जर्सी पहनकर खेलते नजर आए थे लेकिन उसके बाद उनकी टीम इंडिया में वापसी नहीं हुई। लंबे समय से वो क्रिकेट को अलविदा कहने की कोशिश कर रहे थे लेकिन पांच साल बाद आखिरकार वो दिन आ ही गया। 

भज्जी ने अपने विदाई वीडियो में हर किसी को उनका समर्थन करने के लिए शुक्रिया कहा है। पढ़ें हरभजन सिंह का विदाई संदेश और जानिए उन्हें करियर मे रह गया किस एक बात का अफसोस...

सत श्री अकाल दोस्तों
जलंधर की तंग गलियों से टीम इंडिया के टर्बनेटर बनने का मेरा पिछले 25 साल का सफर बहुत ही खूबसूरत रहा। जब भी मैं इंडिया की जर्सी पहनकर मैदान पर उतरा हूं उससे बड़ा मोटिवेशन मेरी जिंदगी में और कोई नहीं था। लेकिन एक मुकाम आता है जब आपको जीवन में कुछ कठिन फैसले लेने होते हैं और जीवन में आगे बढ़ना होता है। 

कुछ साल से करना चाहते थे संन्यास का ऐलान
मैं पिछले कुछ सालों से एक ऐलान करना चाह रहा था और उस चीज का मैं इंतजार कर रहा था कि मैं उस मोमेंट को आप लोगों के साथ कब साझा करूं। मैं आज क्रिकेट के हर फॉर्मेट से संन्यास ले रहा हूं। 

हालांकि मानसिक तौर पर मैं रिटायरमेंट पहले ही ले चुका था। लेकिन उसका ऐलान नहीं कर पाया। ऐसे भी पिछले कुछ वक्त से मैं एक्टिव क्रिकेट नहीं खेल रहा था। लेकिन कोलकाता नाइट राइडर्स के साथ कमिटमेंट की वजह से चाहता था कि आईपीएल सीजन में मैं उनके साथ रहूं। पर सीजन के दौरान ही मैंने रिटायरमेंट का मन बना लिया था। 


टीम इंडिया की जर्सी पहनकर लेना चाहते थे संन्यास
हर क्रिकेटर की तरह मैं इंडिया की जर्सी में क्रिकेट को अलविदा कहना चाहता था लेकिन तकदीर को शायद कुछ और मंजूर था। मैं जिस भी टीम के लिए खेला वहां मेरा सौ प्रतिशत कमिटमेंट रहा है। चाहे वो भारतीय टीम हो, पंजाब की टीम हो या फिर मुंबई इंडियन्स या सीएसके या फिर कोलकाता नाइट राइडर्स या एसेक्स काउंटी। 

गुरु हरचरण सिंह को कहा शुक्रिया
मैं अपनी जिंदगी में जो कुछ भी कर पाया वो अपने गुरूजी संत हरचरण सिंह जी के आशीर्वाद से ही संभव हो पाया। मेरे जीवन को उन्होंने एक दिशा दी। उनकी हर एक सीख मेरे जीवन को आगे बढ़ाती रही। 

मेरे पिता सरदार सरदार सिंह प्लाहा और मेरी मां अवतार कौर प्लाहा ने मेरे सपनों को पूरा करने के लिए बहुत संघर्ष किया। उनकी मेहनत के बल पर भगवान ने मुझे इस काबिल बनाया कि मैं इंटरनेशनल क्रिकेट खेल पाया। 

मेरी भगवान से एक विनती है कि अगर मुझे दोबारा जन्म मिले तो मुझे इन्हीं मां बाप के घर पर बेटे के रूप में मुझे दोबारा जन्म दें। 

बहनों की पाठ और प्रार्थनाओं का रहा साथ
मेरी बहनों ने मेरे लिए ना जाने कितनी बार मेरे लिए कितने पाठ कितनी प्रार्थनाएं की हैं। उनकी प्रार्थनाओं की वजह से मुझे जिंदगी में हर खुशी हासिल हुई। मैं जितना भी उनके लिए कर लूं शायद कम होगा। मैं आपके साथ वक्त नहीं गुजार पाया वो सारे रक्षाबंधन निकल गए। लेकिन मैं अब आप सबको कोई शिकायत का मौका नहीं दूंगा कि मैं रक्षाबंधन पर घर पर क्यों नहीं हूं? यू आर माई रॉकस्टार्स माई सिस्टर्स, आई लव यू! मेरे परिवार के आप पिलर्स हो।

मेरी पत्नी गीता, मैं तुम्हें बताना चाहता हूं कि तुम्हारा प्यार मुझे पूरा करता है। मेरी इस यात्रा में शामिल होने के लिए शुक्रिया। तुमने मेरे जीवन का बेस्ट(सर्वश्रेष्ठ) और वर्स्ट( खराब) दोनों देखा है। अब मेरे पास बहुत सारा समय है आपके साथ रहने का और अब आपको शिकायत का मौका नहीं दूंगा कि आप टाइम नहीं देते हैं। 

इनाया हीर और जोवन वीर तुम दोनों मेरी जिंदगी हो। और तुम दोनों जब बड़े होगे तो मैं उम्मीद करता हूं कि आपको पता चलेगा कि आपके पापा क्रिकेट में क्या करते थे। मुझे खुशी है कि अब मेरे पास बहुत सारा समय रहेगा आप दोनों के लिए और मैं आप दोनों को बड़ा होते हुए देखूंगा और आपके साथ बहुत सारा वक्त बिताऊंगा। 


टेस्ट हैट्रिक और विश्व विजय सबसे यादगार पल 
क्रिकेट करियर की बात करूं तो सबसे पहले खुशी मिली जब मैंने कोलकाता में हैट्रिक ली और मैं पहला भारतीय गेंदबाज बना जिसने टेस्ट क्रिकेट में हैट्रिक ली। साथ ही साथ उस सीरीज में मैंने तीन मैच में 32 विकेट लिए और वो अबतक रिकॉर्ड है। 

इसके बाद 2007 का टी20 वर्ल्ड कप और 2011 का वर्ल्ड कप जीत मेरे लिए सबसे अहम है। ये ऐसा यादगार लम्हें हैं जिन्हें मैं पूरी जिंदगी नहीं भुला पाऊंगा और शायद अपने शब्दों में पूरी तरह बयां नहीं कर पाऊंगा कि वो कितनी बड़ी हैं मेरे लिए। 

हर साथी और विरोधी खिलाड़ी को कहा शुक्रिया
इस सफर में मुझे कई ऐसे लोगों का साथ मिला जो दुनिया में बेहद कम लोगों को नसीब होता है। इनमें से कुछ दोस्त बन गए और कुछ परिवार का हिस्सा। अंडर-14 से इंडिया सीनियर्स और फिर आईपीएल में मेरे सभी साथी और विरोधी खिलाड़ियों का मैं शुक्रिया अदा करना चाहता हूं और साथ ही हर कोच, ग्राउंड्समैन, अंपायर्स, मीडिया और हर उस शख्स का मैं शुक्रिया अदा करना चाहता हूं जिसने मुझे जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। 

साथ ही साथ मैं हर उस फैन्स का तहेदिल से शुक्रिया अदा करना चाहता हूं जिन्होंने मेरे लिए दुआएं कीं जब मैं भारतीय क्रिकेट टीम का मैदान में प्रतिनिधित्व कर रहा था। 

बीसीसीआई ने किया खिलाड़ियों के आगे बढ़ने की परंपरा को मजबूत
मैं बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली, सेक्रेटरी जय शाह और बीसीसीआई के सभी अधिकारियों का धन्यवाद करना चाहता हूं जिन्होंने खिलाड़ियों के आगे बढ़ने की परंपरा को बहुत मजबूत किया है। साथ ही साथ मेरी स्टेट एसोसिएशन पंजाब क्रिकेट एसोसिएशन के एफबी पांडा सर, आईएस बिंद्रा सर आप हमेशा मेरे दिल के बेहद करीब रहेंगे। 

क्रिकेट मेरी जिंदगी का बेहद अहम हिस्सा था, है और रहेगा
क्रिकेट मेरी जिंदगी का बेहद अहम हिस्सा था, है और रहेगा। मैंने बहुत अरसे तक भारतीय क्रिकेट की सेवा की है और आगे भी कोशिश करूंगा कि वो सेवा बरकरार रहे। मुझे नहीं पता कि भविष्य में क्या होगा। लेकिन आज मैं जो कुछ हूं सिर्फ और सिर्फ क्रिकेट की वजह से हूं। अगर मैं किसी भी किरदार में भारतीय क्रिकेट के किसी भी काम आ सकूं तो मुझे बेहद खुशी होगी। 

अब नई चुनौतियों के साथ मेरी जिंदगी में दूसरा चैप्टर शुरू हो रहा है। यकीन मानिए आपका टर्बनेटर इम्तिहान के लिए तैयार है। बस प्यार बनाए रखना। बहुत शुक्रिया।
जय हिंद! जय भारत!    

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