- श्रीलंका के पूर्व खेल मंत्री ने दावा किया है कि साल 2011 क्रिकेट विश्व कप का फाइनल मैच था फिक्स
- श्रीलंका के कप्तान कर चुके हैं इस दावे को सिरे से खारिज
- श्रीलंका सरकार दे चुकी है मामले की जांच के आदेश
कोलंबो: श्रीलंका के पूर्व खेल मंत्री द्वारा साल 2011 के विश्व कप फाइनल को फिक्स बताने का विवाद लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। भारत और श्रीलंका के बीच मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में खेले गए इस मैच में भारतीय टीम ने महेंद्र सिंह धोनी और गौतम गंभीर की धमाकेदार बल्लेबाजी की बदौलत जीत हासिल की थी। ऐसे में श्रीलंका को 1996 के फाइनल में शतक जड़कर श्रीलंका को चैंपियन बनाने वाले दिग्गज बल्लेबाज अरविंद डिसिल्वा ने बीसीसीआई से अनुरोध किया है कि वो इस मामले की जांच करके महिदानंदा अलुथगमागे के दावे को झूठा साबित करे।
डिसिल्वा ने कहा, उन्होंने कहा कि लोगों को झूठ बोलकर दूर जाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। उन्होंने भारत सरकार और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) से आरोपों की 'निष्पक्ष जांच' करने का आग्रह किया। श्रीलंका के पूर्व खेल मंत्री महिदानंदा अलुथगमागे ने कहा था कि श्रीलंकाई टीम ने फाइनल मैच में वर्ल्ड कप भारत को बेच दिया था।
7 विकेट से टीम इंडिया ने जीता था फाइनल
भारतीय टीम ने उस मैच को 275 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए 7 विकेट से अपने नाम किया था। भारतीय टीम ने अपनी पारी की शुरुआत में ही वीरेंद्र सहवाग और सचिन तेंदुलकर के विकेट जल्दी गंवा दिए थे। इसके बाद गौतम गंभीर और महेंद्र सिंह धोनी की शानदार पारियों की बदौलत भारतीय टीम 28 साल बाद विश्व कप पर कब्जा करने में सफल हुई थी।
जांच के बाद नहीं रहेगी गलतफहमी
डिसिल्वा ने मैच फिक्सिंग के आरोप और दावे की जांच करने का अनुरोध करते हुए कहा कि ऐसा करने से किसी के दिमाग में गलतफहमी नहीं रहेगी। ऐसे आरोप लोगों पर असर डालते हैं जिसमें भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी भी शामिल हैं जिन्होंने शानदार तरीके से खिताब पर कब्जा किया था। डिसिल्वा ने कहा, जब इस तरह के गंभीर आरोप लगाए जाते हैं तो इसका प्रभाव बहुत से लोगों पर पड़ता है। इस मामले में केवल हम नहीं बल्कि चयनकर्ता, खिलाड़ी और टीम मैनेजमेंट पर असर पड़ता है। यहां तक की खिताब जीतने वाली भारतीय टीम के खिलाड़ियों पर भी असर पड़ता है। हमें इस मामले को जांच करके हमेशा के लिए खत्म कर देना चाहिए। इससे हमारे चहेते खेल का ज्यादा भला होगा।
सचिन जैसे खिलाड़ी के लिए अनमोल है वो पल
उन्होंने आगे कहा, हम इस बार किसी भी व्यक्ति को ऐसे ही झूठ बोलकर नहीं जाने देंगे। मैं आईसीसी, बीसीसीआई और श्रीलंका क्रिकेट से अनुरोध करता हूं इस मामले की तत्काल जांच हो। जिस तरह हमने अपनी विश्व विजय पर खुश हुए थे, उसी तरह सचिन तेंदुलकर जैसे खिलाड़ियों ने इस क्षण को जीवन भर याद करेंगे। मुझे लगता है कि सचिन तेंदुलकर और करोड़ों भारतीय क्रिकेट प्रशंसकों के हितों को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार और उनके क्रिकेट बोर्ड की ये जिम्मेदारी है कि वो मामले की निष्पक्ष जांच कराएं कि क्या उन्होंने एक फिक्स विश्व कप में जीत हासिल की थी।
श्रीलंका सरकार दे चुकी है जांच के आदेश
हालांकि श्रीलंका सरकार ने पूर्व खेल मंत्री द्वारा लगाए गए आरोप की जांच का आदेश दे दिया है। अरविंद डिसिल्वा साल 2011 में विश्व कप के दौरान श्रीलंकाई चयन समिति में थे। उन्होंने पूर्व खेलमंत्री पर हमला करते हुए कहा, महिदानंदा अलुथगमागे की कोई विश्वसनीयता नहीं है और वो मनगठंत आरोप लगा रहे हैं। डिसिल्वा ने कहा, ये आरोप पूरी तरह फिल्मी हैं। यदि उन्हें किसी तरह का संदेह था तो उन्हें उसी समय आईसीसी की एंटी करपश्न यूनिट के पास जाना चाहिए था। एक ऐसा व्यक्ति जिसकी कोई इज्जत और विश्वसनीयता नहीं है वो उन सभी लोगों पर बेबुनियाद आरोप लगा रहा है जो उस मैच से जुड़े थे। लेकिन हमें ऐसे झूठे लोगों को ऐसे ही नहीं छोड़ना चाहिए। ऐसे लोग हमारी कठिन मेहनत से बनाई इज्जत पर पानी फेर रहे हैं।
संगकारा कर चुके हैं आरोपों को सिरे से खारिज
हालांकि साल 2011 में टीम के कप्तान रहे कुमार संगाकार ने पूर्व खेलमंत्री के फिक्सिंग के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है और उनसे अनुरोध किया है कि वो आईसीसी के पास अपना दावा पेश करें। संगकारा ने कहा, उन्हें आईसीसी के पास अपने दावा करने के लिए सबूत पेश करना होगा। इसके बाद उनके दावे की गहनता से जांच की जाएगी।
दो साल पहले रणातुंगा ने भी उठाए थे सवाल
यह 2011 विश्व कप फाइनल को लेकर किया गया मैच फिक्सिंग का पहला दावा नहीं है। इससे पहले श्रीलंका के पूर्व कप्तान अर्जुन रणातुंगा भी फाइनल में फिक्सिंग का आरोप लगा चुके हैं और जांच की मांग कर चुके हैं। रणातुंगा ने साल 2017 में कहा था कि फाइनल में हार के बाद मैं दुखी था और मेरे मन में एक शंका थी। हमें 2011 विश्व कप फाइनल की जांच करनी चाहिए थी कि आखिर श्रीलंका को क्या हो गया था।