- झारखंड ने नागालैंड के खिलाफ हासिल की 1008 रन की बढ़त
- प्रथम श्रेणी क्रिकेट इतिहास में पहली बार किसी टीम ने हासिल की 1 हजार से ज्यादा रनों की बढ़त
- पहली पारी में 591 रन की बढ़त हासिल करने के बाद भी झारखंड़ ने नागालैंड को नहीं दिया था फॉलोऑन
कोलकाता: झारखंड ने बुधवार को कोलकाता मे खेले जा रहे रणजी ट्रॉफी प्री-क्वार्टर फाइनल में नागालैंड के खिलाफ एक अनोखा रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया। पहली बार प्री-क्वार्टर फाइनल तक पहुंची नागालैंड के खिलाफ झारखंड के बल्लेबाजों ने रनों का पहाड़ खड़ा करके ऐसा रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया जो प्रथम श्रेणी क्रिकेट इतिहास में और कोई टीम नहीं कर पाई।
रणजी ट्रॉफी के प्री-क्वार्टर फाइनल मुकाबले के दौरान एक वक्त ऐसा आया जब झारखंड की नागालैंड की टीम के खिलाफ बढ़त 1008 रन की हो गई थी। ऐसा क्रिकेट इतिहास में कभी नहीं हुआ जब किसी एक टीम को एक हजार रन से ज्यादा की बढ़त विरोधी टीम के खिलाफ मैच में मिली हो। इस एकतरफा रिकॉर्ड की वजह से मुकाबले का मजाक भी खूब उड़ा।
क्रिकेट का इस मैच में उड़ा माखौल
इस मैच में बढ़त के आधार पर झारखंड की टीम ने क्वार्टर फाइनल में तो प्रवेश कर लिया। लेकिन पांच दिन तक चले मुकाबले में झारखंड ने विरोधी टीम के गेंदबाजी आक्रमण को 'अपमानित' करके खेल भावना का मजाक जरूर बनाया। ये काम उस टीम ने किया है जिसने विश्व क्रिकेट को महेंद्र सिंह धोनी जैसा सम्मानित और दिग्गज कप्तान दिया। हालांकि मैच के दौरान सौरभ तिवारी की कप्तानी वाली झारखंड की टीम ने कोई नियम तो नहीं तोड़ा। लेकिन क्रिकेट का माखौल इस मैच में जरूर उड़ा। अंत में अंपायरों ने मैच को ड्रॉ समाप्त करने का फैसला किया।
लोढ़ा समिति की अनुशंसाओं पर उठे सवाल
यह मैच इस बात का संकेत भी है कि कैसे उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त न्यायमूर्ति आरएम लोढ़ा समिति और पूर्व नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक विनोद राय की अगुवाई वाली प्रशासकों की समिति एक उचित प्रथम श्रेणी टीम और ऐसे क्षेत्र की टीम के बीच अंतर को नहीं समझ पाये जहां क्रिकेट प्राथमिक खेल नहीं है। झारखंड की टीम ने मैच में कुल 1297 रन बनाए। लोढ़ा समिति ने एक राज्य और एक टीम की अनुशंसा की थी।
पहली पारी में झारखंड ने हासिल की थी 591 रन की बढ़त
मैच में पहले बल्लेबाजी करने वाली झारखंड की टीम ने पहली पारी में 591 रन की विशाल बढ़त के आधार पर ही क्वार्टर फाइनल में जगह सुनिश्चित कर ली थी। झारखंड ने नागालैंड को पहली पारी में 289 रन पर समेटने के बावजूद फॉलोआन नहीं दिया। पांचवें और अंतिम दिन झारखंड की टीम दो विकेट पर 132 रन से आगे खेलने उतरी और दूसरे सत्र के बीच में ही मैच ड्रॉ कराने का फैसला किया।
पहली पारी में दोहरा शतक जड़ने वाले कुशाग्र ने बनाए 89 रन
पहली पारी में दोहरा शतक जड़ने वाले कुमार कुशाग्र के 104 गेंद में नौ चौकों और तीन छक्कों की मदद से 89 रन बनाकर आउट होते ही दोनों टीमों ने मैच ड्रॉ कराने का फैसला किया। यह झारखंड की दूसरी पारी का 91वां ओवर था और टीम ने दूसरी पारी में छह विकेट पर 417 रन बनाकर कुल 1008 रन की बढ़त हासिल कर दी थी जो प्रथम श्रेणी क्रिकेट के इतिहास में सर्वश्रेष्ठ है। मैच में झारखंड के बल्लेबाजों ने तीन शतक और एक दोहरा शतक जड़ा। पहली पारी में 59 रन बनाने वाले अनुकूल राय ने 164 गेंद में 17 चौकों और सात छक्कों से 159 रन की पारी खेली।
प्लेट ग्रुप में शार्ष पर रहा था नागालैंड
प्लेट ग्रुप में शीर्ष पर रही नगालैंड टीम ने पांच दिन में से अधिकांश समय क्षेत्ररक्षण करते हुए बिताया और इस दौरान 294 से अधिक ओवर गेंदबाजी की। झारखंड के कोच एसएस राव ने अपनी टीम के निर्णय का बचाव किया। उन्होंने पीटीआई से कहा, ‘‘रिकॉर्ड बनाना हमारा उद्देश्य नहीं था। ऐसा होता तो विराट सिंह, सौरभ तिवारी बल्लेबाजी करते। क्वार्टर फाइनल में जगह बनाने के लिये तीन अंक पर्याप्त थे। पिच सपाट थी इसलिए हमने निचले क्रम के बल्लेबाजों को मौका दिया।'
झारखंड से पहले सात एलीट ग्रुप में शीर्ष पर रहने वाली टीम बंगाल, मुंबई, कर्नाटक, पंजाब, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड पहले ही क्वार्टर फाइनल में जगह बना चुके हैं। रणजी ट्रॉफी क्वार्टर फाइनल आगामी आईपीएल के बाद खेले जाएंगे।