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कभी फैक्ट्री में काम करते थे कुमार कार्तिकेय सिंह, अब मध्‍यप्रदेश को अपनी फिरकी से बनाया चैंपियन

Updated Jun 27, 2022 | 11:00 IST

मध्य प्रदेश क्रिकेट टीम ने रविवार को इतिहास रचते हुए पहली बार रणजी ट्रॉफी का खिताब जीता। फाइनल में मध्य प्रदेश ने मजबूत मुंबई की टीम को हराया। मध्य प्रदेश की इस शानदार जीत में स्पिनर कुमार कार्तिकेय ने भी अहम भूमिका निभाई और दूसरी पारी में मुंबई के चार बल्लेबाजों को पवेलियन लौटाया। पहली पारी में एक विकेट लेने वाले कार्तिकेय ने कुल पांच विकेट मैच में झटके। आज भले ही कार्तिकेय स्टार खिलाड़ी हैं लेकिन एक वक्त ऐसा भी था, जब वह फैक्ट्री में काम कर गुजारा करते थे।

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तस्वीर साभार:&nbspTwitter
kumar kartikeya bowling
मुख्य बातें
  • 24 वर्षीय कार्तिकेय ने रणजी ट्रॉफी के फाइनल में कुल पांच विकेट चटकाए
  • क्रिकेटर बनने के लिए फिरकी गेंदबाज ने बचपन में घर छोड़ दिया था
  • गुजारा करने के लिए कार्तिकेय को फैक्ट्री में भी काम करना पड़ा

26 साल के स्पिनर कुमार कार्तिकेय सिंह के लिए रविवार का दिन उनकी जिंदगी का सबसे यादगार दिन बन गया है। मध्य प्रदेश के लिए खेलने वाले कार्तिकेय ने इस जीत में अहम भूमिका निभाई और मैच में कुल पांच विकेट झटके। आज भले ही कार्तिकेय एक जाना-पहचाना नाम है, लेकिन एक वक्त ऐसा भी था, जब वह मुसीबतों से जूझ रहे थे लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी।

बचपन में ही छोड़ना पड़ा घर

कार्तिकेय भले ही मध्य प्रदेश के लिए खेलते हैं लेकिन वह उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले के कुंवासी के रहने वाले हैं। उनके पिता सशस्त्र सेना बल में पीएसी में सिपाही है। कार्तिकेय क्रिकेटर बनना चाहते थे लेकिन उनके पिता चाहते थे कि वह पढ़ाई करें क्योंकि घर की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी। ऐसे में मजबूत इरादों वाले कार्तिकेय ने 15 साल की उम्र में घर छोड़ दिया। इसके बाद, कार्तिकेय दिल्ली आ गए, जहां उनका एक दोस्त राधेश्याम रहता था और क्रिकेट खेलता था। उसने काफी कोशिश की, कि कार्तिकेय को डीडीसीए लीग में खेलने का मौका मिले लेकिन ऐसा नहीं हो सका।

इस दिग्गज कोच ने की मदद

जब कार्तिकेय को कही से खेलने का मौका नहीं मिला तो उनका दोस्त उन्हें दिल्ली के नामी कोच संजय भारद्वाज के पास ले गया। संजय भारद्वाज ने गौतम गंभीर समेत कई बड़े क्रिकेटरों को कोचिंग दी थी। उन्होंने कार्तिकेय को एक ओवर नेट्स पर डालने के लिए कहा और इसी ओवर में वह इस युवा स्पिनर के मुरीद हो गए। इसके बाद, उन्होंने कार्तिकेय को कोचिंग देने का फैसला किया।

पेट भरने के लिए फैक्ट्री में नौकरी की

कार्तिकेय को पेट भरने के लिए एक फैक्ट्री में काम करना पड़ा। यह फैक्ट्री गाजियाबाद के पास थी। कार्तिकेय दिन में गेंदबाजी की प्रैक्टिस करते और रात में फैक्ट्री में काम करते। कई बार तो वह सिर्फ चंद पैसे बचाने के लिए गाजियाबाद से दिल्ली पैदल ही आते थे, तकि बचे हुए पैसों से बिस्कुट खरीद कर खा सकें। इस बारे में जब एक दिन कोच संजय भारद्वाज को पता चला तो उन्होंने कार्तिकेय को अकादमी के कुक के साथ ही रहने का बंदोबस्त कर दिया। 

इसलिए मध्य प्रदेश के लिए खेले

लगातार शानदार गेंदबाजी से कार्तिकेय का नाम दिल्ली में चमकने लगा। उन्होंने दिल्ली की रणजी टीम में जगह बनाने की कोशिश की लेकिन सफल नहीं हुए। ऐसे में संजय ने उन्हें मध्य प्रदेश की टीम से खेलने की सलाह दी क्योंकि वहां जगह खाली थी। इस तरह से उत्तर प्रदेश के रहने वाले और दिल्ली में क्रिकेट के गुर सीखने वाले कार्तिकेय ने रणजी करियर मध्य प्रदेश की टीम से शुरू किया। कार्तिकेय ने अब तक कुल 12 प्रथम श्रेणी मैच खेले हैं और 55 विकेट चटकाए हैं। उन्हें आईपीएल के पिछले सीजन मुंबई इंडियंस ने 20 लाख रुपये में अपनी टीम में शामिल किया। 

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