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Frankly speaking with Navika Kumar: संन्यास के बाद मिताली ने खोले दिल के 'राज', 2017 विश्व कप के बाद बदली महिला क्रिकेट की तस्वीर

Updated Jun 11, 2022 | 23:38 IST

हाल ही में 23 साल लंबे क्रिकेट करियर को अलविदा कहने वाली भारतीय महिला क्रिकेट की कप्तान मिताली राज ने टाइम्स नाउ नवभारत की एडिटर इन चीफ नाविका कुमार के साथ Frankly speaking में अपने दिल के राज साझा किए। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश...

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मुख्य बातें
  • मिताली राज ने 23 साल लंबे करियर का बुधवार को कहा अलविदा
  • 1999 में किया था 16 साल की उम्र में भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय डेब्यू
  • 2017 के विश्व कप के बाद भारत और दुनिया में बदल गई महिला क्रिकेट की तस्वीर और तकदीर

नई दिल्ली: भारतीय महिला क्रिकेट टीम की स्टार खिलाड़ी और कप्तान मिताली राज ने हाल ही में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया। साल 1999 में 16 साल की उम्र में टीम इंडिया के लिए डेब्यू करने वाली मिताली राज ने 23 साल भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया और कई कीर्तिमान अपने नाम किए। न्यूजीलैंड में आयोजित महिला विश्व कप में मिताली की कप्तानी में भारतीय टीम सेमीफाइनल में नहीं पहुंच सकी थी। उसी टूर्नामेंट में मिताली आखिरी बार भारतीय जर्सी पहनकर खेलती नजर आई थीं।

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहने के बाद मिताली राज ने टाइम्स नाउ नवभारत की एडिटर इन चीफ नाविका कुमार के साथ अपने क्रिकेटर करियर, विवादों और उसमें आए उतार-चढ़ाव के बारे में खुलकर बात की, प्रस्तुत हैं मिताली राज के साथ नाविका कुमार की बातचीत के मुख्य अंश...

विश्व कप से पहले थी संन्यास की योजना
मिताली राज ने अपने संन्यास के बारे में बड़ा राज साझा करते हुए कहा, मेरा संन्यास का प्लान वर्ल्ड कप से पहले का था। मेरा सपना इस बार के वर्ल्ड कप में खेलना था। मैंने जैसा सोचा था ये विश्व कप हमारे लिए वैसा नहीं गया। लेकिन विश्व कप से वापस लौटने के बाद मैंने संन्यास का मन बना लिया था और फिर संन्यास का ऐलान कर दिया।

क्रिकेट ने बहुत कुछ दिया अब देना चाहती हूं वापस
मिताली ने बताया कि उन्होंने बीसीसीआई को संन्यास के फैसले की जानकारी पहले ही दे दी थी। उन्होंने कहा, मैंने बोर्ड को संन्यास के फैसले की जानकारी पहले ही दे दी थी। केवल आधिकारिक तौर पर इसका ऐलान करना बाकी था जो मैनें बुधवार को कर दिया। संन्यास के बाद की योजनाओं के बारे में मिताली ने कहा, इस खेल ने मुझे बहुत कुछ दिया है, मैं खेल को कुछ वापस देना चाहती हूं। संन्यास के बाद भी खिलाड़ियों को पास कई ऑप्शन होते हैं। और वो काम मैं करना चाहती हूं। अब यह देखना है कि मेरे लिए कौन से रास्ते खुलते हैं।
 
2017 के बाद मिलने लगा महिला क्रिकेटरों को सम्मान
बतौर महिला क्रिकेटर 23 साल लंबे सफर के बारे में मिताली ने कहा, मेरा रास्ता कठिन जरूर था, लेकिन यह समझना भी जरूरी था कि समाज महिला क्रिकेटरों को किस तरह लेता है। शुरुआत में समाज ने बहुत सवाल खड़े किए लेकिन अब पूरी दुनिया में मेरा नाम हो रहा है। साल 2017 में मिताली की कप्तानी में फाइनल में पहुंची थी। ऐसे में मिताली ने कहा कि पिछले कुछ सालों में महिला क्रिकेट में बहुत बदलाव हुआ है। साल 2017 के महिला विश्व कप के बाद तस्वीर बदल गई है। अब लोग महिला क्रिकेटरों का सम्मान करने लगे हैं। ये सफर और आगे बढ़ेगा। 

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महिला क्रिकेट को लेकर लोगों को रुख में बदलाव की और है जरूरत 
मिताली ने महिला क्रिकेट को मिलने वाली अहमियत के बारे में कहा, इसमें सुधार की अभी भी जरूरत है, जो भविष्य में होगा। मैं कभी भी तुलना के पक्ष में नहीं रही हम लोगों की सोच को नहीं बदल सकते, ये बदलाव समाज को मिलकर करना है। जब महिला टीम हारती है तो हमें टारगेट किया जाता है। हमारी तुलना जेंडर के हिसाब से होती है हमारे बारे में नकारात्मक बातें की जाती हैं। लेकिन पुरुष टीम के साथ ऐसा नहीं होता है। ये देखकर पहले गुस्सा आता था लेकिन अब नहीं आता। पुरुष खिलाड़ियों  के साथ तुलना करने मुझे अब फर्क नहीं पड़ता। इतने लंबे सफर में कई बार अन्याय का समना करना पड़ा है लेकिन मैं हमेशा अपने उद्देश्य के बारे में सोचती हूं। 

शादी का था दबाव लेकिन पिता और भाई ने दिया साथ 
अब तक शादी नहीं करने के फैसले  के बारे में मिताली ने कहा, मैं भी उस दौर से गुजरी हूं। मेरे घर में शादी के लिए दबाव बनाया गया। कप्तान बनने के बाद भी रिश्तेदार शादी की बात करते थे वो चाहते थे कि मैं सेटल हो जाऊं। लोगों के लिए कप्तान बनना भी काफी नहीं था। मैं अपने करियर के लिए बहुत सीरियस थी। मैं करियर को वरीयता देने वाली व्यक्ति हूं। परिवार की तरफ से इमोशनल चीजें होती हैं। लेकिन इस दौरान मेरे पिता और भाई ने मेरा साथ दिया।

बायोपिक को लेकर हैं चिंतित 
अपने ऊपर बनने वाली फिल्म शाबास मिट्ठू के बारे में मिताली ने कहा, हर कोई जानता है कि वो खुद कैसा है। लेकिन दूसरे लोग आपके बारे में क्या सोचते हैं ये वो नहीं जानता। फिल्म में बातें उभरकर सामने आएंगी। मैं अपने कैरेक्टर में खुद को देखना चाहती हूं।

अनुशासन के माहौल में हुई क्रिकेट की शुरुआत
आलसी होने की वजह से क्रिकेट की शुरुआत के बारे में मिताली ने कहा, पिता एयरफोर्स में थे तो घर में बहुत अनुशासन था। मैं घर में सबसे देर से उठती थी। लेकिन क्रिकेट की वजह से बाद में मैं जल्दी उठने लगी।  लेकिन अब जल्दी उठने की आदत हो गई है। आप नहीं उठना चाहते हैं फिर भी उठना पड़ता है। भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट संबंधों की बहाली को लेकर मिताली ने कहा, यह बोर्ड को तय करना है भारत-पाक मैच हो या नहीं।

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शेफाली और यास्तिका में है खेल को आगे ले जाने की प्रतिभा
कौन से प्रतिभाशाली खिलाड़ी टीम में हैं।  खेल में बहुत सी नई और टैलेंटेड लड़कियां हैं। शेफाली वर्मा प्रतिभाशाली हैं। यास्तिका भाटिया में प्रतिभा हैं। टीम में ये लड़कियां 8 या 9 साल और खेल सकती हैं। महिला क्रिकेट का स्टैंडर्ड बदल रहा है। आप इन लोगों को अगले महिला IPL में देखेंगे। 

फेवरेट पुरुष खिलाड़ी का चुनाव है मुश्किल 
कौन सा पुरुष खिलाड़ी फेवरेट है इसके जवाब में मिताली ने कहा, बहुत से खिलाड़ी हैं जिनमें से चुनाव कर पाना मुश्किल हैं। पुरुषों के क्रिकेट की तो अब दो तीन टीम बन सकती हैं। पुरुष क्रिकेट में भी बहुत टैलेंटेड खिलाड़ी हैं। IPL ने पुरुषों के क्रिकेट को ऊंचाई पर पहुंचाया। उम्मीद है महिला IPL भी यही करेगा।

मिताली ने महिला टीम को श्रीलंका टूर के लिए शुभकामनाएं दीं। कॉमनवेल्थ के लिए भी शुभकामनाएं। उन्होंने कहा, मैं आगे भी महिला टीम की ग्रोथ पर पैनी निगाह रखूंगी। उन्होंने युवा खिलाड़ियों को बड़े सपने देखने और कड़ी मेहनत करने की सलाह दी।

तापसी अच्छी एक्टर हैं क्रिकेटर नहीं
मेरी बायोपिक के लिए मैं नर्वस हूं। तापसी की एक्टिंग बहुत अच्छी है। वो अच्छी एक्टर हैं क्रिकेटर नहीं। लेकिन उन्होंने अपनी ओर से अच्छी कोशिश की है। 

अच्छे मुकाम पर क्रिकेट को कहा है अलविदा 
मिताली की क्या लीगेसी है इसके जवाब उन्होंने कहा, आज महिला क्रिकेट जिस मुकाम पर है उसे देखकर मैं खुश हूं। मैं चाहती हूं को वो और आगे बढ़े और बड़ा बने। मैं महिला क्रिकेट को ऊंचे मुकाम पर छोड़कर जा रही हूं। 

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