- महान सचिन तेंदुलकर ने किया डीआरएस का बचाव
- तेंदुलकर ने कहा कि टेक्नोलॉजी और मनुष्य दोनों 100 प्रतिशत सही फैसला नहीं दे सकते हैं
- तेंदुलकर ने कहा कि अंपायर्स कॉल पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं होनी चाहिए
मुंबई: महान बल्लेबाजों सचिन तेंदुलकर और ब्रायन लारा ने शनिवार को निर्णय समीक्षा प्रणाली (डीआरएस) के विषय पर बातचीत की और इस बारे में विचार किया कि कोविड-19 महामारी के दौरान खेले जा रहे टेस्ट क्रिकेट में प्रत्येक टीम के पास रिव्यू की संख्या बढ़नी चाहिए। बता दें कि टेस्ट क्रिकेट में अभी प्रत्येक टीम को पारी में दो रिव्यू लेने की अनुमति होती है। तेंदुलकर ने आईसीसी के फैसले से सहमति जताई कि टेस्ट क्रिकेट में रिव्यू की संख्या दो से बढ़ाकर तीन कर देनी चाहिए, लेकिन एलबीडब्ल्यू नियम के वह खिलाफ हैं, जहां गेंद का 50 प्रतिशत हिस्सा स्टंप्स पर लगना चाहिए ताकि तीसरा अंपायर मैदानी अंपायर के फैसले को बदल सके।
इस नियम से खुश नहीं तेंदुलकर
तेंदुलकर ने कहा कि अगर गेंद स्टंप्स को छू भी रही हो तो फैसला गेंदबाज के पक्ष में दिया जाना चाहिए। वेस्टइंडीज के दिग्गज बल्लेबाज ब्रायन लारा से वीडियो चैट पर बातचीत करते हुए तेंदुलकर ने कहा, 'आईसीसी की एक बात से मैं सहमत नहीं हूं कि डीआरएस का जिस तरह इस्तेमाल हो रहा है। वो है एलबीडब्ल्यू, जहां अगर गेंद का 50 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा स्टंप्स पर टकराता है तो ही तीसरा अंपायर फिर मैदानी अंपायर के फैसले को बदल सकता है। बल्लेबाज या गेंदबाज यही सोचकर अपनी जगह जाता है कि मैदानी अंपायर का फैसला सही नहीं था। इसलिए जब फैसला तीसरे अंपायर के पास जाए, तो फिर टेक्नोलॉजी को देखने दीजिए, जैसे टेनिस में होता है कि गेंद अंदर होगी या बाहर। कोई बीच का रास्ता ही नहीं।'
तेंदुलकर ने आगे कहा, 'मुझे पता है कि कई लोग कहेंगे कि टेक्नोलॉजी 100 प्रतिशत सही नहीं है, लेकिन मनुष्य भी तो 100 प्रतिशत सही नहीं है। इसलिए अगर आपने टेक्नोलॉजी का उपयोग करने का फैसला कर लिया है तो फिर उस पर कायम रहिए। टेक्नोलॉजी में भी आपको गेंद की कई चीजें देखनी होगी कि गेंद सीधे स्टंप्स पर तो नहीं लग रही। अगर बल्लेबाज बीच में खड़ा है, तो कई चीजों का ध्यान देना होगा जैसे टर्न, उछाल, स्विंग सभी चीजें। मगर आपको इन सभी का पालन करते हुए टेक्नोलॉजी पर ही निर्भर रहना होगा।'
अंपायरिंग में हुई जमकर गलतियां
बता दें कि डीआरएस को खेल में इसलिए लाया गया था ताकि अंपायरों की गलती से मुक्ति मिल सके। मगर इंग्लैंड और वेस्टइंडीज के बीच जारी पहले टेस्ट में अंपायरों की कई गलतियां देखने को मिली। कोविड-19 दिशा-निर्देशों ने आईसीसी को स्थानीय अंपायर के नियम का पालन करने पर मजबूर किया है। ऐसे में रिचर्ड केटलब्रॉ और रिचर्ड इलिंगवर्थ साउथैंप्टन टेस्ट में अंपायरिंग कर रहे हैं। दोनों अंपायरों ने पहले तीन दिनों में करीब 5 गलत फैसले सुनाए।
केटलब्रॉ और इलिंगवर्थ को आप गैरअनुभवी भी नहीं कह सकते क्योंकि दोनों ने क्रमश: 64 और 47 टेस्ट मैचों में अंपायरिंग की है। इस मुकाबले में तो तीसरे अंपायर भी दबाव में आ गए थे।