- सचिन तेंदुलकर ने बताया कि उन्हें करियर में दो मलाल क्या रहे
- तेंदुलकर ने बताया कि वह सुनील गावस्कर के साथ नहीं खेल सके
- तेंदुलकर को सर विव रिचर्ड्स के खिलाफ नहीं खेलने का मलाल भी है
मुंबई: भारत के पूर्व बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर क्रिकेट इतिहास के सर्वकालिक महान बल्लेबाजों की लिस्ट में शामिल हैं। क्रिकेट फैंस ने तेंदुलकर को कई नाम दिए हैं जैसे- क्रिकेट का भगवान, मास्टर ब्लास्टर आदि। तेंदुलकर वनडे और टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा रन और सर्वाधिक शतक लगाने वाले बल्लेबाज हैं। 2013 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहने वाले तेंदुलकर ने अपने करियर में लगभग हर ऊंचाई हासिल की। हालांकि, एक इंटरव्यू में तेंदुलकर ने खुलासा किया कि उन्हें अपने स्वर्णिम क्रिकेट करियर में किन दो चीजों का मलाल रहा।
महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर किसी भी गेंदबाज के लिए बुरे सपने से कम नहीं थे। उन्होंने अपने करियर में वसीम अकरम, वकार यूनिस, ग्लेन मैक्ग्रा सहित कई दिग्गज गेंदबाजों का सामना किया। क्रिकेट में तेंदुलकर के कुछ ऐसे रिकॉर्ड्स हैं, जिनका लंबे समय तक टूटना मुश्किल है।
रह गए ये दो मलाल
हाल ही में सचिन तेंदुलकर ने एक इंटरव्यू में अपने करियर में रहे दो मलाल के बारे में खुलासा किया। मास्टर ब्लास्टर ने कहा कि उनका पहला मलाल है कि कभी सुनील गावस्कर के साथ खेलने का मौका नहीं मिला। पूर्व ओपनर ने कहा कि गावस्कर उनके बल्लेबाजी की हीरो थे। मगर लिटिल मास्टर ने सचिन तेंदुलकर के डेब्यू करने से कुछ समय पहले क्रिकेट से संन्यास ले लिया था।
तेंदुलकर ने क्रिकेट डॉट कॉम को कहा, 'मुझे दो मलाल रहे। पहला कि मुझे कभी सुनील गावस्कर के साथ खेलने का मौका नहीं मिला। जब मैं बड़ा हो रहा था तब गावस्कर मेरे बल्लेबाजी के हीरो थे। उनके साथ नहीं खेल पाने का मुझे हमेशा मलाल रहा। मेरे डेब्यू करने से कुछ साल पहले गावस्कर ने संन्यास ले लिया था।'
तेंदुलकर ने बताया कि अपने करियर के दौरान उन्हें दूसरा मलाल इस बात का रहा कि इंटरनेशनल क्रिकेट में उन्हें कभी वेस्टइंडीज के महान बल्लेबाज सर विव रिचर्ड्स के खिलाफ खेलने का मौका नहीं मिला। तेंदुलकर ने बताया कि रिचर्ड्स के खिलाफ वह काउंटी क्रिकेट में खेल चुके हैं, जिन्होंने 1991 में संन्यास लिया था।
तेंदुलकर ने कहा, 'मेरा दूसरा मलाल है कि अपने बचपन के हीरो सर विव रिचर्ड्स के खिलाफ इंटरनेशनल क्रिकेट में नहीं खेला। मैं भाग्यशाली रहा कि काउंटी क्रिकेट में उनके खिलाफ खेलने का मौका मिला, लेकिन अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में उनके खिलाफ नहीं खेल पाने का मलाल रहा। सर रिचर्ड्स 1991 में रिटायर हुए और मेरा करियर भी तब शुरू हो गया था, लेकिन हम तब भी एक-दूसरे के खिलाफ नहीं खेल सके।'