- विश्व कप फाइनल में धोनी को पहले बल्लेबाजी पर भेजने की रणनीति तेंदुलकर की थी
- विराट कोहली के आउट होने के बाद युवराज की जगह धोनी पांचवें नंबर पर बल्लेबाजी करने उतरे थे
- भारत ने 28 साल का सूखा खत्म करते हुए विश्व कप का खिताब जीता था
मुंबई: वानखेड़े स्टेडियम दर्शकों से खचाखच भरा हुआ था। शोर गुल और ढेरों उम्मीदों के बीच भारतीय खिलाड़ी 275 रन के लक्ष्य का पीछा करने में जुटे हुए थे। विराट कोहली के आउट होते ही दर्शक हैरान दिखते हैं कि उन्हें एक और झटका भारतीय कप्तान एमएस धोनी की तरफ से लगता है। युवराज सिंह की जगह भारतीय कप्तान एमएस धोनी बल्लेबाजी करने के लिए उतरते हैं। युवराज की नंबर-5 पर जगह पक्की थी, लेकिन किस्मत को उस दिन कुछ और ही मंजूर था। धोनी ऊपर बल्लेबाजी करने आए और 78 गेंदों में नाबाद 91 रन बनाकर भारत को श्रीलंका के खिलाफ 2011 विश्व कप फाइनल में जीत दिलाई।
भारत ने 28 साल का सूखा खत्म करते हुए विश्व कप की ट्रॉफी उठाई थी। भारत पहला देश बना था, जिसने टूर्नामेंट की मेजबानी करते हुए खिताब जीता। इससे पहले ये काम कोई और देश नहीं कर सका था। इस ऐतिहासिक दिन के करीब 9 साल बाद महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने एक खुलासा किया कि पूर्व ओपनर वीरेंद्र सहवाग के साथ मिलकर उन्होंने अचानक एक रणनीति बनाई, जो कारगर साबित हुई।
वीरू को मिला आदेश
तेंदुलकर ने बताया कि आखिर उस दिन धोनी को युवराज से पहले जाने के लिए क्यों कहा गया था। महान बल्लेबाज ने उस घटना को याद करते हुए बताया, 'गौतम और विराट के बीच साझेदारी अच्छी हो रही थी। हम विरोधी टीम से कुछ कदम आगे रहना चाहते थे। तब मैंने वीरू से कहा कि अगर बाएं हाथ का बल्लेबाज आउट हो तो उसकी जगह लेफ्ट हेंड बल्लेबाज ले। ऐसा ही दाएं हाथ के बल्लेबाज के साथ भी हो। युवी शानदार फॉर्म में था, लेकिन श्रीलंका दो ऑफ स्पिनर्स के साथ खेल रहा था। मुझे लगा कि रणनीति में बदलाव से मदद मिलेगी।'
श्रीलंका पूरी तरह हो गया बाहर
इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए सहवाग ने कहा कि इस बदलाव से श्रीलंका पूरी तरह फाइनल से बाहर हो गया। वीरू ने कहा, 'सचिन तेंदुलकर ने सही कहा था। बाएं-दाएं हाथ संयोजन जारी रहना चाहिए। रणनीति में बदलाव के कारण श्रीलंका पूरी तरह मुकाबले से बाहर हो गया।' सचिन ने इस फैसले के पीछे तर्क समझाने के बाद सहवाग से कहा कि बालकनी में जाओ और एमएस से यह बात बोलो।
तेंदुलकर ने कहा, 'श्रीलंका के गेंदबाजी आक्रमण में दो ऑफ स्पिनर्स थे। इसलिए बाएं-दाएं हाथ बल्लेबाज की योजना कारगर साबित हो सकती थी। गौतम शानदार बल्लेबाजी कर रहा था और धोनी जैसा बल्लेबाज लगातार स्ट्राइक रोटेट करने वालों में से था। मैंने फिर वीरू से कहा, तू ओवर्स के बीच में सिर्फ ये बात बाहर जाकर एमएस को बोल और अगला ओवर शुरू होने से पहले वापस आजा। मैं यहां से नहीं हिलने वाला।'
बन गई रणनीति
सहवाग ने कहा, 'तेंदुलकर की बात पूरी भी नहीं हुई थी कि हमने देखा एमएस धोनी ड्रेसिंग रूम की तरफ आ रहे हैं। तब सचिन तेंदुलकर ने पूरी बात एमएस धोनी को मेरे सामने ही कही। मैंने एमएस से इस बात को मानने के लिए कहा। वह फिर कोच गैरी कर्स्टन के पास गए, जो बाहर बैठे थे। फिर गैरी आए और हम चारों ने इस संबंध में बातचीत की। गैरी भी सहमत हुए कि ऐसा करना सही होगा। एमएस भी सहमत थे और बल्लेबाजी करने ऊपर आए।'
भारतीय टीम के लिए यह फैसला मास्टरस्ट्रोक साबित हुए क्योंकि धोनी ने गौतम गंभीर के साथ निर्णायक साझेदारी की। धोनी ने नुवान कुलशेखरा की गेंद पर छक्का जमाकर भारत के 28 साल का सूखा खत्म किया था।