मुंबई: दिग्गज क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर का मानना है कि खेलों में किसी खिलाड़ी को उसकी पृष्ठभूमि नहीं बल्कि मैदान पर प्रदर्शन पहचान दिलाता है। सर्वकालिक महान क्रिकेटरों में से एक तेंदुलकर ने कई रिकार्ड अपने नाम करने के बाद 2013 में संन्यास ले लिया था। तेंदुलकर ने कहा, 'जब भी हम ड्रेसिंग रूप में प्रवेश करते हैं तो वास्तव में यह मायने नहीं रखता कि आप कहां से आये हैं। आप देश के किस हिस्से से आये हैं और आपका किससे क्या संबंध है। यहां सभी के लिये समान स्थिति होती है।'
'खेल लोगों को एकजुट करता है'
उन्होंने ‘अनएकेडमी’ का ब्रांड एंबेसडर बनने के बाद पीटीआई-भाषा से वर्चुअल बातचीत में कहा, 'खेल में मैदान पर आपके प्रदर्शन के अलावा किसी अन्य चीज को मान्यता नहीं मिलती है।' तेंदुलकर ने कहा कि खेल नई पहल से लोगों को एकजुट करता है। उन्होंने कहा, 'आप एक व्यक्ति के रूप में वहां हैं। ऐसा व्यक्ति जो टीम में योगदान देना चाहता है। हम यही तो करना चाहते हैं, अपने अनुभवों को साझा करना करना। विभिन्न स्कूलों और बोर्ड का हिस्सा होने के नाते मैं अलग अलग तरह के प्रशिक्षकों से मिलता हूं। मैं स्वयं बहुत कुछ सीखता हूं और ये वे अनुभव हैं जिन्हें मैं साझा करना चाहता हूं।
'अपने सपनों का पीछा करते रहें'
उन्होंने विद्यार्थियों से अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिये अतिरिक्त प्रयास करने की सलाह दी। तेंदुलकर ने कहा, 'अपने सपनों का पीछा करते रहें, सपने सच होते हैं। कई बार हमें लगता है कि अब कुछ नहीं हो सकता लेकिन ऐसा कभी नहीं होता, इसलिए अतिरिक्त प्रयास करें और आप अपने लक्ष्य हासिल कर लोगे।' उन्होंने अपने स्वर्गीय पिता रमेश तेंदुलकर को याद किया जो कि प्रोफेसर थे। तेंदुलकर ने कहा, 'जब हम पहुंच के बारे में बात करते हैं तो मुझे अपने पिताजी याद आते हैं जो प्रोफेसर थे और मुंबई के एक छोर से दूसरे छोर तक यात्रा करते थे और वह लगातार अपने विद्यार्थियों को पढ़ाने में व्यस्त रहे।'