नई दिल्लीः आज से ठीक 30 साल पहले ही सचिन तेंदुलकर ने वो शतक जड़ा था जिसने एक बेहतरीन करियर की नींव तैयार कर दी थी। वो शतक इसलिए भी खास था क्योंकि उसके दम पर भारत ने मैच बचाया था, वो मैच तो इंग्लैंड में मैनचेस्टर के खिलाफ था लेकिन उस पहले सैकड़े की नींव सियालकोट में ही पड़ गई थी। सचिन ने उस शतक और पाकिस्तान के खिलाफ मिली सीख के बारे में खुलकर बात की है।
स्वतंत्रता दिवस से एक दिन पहले
तेंदुलकर ने अपने सौ शतकों में से पहला शतक 14 अगस्त 1990 को लगाया। वह पांचवें दिन 119 रन बनाकर नाबाद रहे और भारत को हार से बचाया। उन्होंने अपने पहले शतक की 30वीं सालगिरह पर पीटीआई से कहा ,‘‘मैने 14 अगस्त को शतक बनाया था और अगला दिन स्वतंत्रता दिवस था तो वह खास था। अखबारों में हेडलाइन अलग थी और उस शतक ने श्रृंखला को जीवंत बनाये रखा।’’
वकार का बाउंसर और नाक से निकला खून
यह पूछने पर कि वह कैसा महसूस कर रहे थे , उन्होंने कहा ,‘‘टेस्ट बचाने की कला मेरे लिये नयी थी ।’’ उन्होंने हालांकि कहा कि पाकिस्तान के खिलाफ वकार युनूस का बाउंसर लगने के बाद नाक से खून बहने के बावजूद बल्लेबाजी करते रहने पर उन्हें पता चल गया था कि वह मैच बचा सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘सियालकोट में मैने चोट लगने के बावजूद 57 रन बनाये थे और हमने वह मैच बचाया जबकि चार विकेट 38 रन पर गिर गए थे । वकार का बाउंसर और दर्द में खेलते रहने से मैं मजबूत हो गया।’’
मैं जताना नहीं चाहता था कि दर्द हो रहा है
मैनचेस्टर टेस्ट में भी डेवोन मैल्कम ने तेंदुलकर को उसी तरह की गेंदबाजी की थी। तेंदुलकर ने कहा ,‘‘ डेवोन और वकार उस समय सबसे तेज गेंदबाज हुआ करते थे । मैने फिजियो को नहीं बुलाया क्योंकि मैं यह जताना नहीं चाहता था कि मुझे दर्दहो रहा है । मुझे बहुत दर्द हो रहा था।’ उन्होंने कहा ,‘‘ मुझे शिवाजी पार्क में खेलने के दिनों से ही शरीर पर प्रहार झेलने की आदत थी । आचरेकर सर हमें एक ही पिच पर लगातार 25 दिन तक खेलने को उतारते थे जो पूरी तरह टूट फूट चुकी होती थी । ऐसे में गेंद उछलकर शरीर पर आती थी।’’
मैंने और मनोज ने साथ में कहा- हम ये कर सकते हैं
यह पूछने पर कि क्या उन्हें आखिरी घंटे में लगा था कि टीम मैच बचा लेगी, उन्होंने कहा ,‘‘ बिल्कुल नहीं । हम उस समय क्रीज पर आये जब छह विकेट 183 रन पर गिर चुके थे । मैने और मनोज प्रभाकर ने साथ में कहा कि ये हम कर सकते हैं और हम मैच बचा लेंगे।’’ उस मैच की किसी खास याद के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा ,‘‘ मैं सिर्फ 17 साल का था और मैन आफ द मैच पुरस्कार के साथ शैंपेन की बोतल मिली थी । मैं पीता नहीं था और मेरी उम्र भी नहीं थी । मेरे सीनियर साथियों ने पूछा कि इसका क्या करोगे।’’ उन्होंने बताया कि उस शतक के बाद उनके साथी खिलाड़ी संजय मांजरेकर ने उन्हें सफेद कमीज तोहफे में दी थी और वह भावविभोर हो गए थे।