- शोएब अख्तर को मलाल है कि उन्होंने एमएस धोनी को बीमर गेंद डाली थी
- अख्तर ने 2006 में फैसलाबाद टेस्ट के दौरान धोनी को बीमर गेंद डाली थी
- एमएस धोनी ने पाक तेज गेंदबाज ने अपनी हरकत के लिए माफी मांगी थी
नई दिल्ली: पाकिस्तान के पूर्व तेज गेंदबाज शोएब अख्तर ने स्वीकार किया कि उन्हें 2006 में फैसलाबाद में खेले गए टेस्ट में भारत के विकेटकीपर बल्लेबाज एमएस धोनी को जानबूझकर बीमर गेंद डालने का मलाल है। फैसलाबाद में खेले गए सीरीज के दूसरे टेस्ट की पहली पारी में एमएस धोनी अपने टेस्ट करियर का पहला शतक जमाया था। उन्होंने 148 रन की पारी के दौरान 19 चौके और चार छक्के जमाए थे। दरअसल, अपनी पारी के दौरान एमएस धोनी ने शोएब अख्तर की जमकर धुनाई की थी।
भारतीय विकेटकीपर बल्लेबाज एमएस धोनी ने शोएब अख्तर के एक ओवर में तीन चौके जमा दिए थे। इससे आगबबूला होकर शोएब अख्तर राउंड द विकेट से गेंदबाजी करने आए और भारतीय बल्लेबाज एमएस धोनी को बीमर गेंद डाली। यह गेंद विकेट से थोड़ी बाहर थी और भारतीय टीम को वाइड व चौका मिलाकर कुल 5 रन मिले।
शोएब अख्तर ने जानबूझकर एमएस धोनी को डाली थी बीमर
रावलपिंडी एक्सप्रेस के नाम से मशहूर शोएब अख्तर ने आकाश चोपड़ा के साथ बातचीत में 14 साल बाद स्वीकार किया कि उन्होंने जानबूझकर एमएस धोनी को बीमर गेंद डाली थी, जो निराशा में फेंकी गई थी। शोएब अख्तर ने कहा, 'मेरे ख्याल से फैसलाबाद में मैंने 8-9 ओवर का गेंदबाजी स्पेल डाला था। मैंने तेज गेंदे डाली थी और एमएस धोनी ने शतक जमाया था। मैंने जानबूझकर एमएस धोनी को बीमर गेंद डाली और फिर बाद में उनसे माफी मांगी थी।'
शोएब अख्तर ने आगे कहा, 'यह मेरी जिंदगी का पहला मौका था जब मैंने जानबूझकर बीमर गेंद डाली थी। मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था। मुझे इसका पछतावा है। एमएस धोनी बहुत अच्छा खेल रहा था और पिच बहुत धीमी हो चुकी थी। हालांकि, मैंने अपनी तरफ से तेज गेंदे डाली, लेकिन एमएस धोनी ने अच्छे शॉट घुमाए। मेरे ख्याल से तब मैं निराश हो गया था।'
एमएस धोनी का पाकिस्तान के खिलाफ संयोग
उल्लेखनीय है कि एमएस धोनी ने अपना पहला वनडे व टेस्ट शतक दोनों प्रारूपों के पांचवें मैच में ठोका। दोनों प्रारूपों में उन्होंने पहला शतक जमाते समय 148 रन बनाए और दोनों ही शतक पाकिस्तान के खिलाफ बनाए। बहरहाल, शोएब अख्तर ने इस सीरीज के बारे में एक और खुलासा किया कि वो चोटों से जूझ रहे थे और इसी वजह से तीन टेस्ट में केवल 4 विकेट ले पाए थे। तेज गेंदबाज ने कहा कि 1997 में ही उनके घुटने जवाब दे चुके थे, लेकिन फिर इंजेक्शन की बदौलत वह अगले 10 साल और खेले।
शोएब अख्तर ने कहा, 'जो हवा में उछलता था, वो दो-तीन साल बाद बंद हो गई थी। मेरे घुटने मुझे अपने घुटनों पर ले आए थे। मेरे घुटने 1997 के बाद खराब हो गए थे। मैंने फिर भी लड़ाई की और नियमित तौर पर इंजेक्शन लेते हुए खेलना जारी रखा। मुझे याद है कि जब भारतीय टीम पाकिस्तान दौरे पर आई थी तब मेरे बाएं पैर में चोट थी।'