- गांगुली ने बताया कि एमएस धोनी को उनके पांचवें वनडे में तीसरे नंबर पर क्यों भेजा गया था
- एमएस धोनी ने विशाखापत्तनम में खेले गए वनडे मैच में 123 गेंदों में 148 रन की पारी खेली थी
- एमएस धोनी के करियर को आकार देने में गांगुली ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी
नई दिल्ली: महेंद्र सिंह धोनी का नाम लंबे समय तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में याद रखा जाएगा। 15 अगस्त को इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास की घोषणा करने वाले एमएस धोनी ने पिछले डेढ़ साल से कोई प्रतिस्पर्धी मैच नहीं खेला था, लेकिन इसके बावजूद वह सुर्खियों में बने हुए थे। पूर्व भारतीय कप्तान की एक झलक पाने के लिए उनके फैंस में उत्सुकता बरकरार रहती है और उनसे जुड़े अपडेट्स पाना लगभग हर क्रिकेट फैन को पसंद है। जब से धोनी ने इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास लिया है, तब से विकेटकीपर बल्लेबाज को उनके शानदार करियर के लिए चारों तरफ से बधाइयां मिल रही है। एमएस धोनी ने कप्तान, मैच फिनिशर, बेहतरीन बल्लेबाज और विकेटकीपर के रूप में अपनी छवि स्थापित की है।
एमएस धोनी के पहले कप्तान सौरव गांगुली ने भी 39 साल के क्रिकेटर की जमकर तारीफ की है। गांगुली, जिन्हें वीरेंद्र सहवाग, युवराज सिंह, मोहम्मद कैफ, जहीर खान, आशीष नेहरा और हरभजन सिंह जैसे खिलाड़ियों को बढ़ावा देने का श्रेय जाता है, उन्होंने एमएस धोनी के करियर में भी बड़ी भूमिका अदा की है। एमएस धोनी को अंतरराष्ट्रीय करियर के शुरूआती समय में सौरव गांगुली का भरपूर समर्थन मिला।
हाल ही में बीसीसीआई प्रमुख ने बताया कि उन्होंने एमएस धोनी को उनके पांचवें वनडे में तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी करने के लिए क्यों भेजा था। अपने पांचवें वनडे में एमएस धोनी को विशाखापत्तनम में पाकिस्तान के खिलाफ तीसरे नंबर पर भेजा गया था, जहां उन्होंने 123 गेंदों में 148 रन की पारी खेलकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी दस्तक दी थी। गांगुली ने स्पोर्ट्सतक से बातचीत में कहा, 'एमएस धोनी को वाइजैग में तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी करने का मौका मिला और उसने शानदार शतक जमाया। जब भी उसे ज्यादा ओवर खेलने के मौके मिलते हैं तो उसने बड़ा स्कोर किया है। सचिन तेंदुलकर आज वो नहीं होते, अगर वो लगातार छठें नंबर पर बल्लेबाजी करते क्योंकि आपके पास खेलने के लिए तब सीमित गेंदें होती हैं।'
ड्रेसिंग रूम में बैठकर बड़े खिलाड़ी नहीं बन सकते: गांगुली
गांगुली ने कहा, 'चैलेंजर ट्रॉफी में एमएस धोनी ने मेरी टीम की तरफ से ओपनिंग पर आकर शतक जमाया था। तो मुझे उसका पता था। एक खिलाड़ी तब बनता है जब आप उसे ऊपरीक्रम पर भेजते हैं। आप निचले क्रम पर भेजकन खिलाड़ी नहीं बना सकते। मेरा हमेशा से मानना है कि ड्रेसिंग रूम के अंदर बैठकर आप बड़े खिलाड़ी नहीं बन सकते। धोनी में छक्के जमाने की जो क्षमता है, वो किसी और में दुर्लभ ही थी। वह अपने करियर के अंतिम पड़ाव पर बदले, लेकिन जब रॉ एमएस धोनी आया था तो उसे खुला छोड़ना बहुत जरूरी था।'
विशाखापत्तनम पारी के बाद एमएस धोनी ने कई बेहतरीन पारियां खेली, जिसमें जयपुर में 2005 में श्रीलंका के खिलाफ 183* रन की पारी शामिल है। इसके अलावा पाकिस्तान के खिलाफ उन्होंने 2006 दौरे पर कई यादगार पारियां खेली और भारत को मैच जिताए। 2011 विश्व कप फाइनल की पारी, टेस्ट क्रिकेट में दोहरा शतक और आदि। एमएस धोनी ने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर में कुल 17,266 रन बनाए। इसमें 108 अर्धशतक और 16 शतक, 359 छक्के, 634 कैच और 195 स्टंपिंग शामिल हैं।