- विश्वनाथ को महान कप्तान मंसूर अली खान पटौदी ने दिया था पहला मौका
- भारत के सबसे स्टाइलिश बल्लेबाजों में शुमार होता है विश्वनाथ का नाम
- अन्य बल्लेबाजों की तरह नेट्स पर ज्यादा अभ्यास नहीं करते थे विश्वनाथ
हर खिलाड़ी की जिंदगी में ऐसा पल आता है, जब वह मुश्किलों से जूझ रहा होता हैै। लेकिन ऐसे मौके पर किसी खास की सलाह उसकी जिंदगी बदल देती है। कुछ ऐसा ही भारत के महान बल्लेबाज गुंडप्पा विश्वनाथ के साथ भी हुआ था। अपने करियर के पहले टेस्ट मैच से पहले विश्वनाथ काफी नर्वस थे लेकिन उस समय भारतीय टीम के कप्तान मंसूर अली खान पटौदी की सलाह ने उन्हें दुनिया का सबसे महान बल्लेबाजों में शुमार कर दिया।
नहीं लगा पाते थे बाउंड्री
एक इंटरव्यू के दौरान विश्वनाथ ने बताया कि वह जब भारतीय टीम में जगह बनाने की कोशिश कर रहे थे, तब उनकी बल्लेबाजी में स्टाइल तो था, लेकिन उनके शॉट्स दमदार नहीं होते थे। उनके शॉट्स पर गेंद बाउंड्री तक नहीं पहुंच पाती थी। उन्होंने कहा, मैं हैदराबाद के खिलाफ एक रणजी ट्रॉफी मैच खेल रहा था। उस मैच को नवाब पटौदी भी देख रहे थे। मेरी बल्लेबाजी देखने के बाद वह मेरे पास आए और बोले, क्या तुम जिम जाते हो। मैंने चौंकते हुए कहा कि नहीं, मैं कभी जिम नहीं गया। इस पर पटौदी बोले, जब तक तुम्हारी कलाइयां मजबूत नहीं होंगी, तब तक तुम्हारे शॉट्स दमदार नहीं होंगे।
कलाइयां मजबूत करने की तकनीक बताई
मंसूर अली खान पटौदी ने विश्वनाथ को कलाई मजबूत करने का अनोखा तरीका बताया। उन्होंने कहा, तुम्हारे घर में बाल्टियां तो होंगी। मैंने कहा, हां हैं, तो क्या करूं। पटौदी ने कहा कि तुम दो बाल्टियों को पानी से पूरा भर लो। इसके बाद दोनों बाल्टियों को दोनों हाथों से पकड़कर दिन में कई बार उठाओ। यह ध्यान रखो कि एक बार में करीब 20 बार बाल्टियों को जरूर उठाओ। विश्वनाथ ने कहा कि मैंने पटौदी की इस सलाह का पालन करना शुरू कर दिया और कुछ महीने बाद ही मुझे इसके परिणाम देखने को मिलने लगे। इस तकनीक से मेरी कलाइयां काफी मजबूत हो गईं।
लगाने लगे बेहतरीन स्क्वायर कट
पटौदी की सलाह मानकर कलाइयां मजबूत करने वाले विश्वनाथ बाद में भारत के सबसे तेज शॉट्स लगाने वाले बल्लेबाज बन गए। खासतौर पर उनके दमदार स्क्वायर कट का कोई जवाब नहीं था। वह जब यह शॉट लगाते थे, तो गेंद गोली की रफ्तार से बाउंड्री की तरफ जाती थी। खास बात यह है कि विश्वनाथ ने 1969 में पटौदी के नेतृत्व में ही अपने टेस्ट करियर का कानपुर में आगाज किया था।