- 3 मार्च से 14 मार्च तक खेला गया था टेस्ट, 10 दिन हुआ था खेल
- 12 दिन बाद भी अनिर्णय के साथ समाप्त हुआ ये मैच
- टेस्ट क्रिकेट इतिहास में यह है अपने तरह का नोखा टेस्ट मैच
नई दिल्ली: क्रिकेट के मैदान पर अकसर कोई न कोई नया धमाकेदार कारनामा देखते को मिलता है। 22 गज की पिच पर कई ऐसी रोचक घटनाएं हो चुकी हैं जिन्हें मॉर्डन डे क्रिकेट में बराबरी करना या दोहरा पाना तकरीबन असंभव है। ऐसा ही एक वाकया साल 1939 में इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका के बीच केपटाउन में खेले गए टेस्ट मैच के दौरान हुआ था।
केपटाउन टेस्ट दोनों टीमों के बीच खेला गया सीरीज का पांचवां और आखिरी टेस्ट मैच था। इस मैच से पहले सीरीज में मेहमान इंग्लैंड ने 1-0 की बढ़त हासिल थी। ऐसे में सीरीज का आखिरी मैच केपटाउन में खेला गया जहां से इंग्लैंड को वापस स्वदेश रवाना होना था। 3 मार्च को शुरू हुए इस टेस्ट मैच की कोई समयावधि निर्धारित नहीं थी। ऐसे में दोनों टीमों के बीच मुकाबला शुरू हुआ और 12 दिन तक मैच चला लेकिन उसके बाद भी मैच का परिणाम नहीं निकल सका। वो भी तब जब एक टीम जीत से महज 41 रन दूर थी और मैच को बराबरी पर खत्म घोषित किया गया।
पहली पारी में द. अफ्रीका ने बनाए 530 रन
मेजबान टीम ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया। मैच में द. अफ्रीकी टीम ने शानदार शुरुआत करते हुए पहले दिन 2 विकेट पर 229 रन बनाए। इसके बाद दूसरा दिन भी मेजबान टीम के लिए अच्छा रहा और स्कोर 6 विकेट पर 423 तक पहुंच गया। इसके बाद तीसरा दिन रेस्ट डे था। उन दिनों ऐसी परंपरा था। लेकिन तीसरे दिन मेजबान टीम 530 रन बनाकर ढेर हो गई। इसके बाद खेल ज्यादा देर तक नहीं हो सका और इंग्लैंड की टीम जवाबी हमले में 1 विकेट पर 35 रन बना चुकी थी। इसके बाद चौथे दिन इंग्लैंड ने शानदार बल्लेबाजी की और स्कोर को 7 विकेट पर 268 रन तक पहुंचा दिया। इसके बाद पांचवें दिन मेहमान इंग्लैंड 316 रन बनाकर ढेर हो गई।
214 रन की बढ़त के बाद दोबारा बल्लेबाजी करने उतरा द. अफ्रीका
पहली पारी में 214 रन की बढ़त के साथ बल्लेबाजी करने उतरी द. अफ्रीकी टीम ने पांचवें और छठे दिन बल्लेबाजी करते हुए दूसरी पारी में 481 का स्कोर खड़ा किया। कुल 695 रन की बढ़त के साथ मेजबान टीम मैच बचाने के लिए मैदान पर छठे दिन आखिरी सत्र में उतरी। लेकिन सातवें दिन उसका स्कोर 1 विकेट पर 253 रन तक पहुंच गया। इसके बाद आठवें दिन का खेल नहीं हो सका। आठवें दिन के बाद अगला दिन विश्राम का था। ऐसे में मैच के नौवें दिन इंग्लैंड की टीम 3 विकेट पर 496 रन बना चुकी थी।
12 वें दिन जीत से 41 रन दूर थी इंग्लैंड लेकिन मैच किया गया रद्द
मैच के दसवें दिन इंग्लैंड की टीम ने शानदार बल्लेबाजी करते हुए 218.2 ओवर में 5 विकेट पर 654 रन बना चुकी थी। ऐसे में जीत से वो केवल 41 रन दूर थी लेकिन टीम मैनेजमेंट ने मैच को खत्म किए जाने का फैसला किया। क्योंकि अगर ये निर्णय नहीं किया जाता तो इंग्लैंड की टीम की नाव छूट जाती। ऐसे में 3 मार्च से 14 मार्च तक 10 दिन का खेल हुआ।लेकिन मैच का नतीजा नहीं निकल सका।
आज भी दर्ज है सबसे लंबे टेस्ट मैच का रिकॉर्ड
यह टेस्ट क्रिकेट इतिहास का सबसे बड़ा मैच था। 12 दिन तक खेले गए इस मैच में 10 दिन का खेल हुआ। ये अपने तरीका का एकलौता मैच रहा है। जिसमें 6 शतक लगे जिसमें एक दोहरा शतक भी शामिल था। इस मैच के दौरान कुल 35 विकेट गिरे। मैच के दौरान लगभग 680 ओवर का खेल हुआ और 1981 रन बने थे।
इस मैच को टेस्ट क्रिकेट में टाइमलेस टेस्ट के रूप में जाना है। इस मैच जैसा कोई दूसरा मैच नहीं हुआ जहां 10 दिन के खेल के बाद भी मैच का नतीजा नहीं निकस सका। 82 साल पहले खेले गए सबसे लंबे टेस्ट मैच का रिकॉर्ड इस मैच के नाम दर्ज है और भविष्य की कई पीढ़ियों इस रिकॉर्ड से रूबरू होंगी।