- रिद्धिमान साहा ने टीम इंडिया की सीरीज जीत के हीरो पंत की विकेट कीपिंग का बचाव
- कहा समय के साथ पंत की विकेटकीपिंग में आएगा सुधार
- पंत के साथ प्रतिस्पर्धा के बारे में साहा ने कहा, जो अच्छा करेगा उसे मिलेगा मौका
कोलकाता: भारतीय क्रिकेट टीम ने ऑस्ट्रेलिया को उसके घर पर लगातार दूसरी बार मात देकर विश्व क्रिकेट में अपनी काबीलियत का डंका बजा दिया है। विराट कोहली, मोहम्मद शमी, जसप्रीत बुमराह, रवींद्र जडेजा और रविंचद्रन अश्निन जैसे दिग्गज खिलाड़ियों की गैर-मौजूदगी में टीम इंडिया ने गाबा में ऑस्ट्रेलिया का बाजा बजाया उसमें टीम के विकेटकीपर बल्लेबाज रिषभ पंत की अहम भूमिका रही। चौथे टेस्ट में पंत ने 328 रन के लक्ष्य का पीछा करने उतरी टीम इंडिया के लिए नाबाद 89 रन की पारी खेली और टीम को ऐतिहासिक जीत दिला दी।
सीरीज के पहले टेस्ट में विराट कोहली ने पंत की जगह रिद्धिमान साहा को वरीयता दी थी। लेकिन साहा के पहले टेस्ट की दोनों पारियों में बल्ले से नाकाम होने के बाद पंत की टीम में वापसी हुई। ऐसे में बल्ले से तो पंत सफल रहे लेकिन विकेट के पीछे वो नाकाम साबित हुए। उनकी खराब विकेटकीपिंग की पूरी सीरीज के दौरान आलोचना होती रही। लेकिन सीरीज जीत के बाद पंत के प्रतिद्वंद्वी रिद्धिमान साहा ने स्वदेश वापसी के बाद पंत का बचाव किया है।
पहली कक्षा में कोई बीज गणित नहीं सीख जाता
रिद्धिमान साहा ने शुक्रवार को कहा कि यह युवा खिलाड़ी धीरे-धीरे इसमें वैसे ही सुधार करेगा जैसे कोई 'बीजगणित' सीखता है। पंत की तारीफ करते हुए कहा, 'कोई भी पहली कक्षा में बीजगणित नहीं सीखता। आप हमेशा एक-एक कदम आगे बढ़ते हैं। पंत अपना सर्वश्रेष्ठ कर रहा है और निश्चित रूप से सुधार (विकेटकीपिंग) करेगा। उसने हमेशा परिपक्वता दिखाई है और खुद को साबित किया है। लंबे समय के लिए यह भारतीय टीम के लिए अच्छा है। एकदिवसीय और टी20 प्रारूप से बाहर होने के बाद उसने जो जज्बा दिखाया वह वास्तव में असाधारण है।'
जो अच्छा करेगा उसे मिलेगा मौका
पंत के साथ प्रतिद्वंद्विता के बारा में साहा ने कहा, 'आप पंत से पूछ सकते हैं, हमारा रिश्ता मैत्रीपूर्ण है और हम दोनों अंतिम 11 में जगह बनाने वालों की मदद करते हैं। व्यक्तिगत तौर पर हमारे बीच कोई मनमुटाव नहीं है। मैं इसे नंबर एक और दो के तौर पर नहीं देखता। जो अच्छा करेगा टीम में उसे मौका मिलेगा। मैं अपना काम करता रहूंगा। चयन मेरे हाथ में नहीं है, यह प्रबंधन पर निर्भर करता है।'
ब्रिसबेन टेस्ट के बाद पंत की तुलना दिग्गज महेन्द्र सिंह धोनी से की जाने लगी है लेकिन साहा ने कहा, 'धोनी , धोनी ही रहेंगे और हर किसी की अपनी पहचान होती है।'
कोई भी खिलाड़ी बुरे दौर से गुजर सकता है
साहा एडिलेड में खेले गये दिन-रात्रि टेस्ट की दोनों पारियों में महज नौ और चार ही बना सके थे। इस दौरान भारतीय टीम दूसरी पारी में महज 36 रन पर ऑलआउट हो गयी थी और इसके बाद साहा को बाकी के तीन मैचों में मौका नहीं मिला। ऐसे में 36 वर्षीय विकेटकीपर बल्लेबाज ने कहा, 'कोई भी बुरे दौर से गुजर सकता है। एक पेशेवर खिलाड़ी हमेशा अच्छे और खराब प्रदर्शन को स्वीकार करता है, चाहे वह फॉर्म के साथ हो या फिर आलोचना के साथ।'
उन्होंने आगे कहा, 'मैं रन बनाने में असफल रहा इसीलिये पंत को मौका मिला। यह काफी सरल है। मैंने हमेशा अपने कौशल में सुधार करने पर ध्यान दिया है और अपने करियर के बारे में कभी नहीं सोचा। जब मैंने क्रिकेट खेलना शुरू किया था तब से मेरी सोच ऐसी है। अब भी मेरा वही दृष्टिकोण है।'
विश्वकप जीत से कम नहीं है सीरीज जीत
साह ने दौर पर एडिलेड में खेले गए सीरीज के पहले टेस्ट की दूसरी पारी में 36 रन पर ऑलआउट होने और कई खिलाड़ियों के अनुभवहीन होने के बाद श्रृंखला जीत की 'विश्व कप जीत' से तुलना की। उन्होंने कहा, 'मैं खेल नहीं रहा था (तीन मैचों में), फिर भी मैं हर पल का लुत्फ उठा रहा था। हमें 11 खिलाड़ियों को चुनने में चुनौती का सामना करना पड़ रहा था। ऐसे में यह शानदार उपलब्धि है। जाहिर है यह हमारी सबसे बड़ी श्रृंखला जीत है।'