- इरफान पठान और रैना ने विदेशी लीग में खेलने के लिए बोर्ड के सामने मांग रखी थी
- बीसीसीआई ने भारतीय खिलाड़ियों को विदेश में खेलने की इजाजत नहीं दी
- बीसीसीआई ने कहा कि हर किसी को आईपीएल में अच्छा अनुबंध मिले, यह ध्यान रखा जाता है
नई दिल्ली: टीम इंडिया के पूर्व ऑलराउंडर इरफान पठान और सुरेश रैना ने हाल ही में इंस्टाग्राम लाइव सेशन पर बातचीत की थी। इस दौरान दोनों खिलाड़ियों ने बीसीसीआई के सामने मांग रखी थी कि वह गैर-अनुबंधित खिलाड़ियों को कम से कम दो विदेशी लीग में खेलने की अनुमति दे ताकि उन्हें राष्ट्रीय टीम में वापसी के लिए मदद मिल सके। अब बीसीसीआई अधिकारी ने पठान-रैना की इस मांग पर जवाब देते हुए कहा कि बोर्ड हमेशा उन खिलाड़ियों की इज्जत बरकरार रखने में जुटा रहा, जिससे आईपीएल में उन्हें अच्छा मूल्य मिल सके।
भारत में ऐसी प्रथा है कि हर क्रिकेटर को किसी विदेशी लीग में अगर खेलना है तो उसे पहले बीसीसीआई की इजाजत लेनी होगी। हालांकि, बोर्ड ने कभी किसी खिलाड़ी को विदेशी लीग में खेलने की अनुमति नहीं दी जब वह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में एक्टिव हो।
रैना-पठान को जवाब
बता दें कि सुरेश रैना और इरफान पठान ने अपनी बात सामने रखी थी कि बीसीसीआई को उन खिलाड़ियों को विदेशी लीग में हिस्सा लेने की इजाजत दे देनी चाहिए, जो उनके रडार में नहीं हो। इस पर अधिकारी ने कहा कि बोर्ड ने किसी विशेष कारण से ऐसा नहीं किया है। जिन क्रिकेटरों के पास केंद्रीय अनुबंध नहीं है, वह भी आईपीएल में अच्छा पैसा कमा सकते हैं।
बीसीसीआई अधिकारी के हवाले से इंडिया टुडे ने कहा, 'बोर्ड की दृष्टि और भारतीय क्रिकेट की रूचि को ध्यान में रखते हुए ऐसा सिस्टम बनाया गया, जहां गैर-अनुबंधित खिलाड़ी भी आईपीएल नीलामी में अच्छी रकम हासिल कर सकते हैं। विशिष्टता महत्वपूर्ण हैं। एक किसी के मन में ऐसे ख्याल आते हैं कि वह संन्यास लेने के करीब पहुंच गया है तो ऐसा करना चाहिए। यह उनका दृष्टिकोण है। यह खुले तौर पर जीने का उनका नजरिया है। तो यह उनका नजरिया रहने दो कोई दिक्कत नहीं।'
क्या कहा था खिलाड़ियों ने
रैना ने पठान से कहा था, 'मेरी ख्वाहिश है कि बीसीसीआई आईसीसी या फ्रेंचाइजी से बात करके कोई योजना बनाए कि भारतीय खिलाड़ियों को विदेशी लीग में खेलने का मौका मिले। कम से कम हमे ही दो विभिन्न विदेशी लीग में हिस्सा लेने का मौका मिल जाए। अगर हम विदेशी लीग में गुणी क्रिकेट खेलेंगे, तो हमारे लिए ही अच्छा है। इन लीग में खेलने के सहारे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर्स टीम में वापसी कर सकते हैं।'
वहीं पठान ने रैना से कहा, 'अलग देशों में अलग तरह की मानसिकता है। माइकल हसी ने ऑस्ट्रेलिया के लिए 29 साल की उम्र में डेब्यू किया। भारतीय खिलाड़ी कभी 30 साल की उम्र में डेब्यू नहीं कर पाएगा। मेरे ख्याल से जब तक आप फिट रहते हो तो देश के लिए आपकी उपलब्धता रहनी चाहिए। मेरी सलाह है कि जो भी खिलाड़ी 30 की उम्र में पहुंच चुके हैं और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के रडार से बाहर हो चुके हैं, उन्हें विदेशी लीगों में खेलने की इजाजत मिल जाए।'