नई दिल्ली: तमिलनाडु में चार युवाओं को सोशल मीडिया पर लोकप्रियता हासिल करने के लिए नकली तेंदुए के शिकार एक वीडियो बनाना भारी पड़ गया। युवाओं को न सिर्फ एक लाख 20 हजार का जुर्माना देना पड़ा बल्कि अपने 'मूर्खतापूर्ण कार्य' के लिए माफी मांगते हुए एक और वीडियो रिलीज किया। आरोपियों की पहचान एस नागराज, एस मारीचामी, एस आनंदराज और सी आनंद कुमार के रूप में हुई है। चारों ओरोपी तेनकासी जिले के पुलियांगुड़ी के पास मिपराई गांव के रहने वाले हैं। नागराज मस्कट में बतौर फोरमैन काम करता था और हाल ही में लौटकर गांव आया। उनसे अपने दोस्तों के साथ मिलकर लॉकडाउन के दौरान कई टिकटॉक वीडियो बनाए।
आग लगाकर वीडियो शूट किया
उनके कुछ वीडियो पॉपुलर हो गए। लेकिन अपनी लोकप्रियता को और बढ़ाने के लिए इन युवाओं ने एक तेंदुए के शिकार का वीडियो बनाया। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, वन विभाग के अधिकारियों ने कहा कि पिछले हफ्ते युवकों ने अपने गांव के पास पूनाई पराई में चट्टान पर एक दरार में आग लगाकर वीडियो शूट किया और फिर तेंदुए को पकड़ने के लिए सतर्क रहने का नाटक किया। हालांकि, वीडियो में कोई तेंदुआ नहीं दिखा। वीडियो गुरुवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपलोड किया गया था।
15 सेकंड के वीडियो को करीब एक लाख व्यूज मिले। यह वीडियो तूतीकोरिन जिले के कोविलपट्टी में वन अधिकारियों के संज्ञान में आया। पूछताछ के दौरान अधिकारियों को पता चला कि जिस स्थान पर यह वीडियो रिकॉर्ड किया गया वो जगह तेनकासी जिले में है। कोविलपट्टी के वन अधिकारियों की कोशिशों के बाद चार आरोपी धरे गए। एक वन अधिकारी ने कहा।, 'इस क्षेत्र में कोई तेंदुआ नहीं है और आरोपियों ने केवल लोकप्रियता हासिल करने के लिए एक भ्रामक संदेश के साथ वीडियो रिकॉर्ड किया था। यह ठीक नहीं।'
'मैं अपनी गलती के कारण यहां हूं'
चूंकि भ्रामक वीडियो काफी लोगों तक पहुंच गया तो अधिकारियों ने आरोपियों से एक और वीडियो रिकॉर्ड करने के लिए कहा। इस वीडियो में आरोपी नागराज ने अपनी गलती के लिए लोगों से माफी मांगी। नागराज ने कहा, 'मुझे अफवाह फैलाने के लिए वन विभाग ने गिरफ्तार किया था। मैं अपनी गलती के कारण यहां हूं।' नागराज ने कहा कि जंगली जानवरों का शिकार करना अपराध है और लोगों को उनके संरक्षण के लिए प्रयास करना चाहिए। चारों आरोपियों पर वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की धारा 9 के तहत मामला दर्ज किया गया। चारों युवकों को 1.2 लाख रुपए (प्रत्येक 30,000 रुपए) का जुर्माना देने के बाद जमानत पर रिहा कर दिया गया।