- निर्भया के चारों दोषियों को फांसी की उल्टी गिनती शुरू हो गई है।
- निर्भया केस के मुख्य आरोपी राम सिंह ने साल 2013 में तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी।
- तिहाड़ जेल के पूर्व डीजी सुनील गुप्ता की किताब ब्लैक वारंट में राम सिंह से तिहाड़ जेल में पहली मुलाकात का जिक्र किया है।
मुंबई. निर्भया केस के चारों दोषियों की फांसी चौथी बार टल गई है। कोर्ट ने चारों दरिदों- अक्षय ठाकुर, विनय शर्मा, मुकेश सिंह और पवन गुप्ता के डेथ वारंट पर आगले आदेश तक रोक लगा दी है। निर्भया केस के मुख्य आरोपी राम सिंह ने साल 2013 में तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी। राम सिंह की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में उसकी बॉडी से शराब मिली थी।
तिहाड़ जेल के पूर्व डीजी सुनील गुप्ता की किताब ब्लैक वारंट में राम सिंह से तिहाड़ जेल में पहली मुलाकात का जिक्र किया है। किताब के मुताबिक सुनील गुप्ता बतौर लॉ ऑफिसर टीआईपी के दौरान मौजूद थे। मैंने उससे पूछा कि उसने ऐसा क्यों किया?
सुनील गुप्ता लिखते हैं राम सिंह ने मुझे जवाब दिया कि-' हम सभी लोगों ने शराब पी हुई थी। हम लोग जहां पर रहते हैं, वह जगह अच्छी नहीं है साहब। वह लोग शराब पीते हैं और मुझे गाली देते हैं। इस वजह से मैं जानवर बन गया। था'
शरीर में मिली थी शराब
सुनील गुप्ता अपनी किताब में लिखते हैं- '11 मार्च 2013 को तिहाड़ जेल का अलार्म बजा। मैंने जब राम सिंह की मौत की खबर सुनी तो तुरंत जेल की तरफ भागा जहां पर उसका शव लटका हुआ था। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में उसके शरीर से शराब मिली थी।'
ब्लैक वारंट किताब के मुताबिक-'राम सिंह की लाश के बगल में प्लास्टिक की एक बाल्टी रखी हुई थी। उसने खुद को लटकाने के लिए पायजामे के नाड़े का इस्तेमाल किया होगा। ऐसे लगता है कि उसे शराब पिलाकर लटकाया होगा।'
एसडीएम जांच के दिए थे आदेश
सुनील गुप्ता आगे लिखते हैं- 'राम सिंह की मौत के बाद एसडीएम ने जांच का आदेश दे दिया था। हालांकि, मैं जानता था कि एसडीएम जेल के अधिकारियों के विरुद्ध अपनी जांच में कुछ नहीं लिखेंगे। आखिर में एसडीएम की रिपोर्ट में राम सिंह की मौत को सुसाइड बताया गया।'
तिहाड़ जेल के पूर्व डीजी कहते हैं- 'मैं जब इस केस के बारे में सोचता हूं तो आश्चर्य होता है कि बाकी के लोग जेल के अंदर कैसे बच गए। मुझे पता है कि जब पहली बार ये जेल में आए होंगे तो इनके साथ काफी मार-पीट हुई होगी।'