- रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में सीबीएसई बोर्ड की परीक्षा कराने पर हुआ है फैसला
- कोरोना संकट को देखत हुए सीबीएसई ने गत 14 अप्रैल को बोर्ड की परीक्षाएं स्थगति कर दीं
- छात्रों का कहना है कि कोरोना संकट को देखते हुए ऑफलाइन परीक्षा कराना ठीक नहीं है
नई दिल्ली : कोरोना महामारी के प्रकोप के दौरान केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की 12वीं की परीक्षा ऑफलाइन कराने के फैसले के खिलाफ करीब 300 छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एनवी रमन्ना को पत्र लिखा है। मंगलवार को लिखे अपने पत्र में छात्रों ने कहा है कि कोरोना संकट के दौरान स्कूल में बुलाकर परीक्षा लिया जाना ठीक नहीं है। इसलिए इस फैसले को खारिज किया जाए। छात्रों ने शीर्ष अदालत से छात्रों के आंकलन का वैकल्पिक रास्ता ढूंढने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग की है।
सरकार ने बोर्ड की परीक्षाएं कराने का फैसला किया है
दरअसल, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली एक उच्च स्तरीय बैठक में बोर्ड परीक्षाएं कराने पर फैसला हुआ है। हालांकि, केंद्र सरकार ने सभी राज्यों से सुझावों पर एक पूरी विस्तृत सूची मांगी है। सूत्रों का कहना है कि शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक 30 मई को सीबीएसई बोर्ड की 12वीं की परीक्षा की तिथियों एवं उसके प्रारूप के बारे में घोषणा कर सकते हैं।
सीबीएसई ने 12वीं बोर्ड की परीक्षाएं स्थगित की थीं
इसके पहले गत 14 अप्रैल को सीबीएसई ने कहा था कि कोरोना संकट को देखते हुए सीबीएसई की 12वीं की परीक्षाएं स्थगित की जा रही हैं। बोर्ड ने कहा था कि बोर्ड की परीक्षाओं के बारे में अगली सूचना छात्रों को एक जून तक दी जाएगी। अधिकांश राज्य कक्षा 12 की परीक्षा आयोजित करने के पक्ष में हैं। कुछ राज्य चाहते हैं कि छात्रों और शिक्षकों को टीका लगाने के बाद ही परीक्षा आयोजित की जाए।