- स्कूलों और शैक्षणिक संस्थाओं के बंद होने से पढ़ाई लिखाई का काम ठप पड़ गया है
- इससे बच्चों का मानसिक तनाव भी बढ़ गया है
- स्कूलों और शैक्षणिक संस्थाओं को अब धीरे-धीरे खोलने की वकालत
नई दिल्ली: स्वास्थ्य विशेषज्ञों की कई संस्थाओं ने ये बयान जारी किया है कि स्कूलों और शैक्षणिक संस्थाओं के बंद होने से पढ़ाई लिखाई का काम ठप पड़ गया है और इससे बच्चों का मानसिक तनाव भी बढ़ गया है।अब वक्त आ गया है कि हम सामान्य कामकाज की ओर बढें। स्कूलों और शैक्षणिक संस्थाओं को अब धीरे-धीरे खोल देना चाहिए। जिन क्षेत्रों में ज्यादा लोग संक्रमित हैं, वहां थोड़ी सावधानी बरतने की जरूरत है, स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा।
कोविड-19 टास्क फोर्स के 20 सदस्यों ने कहा कि सुरक्षा उपायों के साथ स्कूल खोले जा सकते हैं।बता दें कि अनलॉक-4 गाइडलाइन्स के मुताबिक, स्कूल और कॉलेज फिलहाल बंद रहेंगे।स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा कि स्कूल बंद होने से कम आय वाले परिवार के बच्चों पर ज्यादा बुरा असर पड़ा है, क्योंकि इनके पास ऑनलाइन क्लास के लिए स्मार्टफोन और दूसरे उपकरण नहीं हैं।
विशेषज्ञों की राय है कि अब इतना सबूत मिल गया है कि बच्चों पर कोरोनावायरस का इतना असर नहीं होता है जितना पहले सोचा गया था। उन्होंने सरकार से अपील की है कि लॉकडाउन को अब खत्म कर दिया जाय और उसकी जगह थोड़ी बहुत बंदिश उन जगहों पर लगाई जाय जो हॉटस्पॉट हैं।उनका ये भी कहना है कि बड़े शहरों में ज्यादा टेस्टिंग कराने से स्थिति पर कुछ खास फर्क नहीं पड़ेगा, बल्कि इस बात पर जोर होना चाहिए कि कोरोनावायर से मौतें ना हो।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोनावायरस के खिलाफ वैक्सीन निकट भविष्य में मिलने वाला नहीं है और इस तरह का भ्रम ना फैले कि वैक्सीन जल्द आने वाला है।जिन स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखी है उनमें डॉ. सुजीत कुमार सिंह (नेशनल सेंटर फॉर डीजीज कंट्रोल), डॉ. ए.सी. धालीवाल (पूर्व डायरेक्टर, नेशनल वेक्टर बॉर्न डीजीज कंट्रोल प्रोग्राम), डॉ. डी.सी.एस रेड्डी (पूर्व प्रोफेसर, बीएचयू), डॉ. संजय के. राय (अध्यक्ष, आईपीएचए और प्रोफेसर, एम्स) के अलावा और भी विशेषज्ञ शामिल है।