- हिंदी संपूर्ण विश्व को एकता के सूत्र बांधे हुए है।
- भाषण में स्वामी विवेकानंद के जीवन से जुड़े इस घटना का करें जिक्र।
- इस कहानी को सुन सभा में बैठे लोग को जाएंगे आपके मुरीद।
Hindi Diwas Speech 2022 (हिंदी दिवस पर भाषण): भाषा ना सिर्फ कम्यूनिकेशन का माध्यम है बल्कि हर भाषा का जुड़ाव उसकी संस्कृति साहित्य और इतिहास से होता है। हिंदी को जनमानस की भाषा कहा जाता है। यह संपूर्ण विश्व को एकता के सूत्र बांधे हुए है। हिंदी कोई भाषा नहीं बल्कि यह प्रत्येक भारतीयों की माता स्वरूप है। साल 2011 की जनगणना के अनुसार, 44 प्रतिशत यानी 53 करोड़ से ज्यादा लोग हिंदी भाषा बोलते हैं। वहीं 14 करोड़ से ज्यादा लोग ऐसे जो हिंदी को वैकल्पिक भाषा के रूप में प्रयोग करते हैं। कहा जाता है कि, जिस प्रकार माता अपने पुत्र का कल्याण करती हैं, ठीक उसी प्रकार हिंदी हमारे जीवन को सरल व सुगम बनाती है। यह एकमात्र ऐसी भाषा है, जिसे हम जैसा सोचते हैं ठीक वैसा ही लिखते हैं। आपको शायद ही पता होगा कि, हिंदी विश्व में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाओं में चौथे नंबर पर है।
साल 1947 में अंग्रेजी हुकूमत से आजादी मिलने के बाद, भारत के सामने भाषा को लेकर सबसे बड़ा सवाल था, क्योंकि भारत में सैकड़ो भाषाएं और हजारों बोलियां बोली जाती थी, ऐसे में किसी एक भाषा को राष्ट्रभाषा घोषित किए जाना विवाद का विषय बन गया था। ऐसे में संविधान निर्माताओं के सामने हिंदी ही सबसे विकल्प के रूप में सामने आई। इसे ध्यान में रखते हुए संविधान सभा ने तमाम विरोध व प्रदर्शन के बावजूद हिंदी को राजभाषा घोषित किया। इसके बाद 14 सितंबर 1953 को राष्ट्रभाषा समिति की सिफारिश के बाद प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाने लगा।
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हिंदी दिवस के अवसर पर स्कूल, कॉलेज से लेकर शैक्षणिक संस्थानों व सरकारी कार्यालयों में हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में तरह तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस दौरान हिंदी के महत्व व इतिहास को बताने के लिए भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। इस अवसर पर हम आपको हिंदी को लेकर स्वामी विवेकानंद के जीवन से जुड़ी एक ऐसी घटना बताने जा रहे हैं, जिसे शायद ही आपने कभी सुना होगा। यदि आप भाषण देने जा रहे हैं, तो इस घटना का जिक्र अवश्य करें, फिर देखिए श्रोताओं की तालियां कैसे आपके आवाज को बुलंद कर देंगी।
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एसे बनाएं अपने स्पीच को दूसरों से अलग
स्पीच में किसी दिलचस्प कहानी का तड़का दे दिया जाए, तो मजा दोगुना हो जाता है। यहां हम आपको स्वामी विवेकानंद के जीवन से जुड़ी एक ऐसी घटना बताने जा रहे हैं, जिसे आप अपने भाषण में जोड़कर इसे दमदार बना सकते हैं।
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कहानी जीत लेगी सभा में बैठे लोगों की दिल......
साल 1899 में हमारी ज्ञान परंपरा के पुरोधा स्वामी विवेकानंद जब, अमेरिका पहुंचे तो उनसे एक अमेरिकन ने पूछा, हाउ आर यू स्वामी जी, इस पर स्वामी जी ने मुस्कुराते हुए कहा कि, मैं अच्छा हूं। अमेरिकन को लगा कि स्वामी जी के अंग्रेजी नहीं आती इसीलिए हिंदी में जवाब दे रहे हैं। फिर उसने अगला सवाल हिंदी में पूछ लिया, उसने टूटी फूटी हिंदी में स्वामी जी से पूछा कि, आपको अमेरिका आकर कैसा लग रहा है। इस बार स्वामी से जी ने उसे अंग्रेजी में उत्तर दिया आई एम फीलिंग गुड, योर कंट्री इज वेरी ब्यूटीफुल, इसे सुन अमेरिकी दंग रह गया। उसने कहा कि, स्वामी जी मैंने आप से अंग्रेजी में सवाल किया तो आपने हिंदी में जवाब दिया और जब मैंने हिंदी में पूछा तो आप अंग्रेजी में जवाब दे रहे हैं, मैं कुछ समझा नहीं।
स्वामी जी ने बड़े ही सहज तरीके से कहा कि, जब तुमने अपनी मातृ भाषा में सवाल किया तो, मैंने अपनी मात्र भाषा का सम्मान किया। लेकिन जब तुमने मेरी मातृ भाषा का सम्मान करते हुए हिंदी में प्रश्न किया, तो मैंने तुम्हारी मातृ भाषा का सम्मान करते हुए अंग्रेजी में उत्तर दिया। स्वामी विवेकानंद के इस विचार से अमेरिकी इतना प्रसन्न हुआ कि, इस घटना का जिक्र अगले दिन अमेरिका के अखबारों में पहले पृष्ठ पर छापा गया। इस घटना को करीब 130 साल हो गए, लेकिन स्वामी विवेकानंद जी के इस विचार को समझने में हम आज भी असमर्थ हैं।
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स्वीमी विवेकानंद जी के जीवन से जुड़ी ये घटना आपके स्पीच में जान डाल देगी, व श्रोताओं को अपनी मातृ भाषा के प्रति गर्व की अनुभूति होगी। ध्यान रहे स्वामी जी के इस घटना का जिक्र स्पीच के बीच में करें।