- 2021-22 में आईआईटी में 5,296 सीटें खालीं थीं, इनमें इनमें अंडर ग्रैजुएट की 361 सीटें खाली थीं।
- 2021-2022 में NIT में कुल 5,012 सीटे खाली थीं।
- खाली सीटें होने पर प्रवेश के लिए विशेष दौर का आयोजन किया जाता है। इसके बावजूद सीटे खाली हैं।
नई दिल्ली: हर साल लाखों छात्र आईआईटी और एनआईटी जैसी संस्थानों में पढ़ने के लिए प्रयास करते हैं। लेकिन इन संस्थानों में एडमिशन पाना आसान नहीं होता है। और बमुश्किल कुछ हजार बच्चों को ही एडमिशन मिल पाता है। लेकिन इतनी गला काट प्रतिस्पर्धा के बावजूद IIT, IIIT और NIT में पिछले 2 साल में 10 हजार से ज्यादा सीटें खाली पड़ी हुई हैं। यानी संस्थानों को एडमिशन के लिए बच्चे नहीं मिले हैं।
IIT में कितनी सीट खाली
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान द्वारा बुधवार को राज्यसभा में दिए गए जवाब के अनुसार साल 2020-21 में IIT में 5,484 सीटें खाली थीं। इनमें अंडर ग्रैजुएट की 476 सीटें खाली थीं। वहीं पोस्ट ग्रैजुएशन में 3,229 सीटें और PHD में 1,779 सीटें खाली थी।
इसी तरह साल 2021-22 में आईआईटी में 5,296 सीटें खालीं थीं, इनमें इनमें अंडर ग्रैजुएट की 361 सीटें, पोस्ट ग्रैजुएशन की 3,083 सीटें और PHD में 1852 सीटें खाली थी।
NIT में कितनी सीट खाली
इसी तरह एनआईटी में साल 2020-2021 में कुल 3,741 सीटें खाली थी। साल 2021-2022 में यह आंकड़ा बढ़कर 5,012 हो गया । 2020-21 में सबसे ज्यादा 2,487 सीटें पोस्ट ग्रैजुएट पाठ्यक्रम में खाली थीं।
वहीं, साल 2021-22 में 3,313 सीटें खाली थीं। इसमें अंडर ग्रैजुएट की 654 और पीएचडी की 600 सीटें खाली थी। इसी तरह 2021-22 में अंडर ग्रैजुएट की 654 और पीएचडी की 914 सीटें खाली थी।
IIIT में कितनी सीट खाली
साल 2020-21 में IIIT में कुल 1137 सीटें खाली थीं, जबकि 2021-22 में 1850 सीटें खाली थीं। 2020-21 में अंडर ग्रैजुएट की 514 और पीएचडी की 399 सीटें, पोस्ट ग्रैजुएट की 424 सीटें खाली थीं। इसी तरह 2021-22 में अंडर ग्रैजुएट की 510 और पीएचडी की 527 सीटें और पोस्ट ग्रैजुएट की 813 सीटें खाली थी।
क्यों हैं खाली
सीटे खाली होने पर मंत्रालय का कहना है "विशेष दौर के जरिए एडमिशन प्रक्रिया के बावजूद कई सीटें खाली रहीं।आईआईटी, एनआईटी और आईआईआईटी जैसे प्रमुख इंजीनियरिंग कॉलेज विज्ञान और प्रौद्योगिकी विषयों में शिक्षा और अनुसंधान प्रदान करते हैं और उन्हें राष्ट्रीय महत्व के संस्थान के रूप में जाना जाता है। इन संस्थानों में विभिन्न कार्यक्रमों में प्रवेश केवल रैंकिंग / अन्य मापदंडों के आधार पर योग्य उम्मीदवारों को दिया जाता है, जो आवश्यक पात्रता मानदंडों को पूरा करते हैं।" मंत्रालय के बयान से लगता है कि योग्य उम्मीदवारों की कमी होने के वजह से सीटें खाली रह गईं।