- चौथी बार इंटरव्यू में हो गईं थीं ममता असफल
- नौकरी छोड़ कर आईएएस की तैयारी में जुटीं
- निराशा ने लक्ष्य पाने के लिए किया और भी प्रेरित
ममता पोपट की यूपीएससी की परीक्षा का सफर बेहद कठिन और हताशा पैदा करने वाला था, लेकिन उनकी लगन और मेहनत के आगे ये सारी चीजें मायने नहीं रखीं। चार बार कभी मेन्स तो कभी इंटरव्यू में असफल होने का दंश ममता के लिए कम असहनीय नहीं था, लेकिन परिवार का साथ और खुद तय किए लक्ष्य ने उन्हें अंत में सफलता ही दी बल्कि वह टॉपर भी बनी। उनका ये सफर आईएएस की तैयारी कर रहे प्रतियोगियों के लिए एक नजीर हो सकता है। यूपीएससी परीक्षा अनप्रिडेक्टिबल होती हैं, इसमें कभी भी कुछ भी हो सकता है। ममता ने पांचवीं बार में यह परीक्षा क्लियर की, लेकिन बाकी के चार बार में वह कभी मेन्स में असफल रही तो कभी इंटरव्यू में। पहले चार सालों में वे तीन बार मेन्स तक पहुंची और एक बार इंटरव्यू में जा कर भी चयनित नहीं हुईं। उनका धीरज इंटरव्यू में पहुंचने के बाद चयनित नहीं होने से टूटा जरूर लेकिन वह हारी नहीं।
नौकरी के साथ दे रही थीं परीक्षा
ममता केमिस्ट्री से ग्रेजुएशन करने के बाद जीएलएस यूनिवर्सिटी से एमबीए की और इसके बाद वह जीआईडीसी में नौकरी कर रही थी। यहां चार साल काम की और यहीं उनके बॉस जोकि एक आईएएस अधिकारी थे ने उन्हें सिविल सर्विसेस की तैयारी करने के लिए कहा। ममता ने जब अपना सबसे पहला अटेम्पट दिया उस समय वे नौकरी भी कर रही थी। नौकरी के साथ परीक्षा दी लेकिन ममता का प्री में भी सेलेक्शन नहीं हुआ। तब ममता को लगा कि परीक्षा नौकरी के साथ नहीं दी जा सकती।
नौकरी छोड़ कर शुरू की तैयारी
ममता ने आखिरकार नौकरी छोड़ दी और दिन रात परीक्षा की तैयारी में लग गयीं। दूसरे प्रयास में ममता का मेन्स में भी सेलेक्शन हो गया, लेकिन इंटरव्यू के लिए उन्हें कॉल नहीं किया गया। फिर वह तीसरे प्रयास में जुट गईं और तीसरे प्रयास में ममता मेन्स तक पहुंची पर फिर वहीं ब्रेक लग गया, उन्हें बहुत निराशा हुई, लेकिन इस निराशा ने उनके अंदर फिर से एक आग भर दी आईएएस बनने की। ममता ने अपने दूसरे अटेम्पट के पहले कोचिंग भी ज्वॉइन कर ली थी, लेकिन चौथा झटका और बड़ा उन्हें तब लगा जब इंटरव्यू में जा कर भी उनका सलेक्शन नहीं हुआ। उनका नाम वेटिंग लिस्ट में ही अटका रहा।
चरम पर था डिप्रेशन, लेकिन लक्ष्य से नजर नहीं हटी
ममता का इंटरव्यू में सलेक्शन नहीं होना उनके लिए डिप्रेशन में जाने जैसा था। वह निराशा के चरम पर थीं, लेकिन बावजूद इसके वह अपनी पांचवें चरण की तैयारी कर रही थीं। हालांकि वह अपने लक्ष्य को पाने के लिए पूरी तरह से तैयारी थीं, लेकिन खुद के लिए यह भी तय किया था कि चयन नहीं होने पर वह टूटेंगी नहीं। शायद ही मजबूती उनके काम आई और पांचवीं बार में वह सफल भी हुईं और टॉपर लिस्ट में अपना नाम भी कर लिया।
पति थे सबसे बड़े संबल
ममता के पति हार्दिक उन्हें हमेशा निराशा की जंग से उन्हें जीता कर वापस लाते थे। उनके पति एमएनसी में हैं और वह ममता के साथ हमेशा खड़े रहे। उन्होंने न केवल ममता को बल्कि अपने घर को भी चार साल तक संभाला। ममता बताती हैं कि उन्हें नहीं पता था कि चार से घर कैसे चल रहा, घर की क्या जरूरत थी, मैं केवल पढ़ने में ही लगी रहती थी। 2017 में ममता ने 45वीं रैंक के साथ परीक्षा पास करने के साथ-साथ टॉप भी किया।
ऐसे करें तैयारी तो मिलेगी सफलता
ममता बताती हैं कि यूपीएससी में सफलता इतनी आसान नहीं, लेकिन यदि स्ट्रेटजी बना कर तैयारी की जाए तो सफलता मिलती जरूर है। टॉपर्स के इंटरव्यू देखें और उनसे सीखें लेकिन अपने लिए प्लानिंग अपनी क्षमताओं के अनुसार करें। अपनी गलतियों पर काम करना। अपने हर प्रयास में मिली असफलता की वजहें तलाशें। ये सब आपकी परीक्षा में सफलता के मूलमंत्र हैं। मॉक टेस्ट दें, खूब प्रैक्टिस करें क्योंकि खाली रीडिंग से कुछ नहीं होता। मॉक टेस्ट देने के बाद अपने आंसर्स को मॉडल पेपर से मैच।
गुजराती मीडिय में थी परीक्षा
ममता ने गुजराती मीडियम में परीक्षा दी और बताती हैं कि जिस भाषा में आपको परीक्षा में सफलता की गारंटी हो उसी में दें। क्षेत्रीय भाषाओं में परीक्षा देना बहुत मददगार साबित होता है।