नई दिल्ली : संसद ने सार्वजनिक निजी साझेदारी के तहत चल रहे पांच आईआईआईटी संस्थानों को राष्ट्रीय महत्व का दर्जा प्रदान करने वाले एक अहम विधेयक को मंगलवार को मंजूरी प्रदान कर दी। राज्यसभा ने मंगलवार को ‘भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान विधियां (संशोधन) विधेयक, 2020’ को पारित कर दिया। लोकसभा इसे बजट सत्र में ही पहले ही पारित कर चुकी है।
ये पांच आईआईआईटी संस्थान भागलपुर (बिहार), सूरत (गुजरात), रायचुर (कर्नाटक), भोपाल (मध्य प्रदेश) और अगरतला (त्रिपुरा) में स्थापित किये जा चुके हैं। शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने यह विधेयक सोमवार को उच्च सदन में चर्चा के लिए रखा था। शिक्षा मंत्री ने विधेयक पर हुई चर्चा के जवाब कहा कि देश में अभी 25 आईआईआईटी हैं, जिनमें से पांच पूरी तरह से केंद्र सरकार द्वारा संचालित हैं और 15 सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) के तहत संचालित होते हैं।
उन्होंने कहा कि हम पहले से ही संचालित पांच संस्थानों को इस कानून के तहत लाने के लिए सदन के सामने प्रस्ताव लाए हैं। इन संस्थानों का परिचालन पहले से ही हो रहा है। उन्होंने कहा कि इन संस्थानों को विधेयक के दायरे में लाने से वे राष्ट्रीय महत्व के संस्थान बन जाएंगे और उन्हें डिप्लोमा, डिग्री, पीएचडी आदि जारी करने का कानूनी अधिकार होगा।
इससे संस्थानों को सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में मजबूत अनुसंधान आधार विकसित करने के लिए जरूरी पर्याप्त छात्रों को आकर्षित करने में मदद मिलेगी।
मंत्री के जवाब के बाद सदन ने विधेयक को ध्वनिमति से मंजूरी दे दी। विधेयक पर संक्षिप्त चर्चा ज्यादातर विपक्षी सदस्यों की अनुपस्थिति में हुयी। कांग्रेस के नेतृत्व में कई विपक्षी सदस्यों ने हंगामे को लेकर आठ विपक्षी सदस्यों का निलंबन समाप्त करने की मांग की है और वे सदन की कार्यवाही का बहिष्कार कर रहे हैं।
चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा सदस्य कामाख्या प्रसाद तासा ने अगरतला के संस्थान को विधेयक में शामिल करने के लिए प्रधानमंत्री और शिक्षा मंत्री को धन्यवाद दिया। बीजद सदस्य सस्मित पात्रा ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा, "मैं अपने पार्टी बीजू जनता दल की ओर से विघेयक बिल का समर्थन करता हूं।’’
विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों के अनुसार उक्त अधिनियम सार्वजनिक निजी साझेदारी के तहत बीस भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान स्थापित करने के लिये अधिनियमित किया गया जिसके तहत पहले राष्ट्रीय महत्व की संस्थाओं के रूप में 15 ऐसे संस्थान निगमित किये गए थे। सरकार ने पांच और संस्थानों को इनमें सम्मिलित करने का निश्चय किया है।