- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ओडिशा में आईआईएम-संबलपुर के नए परिसर की आधारशिला रखी
- कृषि क्षेत्र से लेकर अंतरिक्ष अनुसंधान तक में हो रहे सुधार नए स्टार्ट-अप के लिए राहें खोल रहें: प्रधानमंत्री
- मोदी ने छात्रों से लोकल को ग्लोबल बनाने के लिए नए और नवोन्मेषी समाधान सुझाने का आग्रह किया
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए ओडिशा के संबलपुर में भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) के स्थायी परिसर की आधारशिला रखी। इस कार्यक्रम में ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक भी शामिल हुए। उन्होंने कहा कि ओडिशा में शिक्षा में तेजी से बदलाव आ रहा है। मुझे खुशी है कि हमारा राज्य शिक्षा के क्षेत्र में अपना दबदबा बनाए हुए है और पूर्वी भारत के एजुकेशन हब के रूप में उभरा है।
वहीं पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, 'आज के स्टार्टअप कल की बहुराष्ट्रीय कंपनियां हैं। अधिकांश स्टार्टअप देश के टियर II और III शहरों में आ रहे हैं। खेती के क्षेत्र से लेकर अंतरिक्ष क्षेत्र तक स्टार्टअप्स का दायरा बढ़ता जा रहा है। 2014 तक भारत में 13 IIM थे। आज 20 आईआईएम हैं। इस तरह का एक बड़ा टैलेंट पूल आत्मानिभर भारत अभियान को मजबूत करने में मदद कर सकता है।'
लोकल को ग्लोबल में बदलने की सोचें: PM
पीएम मोदी ने कहा, 'आज IIM कैंपस के शिलान्यास के साथ ही ओडिशा के युवा सामर्थ्य को मजबूती देने वाली एक नई शिला भी रखी गई है। IIM का ये स्थायी कैंपस ओडिशा के महान संस्कृति और संसाधनों की पहचान के साथ ओड़िशा को मैंनेजमेंट जगत में नई पहचान देने वाला है। स्थानीय को वैश्विक में बदलने के लिए IIM छात्रों को नए-नए समाधान खोजने की जरूरत है। मुझे यकीन है कि हमारे आईआईएम स्थानीय उत्पादों और वैश्विक सहयोग के बीच एक सेतु का काम कर सकते हैं। बीते दशकों में एक ट्रेंड देश ने देखा, बाहर बने मल्टी नेशनल बड़ी संख्या में आए और इसी धरती में आगे भी बढ़े। ये दशक और ये सदी भारत में नए-नए मल्टीनेशसल्स के निर्माण का है।'
समारोह में ओडिशा के राज्यपाल गणेशी लाल और शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' के अलावा केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और प्रताप चंद्र सारंगी भी उपस्थित रहे। समारोह में बड़े-बड़े अधिकारी, उद्यमी, शिक्षाविद, विद्यार्थी, पूर्व छात्र और आईआईएम संबलपुर की फैकल्टी सहित वर्चुअली 5,000 से अधिक लोग मौजूद रहे।
IIM संबलपुर की खासियत
यह पहला ऐसा आईआईएम होगा, जहां फ्लिप कक्षा की अवधारणा को लागू किया जाएगा। इसमें बुनियादी चीजें डिजिटल मोड में सिखाई जाएंगी और इंडस्ट्री से लाइव प्रोजेक्ट्स के माध्यम से अनुभवों की जानकारी दी जाएगी। इस संस्थान ने लैंगिक विविधता के मामले में भी अन्य सभी आईआईएम संस्थानों को पीछे छोड़ दिया है। यहां साल 2019-21 के एमबीए के बैच में 49 फीसदी छात्राएं शामिल रही हैं और 2020-22 के एमबीए बैच में 43 फीसदी छात्राओं ने एडमिशन लिया है।