- दिल्ली हाई कोर्ट की एकल पीठ ने विकास एवं वार्षिक शुल्क पर फैसला दिया है
- एकल पीठ के आदेश को केजरीवाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार अपनी दलीलें हाई कोर्ट के सामने रखे
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट से दिल्ली की केजरीवाल सरकार को झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने प्राइवेट स्कूलों के छात्रों से वार्षिक एवं विकास शुल्क लेने की इजाजत देने वाले दिल्ली हाई कोर्ट की एकल पीठ के फैसले पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है। दिल्ली सरकार ने इस एकल पीठ के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। शीर्ष अदालत ने दिल्ली सरकार से अपनी सभी दलीलों को हाई कोर्ट के समक्ष उठाने के लिए कहा है। समझा जाता है कि इससे छात्रों पर 25,000 से 35,000 रुपए का बोझ पड़ेगा। हाई कोर्ट ने 31 मई को अपना फैसला सुनाया था जिसे केजरीवाल सरकार ने एससी में चुनौती दी है।
हाई कोर्ट ने एकल पीठ के आदेश पर रोक नहीं लगाया
गत सात जून को दिल्ली हाई कोर्ट ने अपनी एकल पीठ के आदेश पर रोक लगाने से इंकार किया। केजरीवाल सरकार ने निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों से छात्रों से वार्षिक, विकास शुल्क वसूलने के पीठ के आदेश पर रोक लगाने की मांग की थी। कोर्ट ने कहा कि आम आदमी पार्टी की सरकार अपनी लोकप्रिय योजनाओं के लिए जानी जाती है और वह प्राइवेट स्कूलों को फंड देकर उनकी मदद कर सकती है।
कोर्ट ने प्राइवेट स्कूलों को फंड देने की बात कही
न्यायाधीश रेखा पल्ली एवं न्यायाधीश अमित बंसल की अवकाश पीठ ने गैर-सहायता प्राप्त निजी स्कूलों की एक्शन केमेटी को नोटिस जारी किया और उससे जवाब मांगा। एकल पीठ के फैसले को आप सरकार, छात्रों एवं एक एनजीओ ने चुनौती दी है। कोर्ट ने कहा, 'हम कोर्ट के आदेश पर रोक नहीं लगा रहे हैं।' हाई कोर्ट ने कहा कि उसके फैसले के बारे में विस्तृत फैसला बाद में जारी किया जाएगा। पीठ ने कहा, 'केवल एक लोकप्रिय सरकार मत बनिए। स्कूलों को भी फंड जारी करिए। उन्हें भी स्कूल चलाने के लिए फंड की जरूरत है।'