UPSC: हर साल देश के लाखों छात्र संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा में इस मकसद के साथ भाग लेते हैं कि वो भी IAS या IPS बनकर देश की सेवा करें। लेकिन सफलता हर किसी को नहीं मिलती। जो भी सफल होता है वो प्रेरणा बन जाता है। समय-समय पर विविध पृष्ठभूमि के उम्मीदवारों ने भारत की कुलीन प्रशासनिक सेवा में जगह बनाई है। यहां हम आपको कुछ ऐसे ही यूपीएससी टॉपर्स की सफलता की कहानियां बताएंगे जो आपको भी प्रेरित कर सकती हैं:
अनू कुमारी
अनु कुमारी जब यूपीएससी परीक्षा में शामिल हुई तो पहले से ही एक बच्चे की मां थी, और 2017 में उन्होंने दूसरी रैंक 2 हासिल की। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से फिजिक्स की पढ़ाई की थी और आईएमटी नागपुर से एमबीए किया था। अनू ने कोई कोचिंग क्लास नहीं ली थी। सिविल सेवा परीक्षा के प्रयास पर ध्यान केंद्रित करने के लिए उन्होंने दो साल पहले गुड़गांव की नौकरी छोड़ दी थी। वह महिलाओं के जीवन को बदलने के लिए आईएएस बनना चाहती थीं।
ममता यादव
दिल्ली के बसई गांव की 24 साल की ममता ने तमाम बाधाओं को पार करते हुए यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2020-21 में ऑल इंडिया रैंक में 5वां स्थान हासिल किया। ममता यादव अपने गांव की पहली आईएएस अधिकारी बनीं। ममता यादव ने अपनी पूरी जिंदगी दिल्ली के बसई गांव में गुजारी थी। यूपीएससी सिविल सर्विसेज में यह उनका दूसरा प्रयास था। वह पहली बार 2020 में इस कठिन परीक्षा में शामिल हुईं और 556 रैंक हासिल की थी।
अनिल बसाक
बिहार के किशनगंज के निवासी 26 साल के अनिल बसाक ने यूपीएससी परीक्षा 2021 में 45वीं रैंक हासिल कर अपने परिवार का नाम रोशन किया। अनिल बसाक गांव के कपड़ा विक्रेता बिनोद बसाक के बेटे हैं। उनके पिता आजीविका के लिए गांव-गांव कपड़े बेचते थे। अनिल चाहते था कि उसके पिता को फिर कभी उस तरह से संघर्ष न करना पड़े। 2018 में आर्थिक तंगी के चलते उन्हें अपनी कोचिंग छोड़नी पड़ी और अपने दम पर यूपीएससी की तैयारी करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
अभिषेक सुराणा
सिविल सेवा परीक्षा में 10वीं रैंक हासिल करने वाले राजस्थान के भीलवाड़ा के अभिषेक सुराणा की आईएएस बनने की कहानी भी अलग है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली से स्नातक करने के बाद उन्होंने दो साल विदेश में बिताए। IIT से पास होने के बाद उन्होंने सिंगापुर में बार्कलेज इन्वेस्टमेंट बैंक ज्वॉइन किया और बाद में लंदन में बैंक के लिए भी काम किया। उन्होंने अपनी खुद की एक कंपनी बनाई और चिली में काम करना शुरू किया। वह भारत वापस आना चाहते थे और इसलिए उन्होंने सिविल सेवाओं की तैयारी करने का फैसला किया। 2014 में उन्होंने भारत आकर सिविल परीक्षा में बैठने का फैसला किया। पहले 2 अटेंप्ट में उन्हें असफलता मिली, तीसरी बार में उन्होंने परीक्षा पास कर ली। हालांकि उन्हें 250वीं रैंक मिली, जिससे उन्हें IAS नहीं मिला। 2017 में उन्होंने चौथी बार में ऑल इंडिया 10वीं रैंक हासिल की और आईएएस बन गए।
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आदर्श कांत शुक्ला
यूपी के बाराबंकी जिले के आदर्श कांत शुक्ला ने बिना किसी कोचिंग क्लास के 149 रैंक हासिल किया था। आदर्श ने अपने पहले प्रयास में यूपीएससी सिविल सेवा पास की थी। साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाले आदर्श के पिता बेहतर हालात के लिए 20 साल पहले गांव से बाराबंकी आ गए थे। उनके पिता ने कहा कि सिविल सर्विसेज में पास होना उनका सपना था। 22 साल के आदर्शन नेशनल पीजी कॉलेज, लखनऊ से भौतिकी, रसायन विज्ञान और गणित (पीसीएम) के साथ बीएससी में स्वर्ण पदक विजेता भी हैं।
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