- एससी ने 10वीं व 12वीं कक्षा के लिए फिजिकल क्लासेज रद्द करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई की
- बोर्ड परीक्षाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने फैसला सुनाया है
- सीबीएसई टर्म 2 बोर्ड परीक्षा रद्द नहीं होगी! सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी है।
सीबीएसई टर्म 2 बोर्ड परीक्षा रद्द नहीं होगी! सुप्रीम कोर्ट ने आज याचिका खारिज कर दी और कहा कि अधिकारियों को इस बारे में फैसला लेना चाहिए। बता दें, सुप्रीम कोर्ट के समक्ष याचिका दायर कर आगामी सीबीएसई, सीआईएससीई, एनआईओएस और अन्य राज्य बोर्ड परीक्षाओं को रद्द करने का अनुरोध किया गया था। बोर्ड परीक्षा रद्द करने की याचिका पर सुनवाई Justices AM Khanwilkar, Dinesh Maheshwari व CT Ravikumar की बेंच ने की।
मामला क्या है?
सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य बोर्डों, सीबीएसई, आईसीएसई और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग (एनआईओएस) द्वारा आयोजित की जाने वाली दसवीं और बारहवीं कक्षा के लिए फिजिकल क्लासेज रद्द करने की मांग वाली याचिका पर 23 फरवरी, 2022 यानी आज सुनवाई की। याचिकाकर्ता के वकील ने इस मामले की तत्काल सूची मांगी, जिसके बाद शीर्ष अदालत ने बुधवार को मामले की सुनवाई करने की सहमति दी थी।
न्यायमूर्ति एएम खानविलकर (Justice AM Khanwilkar) की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील को सीबीएसई और सभी राज्य बोर्डों को पीटीशन की एक कॉपी देने को कहा है। यह सारा मामला कोविड 19 के खतरे को बढ़ने से रोकने व छात्रों व अन्य लोगों को इस महामारी के जोखिम से बचाने से जुड़ा है।
याचिका में इन बातों का था जिक्र
बाल अधिकार कार्यकर्ता अनुभा श्रीवास्तव सहाय (Anubha Shrivastava Sahai) द्वारा याचिका दायर कर राज्य बोर्डों, सीबीएसई, आईसीएसई, एनआईओएस को निर्देश देने की मांग की गई थी, जो ऑफलाइन मोड में दसवीं और बारहवीं की बोर्ड परीक्षा का आयोजन करने जा रहे हैं। दायर याचिका में इस बात का जिक्र किया गया है कि भले कोविड 19 के मामले पहले से कम है लेकिन अभी भी खतरा बना हुआ है, ऐसे में वैकल्पिक मोड के बारे में सोचने व नोटिफिकेशन जारी करने की जरूरत है।
याचिका में कंपार्टमेंट स्टूडेंट सहित छात्रों के मूल्यांकन का फॉर्मूला तय करने और समय सीमा के भीतर परिणाम घोषित करने के लिए एक समिति के गठन से राहत की भी मांग की गई थी।
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यह भी जानें
देश के कई क्षेत्रों के छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर बोर्ड परीक्षा रद्द करने और वैकल्पिक मूल्यांकन मानदंड के माध्यम से छात्रों का मूल्यांकन करने की मांग की। इसके बाद, मामला भारत के मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना के समक्ष पेश किया गया और उन्होंने मामले को न्यायमूर्ति खानविलकर की पीठ के पास भेज दिया।
ध्यान दें, जस्टिस एएम खानविलकर की अगुवाई वाली बेंच ने 2021 में बोर्ड परीक्षाओं को रद्द करने और वैकल्पिक मूल्यांकन मानदंडों के माध्यम से छात्रों का आकलन करने का आदेश पारित किया था।