- हर साल 5 सितंबर को मनाया जाता है शिक्षक दिवस।
- 1962 से शुरु हुई देशभर में टीचर्स डे मनाने की परंपरा।
- 1888 में तमिलनाडु के तिरुतनी नामक गांव में हुआ था सर्वपल्ली राधा कृष्णन जी का जन्म।
Teachers Day 2021 : जिस प्रकार कुम्हार मिट्टी को एक बर्तन का आकार देता है उसी प्रकार एक शिक्षक छात्र के जीवन को मूल्यवान बनाता है। एक शिक्षक ही है जो मनुष्य को सफलता की बुलंदियों पर पहुंचाता है और जीवन में सही और गलत को परखने का तरीका बताता है। कहा जाता है कि एक बच्चे के जीवन में उसकी पहली गुरु मां होती है, जो हमें इस संसार से अवगत कराती हैं। वहीं दूसरे स्थान पर शिक्षक होते हैं, जो हमें सांसारिक बोध कराते हैं यानि जीवन की महत्वता को बताते हैं। हर साल टीचर्स के सम्मान में 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। इस लेख के माध्यम से जानते हैं कि क्या है शिक्षक दिवस का इतिहास, भारत में यह कब से मनाया जा रहा है और बाकी अहम तथ्य।
क्यों मनाया जाता है शिक्षक दिवस, Why is Teachers Day celebrated
भारत समेत दुनिया भर में शिक्षक दिवस 5 सितंबर को डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। वह एक महान शिक्षक होने के साथ-साथ आजाद भारत के दूसरे उपराष्ट्रपति और पहले राष्ट्रपति थे। वह एक महान दार्शनिक शिक्षक भी थे और शिक्षा के क्षेत्र में उनका काफी लगाव भी था। उन्होंने 40 साल तक एक शिक्षक के रूप में कार्य किया।
कैसे शुरू हुई शिक्षक दिवस मनाने की परंपरा, How Teachers Day was started
देशभर में टीचर्स डे मनाने की परंपरा 1962 में डॉ राधाकृष्णन के राष्ट्रपति बनने के साथ शुरू हुई थी। उनका जन्मदिन मनाने के लिए उनके छात्रों ने उनकी स्वीकृति मांगी। इस पर राधा कृष्णन जी ने कहा कि मेरा जन्मदिन मनाने के बजाए इस दिन देशभर के शिक्षकों के सम्मान में शिक्षक दिवस आयोजित करें, इससे मुझे गर्व होगा। वह कहते थे कि पूरी दुनिया एक विद्यालय है जहां हमें कुछ ना कुछ सीखने को लगातार मिलता है तथा शिक्षक छात्र के जीवन को मूल्यवान बनाता है। वह छात्रों को जीवन में सही और गलत को परखने का तरीका बताता है। इसके बाद देशभर में पहली बार 5 सितंबर 1962 में डॉ सर्वपल्ली राधा कृष्णन के जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया गया।
डॉ राधा कृष्णन का जन्म साल 1888 में तमिलनाडु के तिरुतनी नामक एक गांव में हुआ। एक गरीब परिवार में जन्मे राधा कृष्णन बचपन से ही पढ़ाई में काफी तेज थे। उन्होंने फिलोसोफी में एम.ए किया और 1916 में मद्रास रेजीडेंसी कॉलेज में फिलॉसफी के असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में कार्य किया, फिर कुछ साल बाद प्रोफेसर बने। कई भारतीय यूनिवर्सिटीज की तरह कोलंबो एवं लंदन यूनिवर्सिटी ने भी उनको अपनी मानक उपाधियों से उन्हें सम्मानित किया। आजादी के बाद भी उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया और पेरिस में यूनेस्को नामक संस्था के कार्यसमिति अध्यक्ष भी बनाए गए। तथा 1949-1952 तक वह रूस की राजधानी मास्को में भारत के राजदूत पद पर रहे और 1952 में भारत के पहले उपराष्ट्रपति बनाए गए, इसके बाद उन्हें भारतरत्न से सम्मानित किया गया।
छात्र के जीवन में शिक्षक का महत्व, Importance of teachers in student life
किसी देश का भविष्य उसके बच्चों के हाथों में होता है। शिक्षक गुरु के रूप में छात्रों को भविष्य के नेताओं के रूप में ढाल सकते हैं, जो भारत की नियति को आकार देते हैं। करियर और व्यवसाय में सफलता दिलाने के लिए वो एक महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करते हैं। वे हमें अच्छा इंसान, समाज का बेहतर सदस्य बनाने और देश का आदर्श नागरिक बनाने में मदद करते हैं। शिक्षक दिवस शिक्षकों के सम्मान में मनाया जाता है।
शिक्षक दिवस का महत्व, Teacher's day significance
शिक्षक दिवस एक ऐसा आयोजन है, जिसके लिए छात्र और शिक्षक समान रूप से तत्पर रहते हैं। यह दिन छात्रों के लिए महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यही वह दिन है जब छात्र शिक्षकों द्वारा उनके भविष्य को संवारने के लिए किए गए प्रयासों के लिए धन्यवाद अदा करते हैं। इस दिन स्कूल व कॉलेजों में लोग शिक्षकों को उपहार देते हैं व उनके लिए खास पार्टी का आयोजन करते हैं।
शिक्षक नौकरी या पेशा नहीं जीवन पद्धति है
भारत में 1962 से हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस का आयोजन किया जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी व्यक्ति के जीवन में शिक्षक की महत्वता को समझाते आए हैं। उनके अनुसार ‘शिक्षक कोई पेशा या नौकरी नहीं बल्कि यह जीवन पद्धिति है’। एक शिक्षक कभी सेवानिवृत नहीं होता, वह हमेशा एक नई पीढ़ी को शिक्षित करने के लिए प्रयासरत रहता है। छात्रों के जीवन में शिक्षकों का महत्वपूर्ण स्थान होता है। वह कहते हैं कि ‘यदि समाज को प्रगति करना है तो शिक्षकों को दुनियाभर में हो रहे परिवर्तनों को समझना होगा, ताकि उनके प्रति नई पीढ़ी में जिज्ञासा पैदा कर सके’।