- केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान बोले- शिक्षा राजनीतिक विषय नहीं है
- जेएनयू में साइबर क्राइम और साइबर टेररिज्म को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है
- यूपी-2022 के चुनावों में भाजपा को 2017 और 2019 जैसी ही जीत मिलेगी
नई दिल्ली : कोरोना संकट के दौरान छात्रों को हुए 'लर्निंग लॉस' की भरपाई करने के लिए सरकार योजना तैयार कर रही है। बदलते दौर में नई शिक्षण पद्धतियों को शामिल किया जा रहा है। टाइम्स नाउ समिट 2021 के दौरान केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने यह बात टाइम्स नेटवर्क की ग्रुप एडिटर एवं टाइम्स नाउ नवभारत की एडिटर इन चीफ नाविका कुमार के साथ खास बातचीत में कही। प्रधान ने कहा कि नई शिक्षा नीति सभी वैचारिक बाधाओं को तोड़ते हुए तैयार की गई है।
कोविड के दौर में ऑनलाइन शिक्षा की पढ़ाई पर शिक्षा मंत्री ने कहा कि जिस प्रकार की परिस्थितियों में दुनिया ने पिछले दो साल बीताए हैं। यह अकल्पनीय था। किसी ने सोचा नहीं था कि महीनों तक हम चार दीवारी में कैद रहेंगे। स्कूल, कॉलेज बंद होंगे। उन्होंने कहा, 'मैं मानता हूं कि कुछ सेक्टर पर काफी प्रभाव आया है उसमें शिक्षा प्रमुख है। इसकी भरपाई करने के लिए सामाजिक संगठनों, विशेषज्ञों से बातचीत की जा रही है। लर्निंग लॉस की भरपाई कैसे की जाए इस पर हम रणनीति एवं योजना तैयार कर रहे हैं।'
शिक्षा राजनीतिक विषय नही है
भारत के युवाओं ने ऑनलाइन शिक्षा की इस नई पद्धति को जिस तरह से अपनाया, वह अपने आप में एक केस स्टडी है। लगभग सभी राज्य अपना पाठ्यक्रम डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लेकर लाए। एक करोड़ शिक्षकों ने नई शिक्षा व्यवस्था को स्वीकार किया। सामाजिक संगठन, कॉरपोरेट हाउसों ने कंटेंट तैयार करने में मदद की। कोरोना संकट के दौर में प्रधानमंत्री ई-विद्या योजना से काफी सहयोग मिला। 16 लाख स्कूलों को हम नई शिक्षण पद्धतियों पर ले जाएंगे। कोरोना संकट ने हमें अनुभव दिया है। हमें अपने छात्रों की मेधा शक्ति पर विश्वास है कि वे 'लर्निंग लॉस' की भरपाई कर लेंगे।'
एनईपी पर उठे सवाल पर प्रधान ने कहा, 'मैं कभी नहीं मानता कि शिक्षा राजनीतिक विषय है। देश में लोकतंत्र है। कुछ लोगों ने कोरोना का टीका इसलिए नहीं लगवाया कि यह मोदी का टीका है। इसी सरकार ने एक नई पहल की है। 34 साल के बाद 2020 में नई शिक्षा नीति आई। यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति सभी वैचारिक बाधाओं को तोड़ते हुए तैयार की गई है। 21वीं सदी ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था की होगी। कैबिनेट ने 15 नवंबर को जनजाति गौरव दिवस मनाने का फैसला किया है। इससे जंगलों को बचाने में मदद मिलेगी।'
काउंटर टेररिज्म के कंटेंट पर बोले प्रधान
काउंटर टेररिज्म के कंटेंट पर जेएनयू में हुए विवाद पर प्रधान ने कहा कि आतंकवाद को लेकर दुनिया के देश चिंतित हैं। जो नया उग्रवाद दुनिया में उभरा है, उसके तार नई तकनीक से भी जुड़े हैं। जेएनयू ने इंजीनीयरिंग कोर्स शुरू किया है जिसमें साइबर क्राइम और साइबर टेररिज्म को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। इस पर विवाद नहीं होना चाहिए। भारत ही नहीं दुनिया के विशेषज्ञों ने भी इस बारे में इशारा किया है। लोकतंत्र में सभी तरह के विचारों का आदान-प्रदान होना चाहिए।
आईएस और बोको हरम से हिंदुत्व की तुलना मानसिक दिवालियापन
कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद की नई किताब पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि लोकतंत्र का गलत इस्तेमाल करने का यह सटीक उदाहरण है। संवैधानिक और देश की दार्शनिक बातों पर सवाल नहीं उठाना चाहिए। क्या खुर्शीद, विवेकानंद की बातों और सुप्रीम कोर्ट से असहमत हैं? विपक्ष को आलोचना करने का अधिकार है। आईएस और बोको हरम से हिंदुत्व की तुलना मानसिक दिवालियापन से ज्यादा कुछ नहीं है। रवींद्रनाथ टैगोर ने कहा है कि 'जिन्हें लज्जा नहीं आती, उनसे मुझसे बहुत डर लगता है।'
2022 के चुनाव में 2017, 2019 की होगी पुनरावृत्ति
यूपी में हो रहे ध्रुवीकरण की कोशिशों पर प्रधान ने कहा कि हमारे एजेंडे में विकास है। गरीबों के लिए शौचालय है। हमारे एजेंडे में महिला सशक्तिकरण है। भाजपा के एजेंडे में शिक्षा, स्वास्थ्य, डिफेंस कॉरिडोर, कानून व्यवस्था है। यूपी सरकार ने होली तक गरीबों को मुफ्त राशन देने की घोषणा की है। हम सभी को साथ में लेकर चलने में विश्वास रखते हैं। कुछ लोगों ने डर, भय दिखाकर शासन किया है, अब उन्हें जिन्ना याद आ रहे हैं। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा को कितनी सीटें मिलेंगी, इस सवाल पर भाजपा नेता ने कहा कि यूपी की जनता पर हमें पूरा भरोसा है। यूपी के लोग भाजपा, पीएम मोदी और सीएम योगी पर विश्वास करते हैं। 2022 के चुनाव में 2017, 2019 की पुनरावृत्ति होगी।