- दो सीए की गिरफ्तारी के विरोध में सभी सीए का अनिश्चितकालीन धरना
- फर्जी बिलों के आधार पर जीएसटी रिफंड में 15 करोड़ गड़बड़ी का मामला
- सीए ने जिला अधिकारी व पुलिस आयुक्त को सौंपा अपना ज्ञापन
Gurugram News: गुरुग्राम में फर्जी बिलों के आधार पर करीब 15 करोड़ रुपये की धांधली का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है। इस मामले में केंद्रीय वस्तु और सेवा कर विभाग गुरुग्राम कार्यालय द्वारा दो सीए की गिरफ्तारी के बाद जिले के सभी द इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (गुरुग्राम चैप्टर) ने अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया है। इनकी मांग है कि प्रशासन रिफंड जारी करने वाले अधिकारियों व रिफंड हासिल करने वाले कारोबारियों को गिरफ्तार करे। गिरफ्तार किए गए दोनों चार्टर्ड एकाउंटेंट सुनील और गौरव को रिहा किया जाए।
इस मामले को लेकर सभी सीए ने जिला उपायुक्त निशांत कुमार यादव को ज्ञापन सौंपा और साथ ही पुलिस आयुक्त कार्यालय में भी ज्ञापन सौंपा कर दोनों सीए को छोड़ने व दोषियों पर कार्रवाई की मांग की। धरने पर बैठे सभी सीए ने कहा कि सीए का काम केवल कागजात को सर्टिफाइड करना होता है। ऐसे में मामले के लिए सीए दोषी नहीं है।
यह है पूरा मामला
बता दें कि केंद्रीय वस्तु और सेवा कर विभाग ने एक ऐसा मामला पकड़ा है, जिसमें कुछ कारोबारियों ने बीते माह बिना कारोबार किए ही फर्जी बिलों के आधार पर 15 करोड़ रुपये का रिफंड हासिल कर लिया। इसकी शिकायत किसी ने वित्त मंत्रालय में कर दी थी। जिसके बाद मंत्रालय के आदेश पर जब जांच शुरू हुई तो पूरे मामले का खुलासा हुआ। जिसके बाद कारोबारियों के कागजात को सर्टिफाइड करने के आरोप में सीए सुनील और गौरव को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।
दोनों सीए के रिहा होने तक जारी रहेगा धरना
इस गिरफ्तारी के विरोध में जिले के सभी सीए समुदाय ने विभागीय कार्यालय के सामने अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया। इस धरने का नेतृत्व कर रहे द इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (गुरुग्राम चैप्टर) के चेयरमैन सीए मोहित सिंघल ने कहा कि यह धरना तब तक जारी रहेगा, जब तक दोनों सीए को छोड़ नहीं दिया जाता। मोहित ने कहा कि रिफंड जारी करने से पहले जांच करने की जिम्मेदारी विभागीय अधिकारियों की होती है, सीए की नहीं। इसमें सीए की कोई गलती नहीं है। इस मामले में कुछ ही घंटों के भीतर रिफंड जारी करना साफ दर्शाता है कि विभागीय अधिकारियों द्वारा खेल किया गया है। जिन अधिकारियों ने रिफंड जारी करने में भूमिका निभाई है, उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित करते हुए गिरफ्तार किया जाए। वहीं जिन कारोबारियों के खाते में पैसे गए हैं, उन्हें भी गिरफ्तार किया जाए।