- गुरुग्राम की दर्जनों कॉलोनियों व सोसायटियों में छाया जल संकट
- लो प्रेशर वॉटर सप्लाई की वजह से नहीं भर पा रही पानी की टंकी
- निजी वॉटर टैंकर सप्लायर लोगों से वसूल रहे मनमाना रेट
Gurugram: प्रशासन के लाख दावों के बाद भी गुरुग्राम के अंदर पेयजल संकट कम होने का नाम नहीं ले रहा है। पिछले करीब 10 दिनों से शहर के दर्जन भर इलाकों में पेयजल संकट बरकरार है। इन इलाकों में लोगों को सुबह-शाम सिर्फ 15 से 20 मिनट ही पानी सप्लाई मिल पा रही है। जिसकी वजह से लोग पैसे खर्च कर निजी टैंकर मंगाने पर मजबूर है। लोगों की इस मजबूरी का फायदा टैंकर सप्लायर भी खूब उठा रहे हैं और पानी को महंगे दामों में बेच कर परेशान लोगों से अपनी जेबे भर रहे।
लोगों का कहना है कि, गुरुग्राम महानगर विकास प्राधिकरण (जीएमडीए) व नगर निगम अधिकारियों को लगातार शिकायत के बाद भी समस्या का समाधान नहीं किया जा रहा है। इस समय से सबसे ज्यादा परेशानी सेक्टर-21, 22, 23, एमजी रोड का पूरा क्षेत्र, डीएलएफ फेस-1, 2, 3, सेक्टर-38, 40, 41, 45, 46 और सिविल लाइन क्षेत्र के इलाकों में हो रही हैं।
पानी सप्लाई में नहीं आ रहा प्रेशर
डीएलएफ फेज एक से तीन में रहने वाले करीब 25 हजार परिवार दो सप्ताह से पेयजल संकट से जूझ रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि, डीएलएफ फेज एक स्थित ए-ब्लाक एक्सटेंशन के नौ लाख लीटर वाले अंडरग्राउंड टैंक में पूरा पानी ही नहीं पहुंच पा रहा है, जिसकी वजह से ये खाली पड़ा है। इसी तरह बी-ब्लाक में नौ लाख लीटर के तीन अंडरग्राउंड टैंक हैं, वे भी करीब-करीब खाली ही पड़े है। लोगों का कहना है कि, इस समय पेयजल सप्लाई का प्रेशर काफी लो है, इस वजह से ये टैंक नहीं भर पा रहे है। वहीं, डीएलएफ फेज-2 स्थित पी और एल ब्लॉक में भी यही हाल है। पास में स्थित गांव सिकंदरपुर के लोगों का कहना है कि, अंडरग्राउंड टैंक में छह इंच का पाइप लगा है, लेकिन इसमें सिर्फ डेढ़ इंच पानी का ही प्रेशर आ रहा है। नगर निगम के मुख्य अभियंता टीएल शर्मा ने कहा कि, जहां भी पानी की समस्या है उन जगहों पर कारणों का पता लगाने के लिए निर्देश दिए गए हैं। जल्द ही समस्या का समाधान होगा।
टैंकर सप्लायर वसूल रहे मनमाना रेट
पेयजल को तरस रहे लोगों के मजबूरी का फायदा निजी वॉटर टैंकर सप्लायर भी खूब उठा रहे हैं। लोगों का कहना है कि, पहले जहां 1000 रुपये से कम कीमत में टैकर मिल जाता था, वहीं अब इसके लिए 1500 से लेकर 2 हजार रुपये चुकाने पड़ रहे हैं। इस संबंध में लोगों ने अधिकारियों से भी शिकायत की, लेकिन इस मनमानी पर रोक नहीं लग पा रही है।